जंतर मंतर - Jantar Mantar

जंतर मंतर - Jantar Mantar

जंतर मंतर - Jantar Mantar

Jantar Mantar is located in Pink City, Jaipur. Jantar Mantar of Jaipur is an astronomical observatory built by Sawai Jaisingh between 1826 and 1834. It is included in UNESCO's 'World Heritage List'. There are 14 major instruments in this observatory, which are helpful in measuring time, predicting eclipses, knowing the speed and position of a star, knowing the problems of planets in the solar system, etc. Looking at these instruments shows that the people of India had such deep knowledge of complex concepts of mathematics and astronomy that they could form these concepts into an 'educational observatory' so that anyone could know them and enjoy them. Could take.

जंतर मंतर पिंक सिटी जयपुर में स्थित है। जयपुर का जन्तर मन्तर सवाई जयसिंह द्वारा 1826 से 1834 के बीच निर्मित एक खगोलीय वेधशाला है। यह यूनेस्को के 'विश्व धरोहर सूची' में सम्मिलित है। इस वेधशाला में 14 प्रमुख यन्त्र हैं जो समय मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने, किसी तारे की गति एवं स्थिति जानने, सौर मण्डल के ग्रहों के दिक्पात जानने आदि में सहायक हैं। इन यन्त्रों को देखने से पता चलता है कि भारत के लोगों को गणित एवं खगोलिकी के जटिल संकल्पनाओं (कॉंसेप्ट्स) का इतना गहन ज्ञान था कि वे इन संकल्पनाओं को एक 'शैक्षणिक वेधशाला' का रूप दे सके ताकि कोई भी उन्हें जान सके और उसका आनन्द ले सके।

Jantar Mantar is an amazing medieval achievement associated with the old palace 'Chandramahal' in Jaipur. The world-renowned observatory for analyzing and accurately predicting astrological and astronomical events through ancient astronomical instruments and complex mathematical structures was built by King Sawai Jai Singh (II) of Amber, the founder of Jaipur city, under his personal supervision in 1728 Started, which was completed in 1734.

जयपुर में पुराने राजमहल 'चन्द्रमहल' से जुडी एक आश्चर्यजनक मध्यकालीन उपलब्धि है- जंतर मंतर! प्राचीन खगोलीय यंत्रों और जटिल गणितीय संरचनाओं के माध्यम से ज्योतिषीय और खगोलीय घटनाओं का विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणी करने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध इस अप्रतिम वेधशाला का निर्माण जयपुर नगर के संस्थापक आमेर के राजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने 1728 में अपनी निजी देखरेख में शुरू करवाया था, जो सन 1734में पूरा हुआ था।


Sawai Jai Singh was also an astrophysicist, whose contribution and personality has been praised by Jawaharlal Nehru in his famous book 'Discovery of India' ('India: a discovery'). Before the construction of this observatory, Sawai Jai Singh had sent his cultural envoys to many countries of the world and asked for manuscripts of ancient and important texts of astronomy from there and preserved them in his pothikhana (library) and translated them for his study. Had it done. Maharaja Sawai Jai Singh II built five observatories across the country on the basis of Hindu astronomy. These observatories were built in Jaipur, Delhi, Ujjain, Benaras and Mathura. He took the help of eminent astronomers of the time in building these observatories. First Maharaja Sawai Jai Singh (II) built the emperor Yantra in Ujjain, followed by the Observatory (Jantar Mantar) in Delhi and Jantar Mantar in Jaipur ten years later. Jaipur observatory is the largest among all the five observatories in the country. Work was started in 1724 for the construction of this observatory and in 1734 this construction was completed. It is huge in size with the rest of the Jantar Mantras, it does not have much competition from the point of view of crafts and instruments. Of the five observatories built by Sawai Jai Singh, today only Jantar Mantar of Delhi and Jaipur are left, the rest are in the cheek of time.

सवाई जयसिंह एक खगोल वैज्ञानिक भी थे, जिनके योगदान और व्यक्तित्व की प्रशंसा जवाहर लाल नेहरू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' ('भारत : एक खोज') में सम्मानपूर्वक की है। सवाई जयसिंह ने इस वेधशाला के निर्माण से पहले विश्व के कई देशों में अपने सांस्कृतिक दूत भेज कर वहां से खगोल-विज्ञान के प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथों की पांडुलिपियाँ मंगवाईं थीं और उन्हें अपने पोथीखाने (पुस्तकालय) में संरक्षित कर अपने अध्ययन के लिए उनका अनुवाद भी करवाया था। महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने हिन्दू खगोलशास्त्र में आधार पर देश भर में पांच वेधशालाओं का निर्माण कराया था। ये वेधशालाएं जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, बनारस और मथुरा में बनवाई गई। इन वेधशालाओं के निर्माण में उन्होंने उस समय के प्रख्यात खगोशास्त्रियों की मदद ली थी। सबसे पहले महारजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने उज्जैन में सम्राट यन्त्र का निर्माण करवाया, उसके बाद दिल्ली स्थित वेधशाला (जंतर-मंतर) और उसके दस वर्षों बाद जयपुर में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था। देश की सभी पांच वेधशालाओं में जयपुर की वेधशाला सबसे बड़ी है। इस वेधशाला के निर्माण के लिए 1724 में कार्य प्रारम्भ किया गया और 1734 में यह निर्माण कार्य पूरा हुआ। यह बाकी के जंतर मंत्रों से आकार में तो विशाल है ही, शिल्प और यंत्रों की दृष्टि से भी इसका कई मुकाबला नहीं है। सवाई जयसिंह निर्मित पांच वेधशालाओं में आज केवल दिल्ली और जयपुर के जंतर मंतर ही शेष बचे हैं, बाकी काल के गाल में समा गए हैं।

Jaipur, also known as Pink City, is the capital of Rajasthan. As Amer, it has also been the capital of the famous ancient (Rajwada | Rajwada) by the name of Jaipur. The city was founded in 1728 by Maharaja Jai ​​Singh II of Amer. Jaipur is famous for its rich building-tradition, Saras-culture and historical significance. The city is surrounded by the Aravalli ranges on three sides. The city of Jaipur is identified with the pink dholpuri stones in its palaces and old houses, which is a specialty of its architecture. In 1876, the then Maharaja Sawai Ramsingh decorated the entire city with pink color to welcome the Prince of Wales Crown Prince Albert, the Queen of England. The city has been named Pink City since then. According to the 2011 census Jaipur is the tenth most populous city in India. The city was named Jaipur after the name of Raja Jai ​​Singh II. Jaipur is also a part of India's Golden Triangle. In this Golden Triangle, Delhi, Agra and Jaipur come. In July 2019, Jaipur has been given the status of World Heritage City. The distance from the capital Delhi to Jaipur is 280 kilometers.

जयपुर जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन (रजवाड़ा| रजवाड़े) की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना 1728 में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। 1876 में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से सजा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर भारत का दसवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली ,आगरा और जयपुर आते हैं जुलाई 2019 में जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है। राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है।

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