Buland-Darwaza

BULAND DARWAZA (Fatehpur Sikri)AGRA

Buland Darwaza- Buland Darwaza is located 36km from Agra in Fatehpur Sikri, earlier this place was named Vijay Shekri. Akbar achieved this in 1569, and then it was changed from Vijay Sikri to Fatehpur Sikri.

बुलंद दरवाजा- बुलंद दरवाजा आगरा से ३६ किलो मीटर दूर फतेहपुर सीकरी में स्थित है पहले इस जगह का नाम विजय पुर सिकरी था १५६९ में ने अकबर ने इसे हासिल किया और फिर इसका विजय पुर सिकरी से बदलकर फतेहपुर सीकरी रख दिया गया

Buland Darwaza-Buland Darwaza is Asia's largest door, this gate is 176 feet high and its width is 35 feet. The door is about 100 years old from Taj Mahal. This door was built by Akbar in 1602. There is a very heart-breaking story behind this door.

बुलंद दरवाजा-बुलंद दरवाजा एशिया का सबसे बड़ा दरवाजा है इस दरवाजे की ऊँची 176 फ़ीट है और इसकी चौड़ाई 35 फ़ीट है यहाँ दरवाजा ताज महल से करीब 100 साल पुराना है इस दरवाजे को अकबर ने १६०२ में बनवाया था। इस दरवाजे को बनवाने की पीछे एक बहुत ही दिल चस्प किस्सा है।

Akbar-Jalal-ud-Din Mohammed Akbar, the third ruler of the Mughal dynasty, Akbar Akbar-e-Azam (ie Akbar the Great), Emperor Akbar, Mahabali is also known as the King's name, Akbar emperors of the Mughal Empire as a king, Both the Hindu Muslim got equal love and respect. He established a religion called Din-i-Elahi in order to reduce distances between Hindu-Muslim sects. The people of India had honored Akbar for his successful and efficient rule. In Arabic, the word Akbar means "great" or bigger.

अकबर-जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर, मुगल वंश का तीसरा शासक था, अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है, मुगल साम्राज्य के बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की, भारत की जनता ने उनके सफल एवं कुशल शासन के लिए अकबर नाम से सम्मानित किया था। अरबी भाषा मे अकबर शब्द का अर्थ "महान" या बड़ा होता है।

There were three queens of Akbar, but Akbar did not get any offspring from the three queens, After the wedding was Akbar none of children from three wives if Akbar had very many years had passed a miserable marriage but Akbar not have any children to.

अकबर की तीन रानियां थी, लेकिन तीनों रानियों से अकबर को कोई भी औलाद नहीं हुई, जब शादी के बाद अकबर को तीनों रानियों से कोई भी औलाद नही मिली तो अकबर बहुत ही दुखी हो गए शादी के कई साल बीत गए लेकिन अकबर को कोई भी औलाद नही मिली.

Then one day Akbar came to know about a Sufi saint who lived in Fatepur, whose name was Salim Chishti, When Akbar met Salim Chishti, Akbar fell into his feet and sought help from him.

फिर एक दिन अकबर को एक सूफी संत के बारे में पता चला जो फत्तेपुर में रहते थे जिनका नाम था सलीम चिश्ती, जब अकबर सलीम चिश्ती से मिले तो अकबर उनके पैरो में गिर पड़े और उनसे मदद मांगने लगे,


Akbar had a son with the blessings of Salim Chishti, Akbar named his son as Salim because of the blessings of Akbar's son Salim Chishti, and Akbar later created a dargah for Salim Chishti in the joy of his son, where Salim Chishti Could pray.

सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से अकबर को एक बेटा हुआ, अकबर ने अपने बेटे का नाम सलीम रखा क्योकि अकबर का बेटा सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से हुआ था और फिर अकबर ने अपने बेटे की खुशी में सलीम चिश्ती के लिए एक दरगा बनवाई जहाँ पर सलीम चिश्ती इबादत कर सके.

Akbar's capital was Agra. But when Akbar achieved Fatehpur Sikri, he thought of making it his capital. And then in Fatehpur Sikri huge and beautiful buildings began to be formed. 156 9 to 1585 Fatehpur Sikri remained the capital of Akbar.

अकबर की राजधानी आगरा थी। लेकिन जब अकबर ने फतेहपुर सीकरी को हासिल किया तो इसे अपनी राजधानी बनाने की सोची। और फिर फतेहपुर सीकरी में विशाल और सुन्दर इमारतों का बनना शुरू हुआ। १५६९ से १५८५ तक फतेहपुर सीकरी अकबर की राजधानी बनी रही।.


Buland Darwaza - There are 54 stairs to reach the bulldog door. Buland Darwaza is the largest door of Asia this door is high 176 feet and its width is 35 feet on the door of nearly 100 years of Taj Mahal.

बुलंद दरवाजा - बुलंद दरवाजे तक पहुँचने के लिए ५४ सीढ़ियाँ है बुलंद दरवाजा एशिया का सबसे बड़ा दरवाजा है इस दरवाजे की ऊँची 176 फ़ीट है और इसकी चौड़ाई 35 फ़ीट है यहाँ दरवाजा ताज महल से करीब 100 साल पुराना है.

Buland Darwaza - Made of red sandstone and this door has been decorated with various colours which are still seen today. There are some rectangles of the Quran above this door and it is written at this door. There are some lines related to Jesus Christ on the porch of the door which are as follows "Mary, the son of Mary, said: This world is like a bridge, pass it on, but do not build your house on it. One who has hope for a day can hope for a long time, It is only for the whole, so spend your time in prayer because everything else is invisible Akbar is considered to be a symbol of religious tolerance to the presence of these lines of the Bible on the elevated door.

बुलंद दरवाजा-लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है और इस दरवाजे को अनेकों रंग के पत्थर से सजाया गया है जो आज भी देखने को मिलती है इस दरवाजे के ऊपर कुरन की कुछ आयतें भी लिखी हुई है और इस दरवाजे पर दरवाजे़ के तोरण पर ईसा मसीह से संबंधित कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं जो इस प्रकार हैं, मरियम के पुत्र यीशु ने कहा, "यह संसार एक पुल के समान है, इस पर से गुज़रो अवश्य, लेकिन इस पर अपना घर मत बना लो। जो एक दिन की आशा रखता है वह चिरकाल तक आशा रख सकता है, जबकि यह संसार घंटे भर के लिये ही टिकता है, इसलिये अपना समय प्रार्थना में बिताओ क्योंकि उसके सिवा सब कुछ अदृश्य है" बुलंद दरवाज़े पर बाइबिल की इन पंक्तियों की उपस्थिति को अकबर को धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक माना जाता है,

Jodha Bai-Jodha Bai's palace is the largest and most important part of Imperial Harem, having all facilities, provisions and safeguards. The name Jodha Bai palace is a misnomer in itself. It is most widely accepted that the building was for Raniwas or Zenani-Dyodhi. The palace building consists of a rectangular block with a single magnificent gateway on eastern side, which was protected by guard rooms, having triangular ceiling and other apartments. Several Hindu motifs have been used in the building, which confirms that occupant of the building was a Hindu lady.The architecture of Jodha Bai's palace can still be seen today. This palace of Jodha Bai is made of red sandstone.

जोधाबाई-जोधाबाई का महल इंपीरियल हरेम का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें सभी सुविधाएं, प्रावधान और सुरक्षा उपाय हैं। जोधाबाई महल नाम अपने आप में एक मिथ्या नाम है। यह सबसे अधिक व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि इमारत रानीवास या ज़नानी-दयोधी के लिए थी। महल की इमारत में पूर्वी तरफ एक शानदार गेटवे के साथ एक आयताकार ब्लॉक होता है, जिसे गार्ड रूम द्वारा संरक्षित किया जाता था, जिसमें त्रिकोणीय छत और अन्य अपार्टमेंट होते थे। इमारत में कई हिंदू रूपांकनों का उपयोग किया गया है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि इमारत में रहने वाली एक हिंदू महिला थी। जोधा बाई के महल की वास्तुकला को आज भी देखा जा सकता है। जोधा बाई का ये महल लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है।


Panch Mahal-Panch Mahal is a five-story building in Fatehpur Sikri. This building was constructed by Akbar. This five-storey building is very famous for its exceptional architecture. This building of five-storey was used for recreation and relaxation. This is one of the most important buildings of Fatehpur Sikri. It is an extraordinary structure that employs design elements of the Buddhist temple.

पंच महल-पंच महल फतेहपुर सीकरी में एक पाँच मंजिला इमारत है। इस इमारत का निर्माण अकबर ने करवाया था। पाँच मंजिला की ये इमारत अपनी असाधारण वास्तुकला के लिए बहुत प्रसिद्ध है। पाँच मंजिला की इस इमारत मनोरंजन और विश्राम के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह फतेहपुर सीकरी की सबसे महत्वपूर्ण इमारतों में से एक है। यह एक असाधारण संरचना है जो बौद्ध मंदिर के डिजाइन तत्वों को नियोजित करती है।

Birbal-Birbal was commander in the court of Akbar. Birbal was a Hindu Brahmin. Nevertheless he was the chief adviser to Mughal Emperor Akbar's court. Birbal was very clever with his intelligence. Due to that, he is known mostly for folk tales in the Indian subcontinent, which is centered on his intelligence. Birbal had a close relationship with Emperor Akbar and he was one of his most important courtiers. Birbal, the religion established by Akbar, was the only Hindu who adopted Din-i-Elahi.

बीरबल-बीरबल, अकबर के दरबार में उनके मुखिया सेनापति थे। बीरबल, एक हिंदू ब्राह्मण थे। फिर भी वो मुगल सम्राट, अकबर के दरबार में उनके मुखिया सलाहकार थे। बीरबल अपनी बुद्धि से बहुत ही चालाक थे। जिसके कारण उन्हें ज्यादातर भारतीय उपमहाद्वीप में लोक कथाओं के लिए जाना जाता है जो उनकी बुद्धि पर केंद्रित हैं। बीरबल का सम्राट अकबर के साथ घनिष्ठ संबंध था और वह उनके सबसे महत्वपूर्ण दरबारियों में से एक थे। बीरबल, अकबर द्वारा स्थापित धर्म दीन-ए इलाही को अपनाने वाला एकमात्र हिंदू था।

Birbal was born in 1528 as Mahesh Das, in a Hindu Brahmin family, in District Sidhi, Madhya Pradesh, India. According to folklore, it was in Tikwanpur along the river Yamuna. Birbal was educated in Hindi, Sanskrit and Persian. Birbal served in the Rajput court of King Ram Chandra. After that Birbal's economic and social status improved when he married the daughter of a respected and wealthy family. After that Birbal served in the imperial court of Mughal Emperor Akbar.

बीरबल का जन्म 1528 में महेश दास के रूप में, एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में जिला सीधी, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था। लोककथाओं के अनुसार, यह यमुना नदी के किनारे टिकवनपुर में था। बीरबल हिंदी, संस्कृत और फारसी में शिक्षित थे। बीरबल ने राजा राम चंद्र के राजपूत दरबार में सेवा की। उसके बाद बीरबल की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ जब उन्होंने एक सम्मानित और अमीर परिवार की बेटी से शादी की। उसके बाद बीरबल ने मुगल सम्राट अकबर के शाही दरबार में अपनी सेवाएं दी।


Birbal's palace-Birbal's palace was used more as accommodation for Akbar's senior queens. Rukayya Begum and Salima Sultan Begum. Although a Hindu Brahmin was built, Birbal's house was inspired by Persian and Mughal architecture. Birbal's house is near the north-west corner of Jodha Bai's palace. The palace of Birbal was built in 1571.

बीरबल महल-बीरबल के महल का उपयोग अकबर की वरिष्ठ रानियों के लिए आवास के रूप में अधिक किया जाता था। रूकय्या बेगम और सलीमा सुल्तान बेगम। हालांकि एक हिंदू ब्राह्मण के लिए बनाया गया था, बीरबल का घर फारसी और मुगल वास्तुकला से प्रेरित था। बीरबल का घर जोधाबाई के महल के उत्तर-पश्चिम कोने के पास है। बीरबल का महल 1571 में बनाया गया था।

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