Benefits of beetroot-चुकंदर के फायदे

Benefits of beetroot-चुकंदर के फायदे

Beetroot is a herbaceous root fruit that is found almost all year round. It is consumed as salads, vegetables and juices. Beetroot is not only aesthetically beneficial but it is also healthy. Beetroot is small to see but the benefits of beetroot are countless. Let us know about this colorful flora in detail:-

चुकंदर एक ऐसा मूसला जड़ वाला वनस्पति फल है जो लगभग पूरे साल पाया जाता है। इसको सलाद, सब्जी और जूस के रुप में सेवन करते हैं। चुकंदर न सिर्फ सौन्दर्य दृष्टि से फायदेमंद है बल्कि ये स्वास्थ्यवर्द्धक भी है। चुकंदर देखने में छोटा होता है लेकिन चुकंदर के फायदे अनगिनत होते हैं। चलिये इस रंगीन वनस्पति के बारे में विस्तार से जानते हैं:-

What is beet?

Beetroot is 30–90 cm tall, fleshy, bulb, thick stemmed, herbaceous plant. Its leaves are like radish or turnip leaves. Beet flowers are in 2-3 clusters or as single, elongate cylindrical spikes. Its root is purple red in color. Beetroot flourishes in the months of September to February. Beet contains anti oxide and various types of nutrients. Which protects the body from many minor diseases. However, in earlier times beets were fed only to animals. But according to research in the 19th century, it was found that every part of beet is very beneficial for human body. Due to which beet juice started selling more in the markets. Today many people use beetroot as vegetable, salad, soup and juice. Beet intake reduces the risk of disease like cancer.

चुकन्दर क्या है?

चुकंदर 30-90 सेमी ऊँचा, मांसल, कंद (bulb), मोटा तना वाला, शाकीय पौधा होता है। इसके पत्ते मूली या शलगम के पत्ते जैसे होते हैं। चुकंदर के फूल 2-3 के गुच्छों में या एकल, लम्बे बेलनाकार स्पाइक जैसे होते हैं। इसकी जड़ बैंगनी लाल रंग की होती है। चुकंदर सितम्बर से फरवरी महीने में फलता-फूलता है। चुकंदर में एंटी ऑक्साइड और विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व होते है। जो शरीर में कई तरह के की होने वाली छोटी छोटी बीमारियों से बचाते है। हलाकि पहले के समय में चुकंदर केवल पशुओं को ही खिलाया जाता था। लेकिन १९ वी सदी में शोध के अनुसार ये पता चला की चुकंदर का हर भाग मानव शरीर के लिए बहुत ही लाभदाय है। जिसके कारण चुकंदर का रस बाजारों में अधिक बिकने लगा। आज बहुत से लोग चुकंदर का इस्तेमाल सब्जी, सलाद , सुप और जूस के रूप में करते है। चुकंदर का सेवन करने से चुकंदर कैंसर जैसी बीमारी के जोखिम को कम करता है


Beetroot is a vegetable that is very beneficial for the body but along with it the medicinal properties of beetroot are also great. Beetroot is good for the eyes, fat reducing and anthelmintic. The benefits of beet are many.
Beetroot pungent, increases bile and is beneficial in haemorrhoids or piles.
Red beet is confirmative.
White beet is beneficial in urinary disease.
Its root is sweet and cold. Beet root extracts phlegm, removes weakness, increases the number of hemoglobin. The use of its leaves provides relief from urinary problems, constipation, bloating, headache, paralysis and ear pain. Its seeds help in increasing the desire for sex.
In order to quickly complete the anemia in your body, if you mix a spoonful of honey in a glass of juice of chukandar and drink it daily, then it reduces iron deficiency in your body.

चुकंदर एक ऐसा सब्जी है जो शरीर के लिए बहुत लाभकारी होता है लेकिन इसके साथ-साथ चुकंदर के औषधीय गुण भी बहुत है। चुकन्दर आँखों के लिए अच्छा, चर्बी कम करने वाला तथा कृमिनाशक होता है। चुकंदर के फायदे अनेक हैं।
चुकन्दर तीखा, पित्त बढ़ाने वाला तथा अर्श या पाइल्स में फायदेमंद होता है।
लाल चुकन्दर पुष्टिकारक होता है।
सफेद चुकन्दर मूत्र रोग में फायदेमंद होता है।
इसकी जड़ मीठी और ठंडे तासीर की होती है। चुकंदर की जड़ कफ निकालने वाली, कमजोरी दूर करने वाली, हिमोग्लोबीन की संख्या बढ़ाने वाली होती है। इसके पत्ते के सेवन से मूत्र संबंधी परेशानी, कब्ज , सूजन, सिरदर्द, लकवा तथा कानदर्द से राहत मिलती है। इसके बीज सेक्स की इच्छा बढ़ाने में मदद करते हैं।
आपके शरीर में जल्दी से खून की कमी को पूरा करने के लिए आप एक ग्लास चुक्कंदर के जूस में एक चम्मच शहद मिक्स करके रोज़ाना पिए तो इससे आपके शरीर में आयरन की कमी पूरी होती है।

Beetroot anemia means anemia in most women. Women should drink a glass of beetroot juice daily to overcome the deficiency of anemia. Apart from this, beet vegetable or beet salad can also be consumed. Beetroot increases red blood cells due to which hemoglobin also starts increasing in the body on its own, due to which it is released from disease like anemia. Beetroot acts as an herb for patients with diabetes type 2. The nutrient present in it helps in lowering blood sugar levels. And helps to make insulin Beetroot can be used as a vegetable, salad, soup and juice.

चुकंदर एनीमिया यानि खून की कमी अधिकतर महिलाओं में देखने को मिलती है। एनीमिया की कमी को दूर करने के लिए महिलाओं को रोज एक गिलास चुकंदर का जूस पीना चाहिए। इसके आलावा चुकंदर की सब्जी या चुकंदर का सलाद का भी सेवन किया जा सकता है। चुकंदर लाल रक्त की कोशिकाओं को बढ़ाता है जिसके कारण शरीर में हीमोग्लोबिन भी अपने आप बढ़ने लगता है जिसके कारण एनीमिया जैसी बीमारी से छूटकर मिल जाता है। डायबिटीज टाइप २ के मरीजों के लिए चुकंदर एक जड़ी बूटी की तरह काम करता है। इसमें उपस्थित पोषक तत्व रक्त शर्करा के स्तर कम करने में मदद करता है। और इन्सुलिन बनाने में मदद करता है चुकंदर का इस्तेमाल सब्जी, सलाद , सुप और जूस के रूप में किया जा सकता है।

To skin.

Beetroot is beneficial for skin wrinkles. People often complain of stains and wrinkles on the face. This complaint can be overcome because beetroot contains good amount of folate and fiber. Beetroot is cold due to which it is on the face. Pimples also removes complaints of coming.

त्वचा के लिए

चुकंदर त्वचा की झुर्रियों के लिए लाभ दायक है लोगो को अक्सर चेहरे पर दाग और झुर्रियों की शिकायत रहती है इस शिकायत को दूर किया जा सकता है क्योकि चुकंदर में अच्छी मात्रा फोलेट और फाइबर होते है चुकंदर की तासीर ठंडी होती है जिसके कारण यह चहरे पर फुंसियाँ आने की शिकायत को भी दूर करता है।

Note :-Share this information with everyone as much as possible. Stay at home and stay safe. What is your opinion about beet? Please tell us in the comment box below. Your opinion is very important to us. Please Do not forget to like and share this information. On the right side, press the button of the bell to get new information of everyday.

ध्यान दें :- इस जानकारी को सभी के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। घर में रहे और सुरक्षित रहे। चुकंदर के फायदे के बारे में आपकी क्या राय है हमे नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस जानकारी को लाइक और शेयर करना ना भूले। दाईं ओर के, घंटी के बटन को दबाकर रोज नई जानकारी प्राप्त करे।

Benefits of garlic-लहसुन के फायदे

Benefits of garlic-लहसुन के फायदे

Garlic is a very good medicine for our body. Garlic is best in its raw state. "Consuming garlic daily (in food or raw) helps reduce cholesterol levels due to the anti-oxidant properties of allicin. It is also very beneficial for controlling blood pressure and blood sugar levels.
Today, the different recognized benefits of garlic include reduced risk for heart disease, lower cholesterol, and lower blood pressure. It is also said to help protect from cancer and offers protection from cancer. Garlic is most widely recognized for its benefits to heart health.

लहसुन हमारे शरीर के लिए एक बहुत अच्छी दवा है। लहसुन अपनी कच्ची अवस्था में सबसे अच्छा होता है। "रोजाना (भोजन या कच्चे में) लहसुन का सेवन करने से एलिसिन के एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिलती है। यह रक्तचाप और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
आज, लहसुन के विभिन्न मान्यता प्राप्त लाभों में हृदय रोग, कम कोलेस्ट्रॉल और निम्न रक्तचाप के जोखिम को कम करना शामिल है। यह कैंसर से बचाने में मदद करने और कैंसर से सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी कहा जाता है। हृदय स्वास्थ्य के लिए इसके लाभों के लिए लहसुन को सबसे अधिक मान्यता प्राप्त है।

Why should garlic be eaten on an empty stomach every day? Here are 7 benefits...
Heart will remain healthy garlic also removes problems related to heart...
Get rid of high BP: Eating garlic provides relief in high BP...
Stomach diseases...
Digitization will be better...
Discharge from tension...
You will get relief from toothache...
Relief of cold and cough...
Many diseases are also relieved by consuming garlic...
If men eat a bud of Khalipet garlic daily then it helps in the treatment of many diseases...
Protein present in garlic makes the body toned...

रोज खाली पेट क्‍यों खाना चाहिए लहसुन? ये हैं 7 फैयदे...
दिल रहेगा सेहतमंद लहसुन दिल से संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है...
हाई बीपी से छुटकारा लहसुन खाने से हाई बीपी में आराम मिलता है...
पेट की बीमारियां छूमंतर ...
डाइजेशन होगा बेहतर ...
टेंशन से छुट्टी ...
दांत दर्द में मिलेगा आराम ...
सर्दी-खांसी में राहत....
लहसुन के सेवन से बहुत सारे बीमारियों से भी निजात मिलता है।...
पुरुष अगर रोज सुबह खालीपेट लहसुन की एक कली खाते हैं तो इससे कई बीमारियों के इलाज में मदद मिलती है।...
लहसुन में मौजूद प्रोटीन से बॉडी टोंड होती है।...


The scientists found that moderate amounts of garlic supplements could offer benefits to diabetes patients, and that raw or cooked garlic or aged garlic extract can help to regulate blood glucose and potentially stop or lower the effects of some diabetes complications, as well as fighting infections,
You should not eat milk or milk products after eating garlic, otherwise fever, skin problems may occur. Also, avoid eating sugarcane or sugarcane items, sugar, jaggery etc. they cause flatulence problems. Do not eat stale vegetables, chapattis or any other food items while eating garlic. Garlic can cause bad breath, mouth, stomach or chest irritation, gas, nausea, vomiting, body odor, and diarrhea. Often eating raw garlic makes the situation worse. It can also increase the risk of bleeding. Consumption of garlic after surgery may cause other allergic reactions and bleeding.

वैज्ञानिकों ने पाया कि लहसुन की खुराक की मध्यम मात्रा मधुमेह रोगियों को लाभ दे सकती है, और यह कि कच्चा या पका हुआ लहसुन या वृद्ध लहसुन का अर्क रक्त शर्करा को विनियमित करने में मदद कर सकता है और कुछ मधुमेह जटिलताओं के प्रभाव को रोकने या कम करने के साथ-साथ संक्रमण से लड़ सकता है,
लहसुन खाने के बाद दूध या दूध से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए वर्ना बुखार, त्वचा संबंधी समस्या हो सकती है। साथ ही गन्ना या गन्ने से बनी चीजें, चीनी, गुड़ आदि खाने से भी बचें, ये पेट के फूलने की समस्या का कारण बनते हैं। लहसुन खाते समय बासी सब्जी, चपाती या अन्य कोई खाद्य सामग्री न खाएं। लहसुन सांस में बदबू, मुंह, पेट या सीने में जलन, गैस, मतली, उल्टी, शरीर में गंध और दस्त का कारण बन सकता है। अक्‍सर कच्चा लहसुन खाने से स्थिति और भी खराब हो जाती हैं। इससे रक्तस्राव का खतरा भी बढ़ सकता है। सर्जरी के बाद लहसुन का सेवन से अन्य एलर्जी प्रतिक्रियाओं और ब्‍लीडिंग की शिकायत हो सकती है।

Benefits of garlic in hair growth.

Garlic has anti-microbial properties that help kill germs and bacteria, which are responsible for damaging the scalp, which inhibits hair growth. Raw garlic is said to be rich in vitamin C content which is great for promoting hair health. It also increases collagen production which helps to stimulate hair growth. It contains a good amount of Vitamin C. It also boosts collagen which is helpful in hair growth. The selenium present in garlic increases blood circulation, which gives a good burn to the hair. It clears hair follicles and prevents clogging.

बालों की ग्रोथ में लहसुन के लाभ.

लहसुन में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं जो कीटाणुओं और जीवाणुओं को मारने में मदद करते हैं, जो खोपड़ी को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जो बालों के विकास को रोकते हैं। कच्चे लहसुन को विटामिन सी सामग्री में समृद्ध माना जाता है जो बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए बहुत अच्छा है। यह कोलेजन उत्पादन को भी बढ़ाता है जो बालों के विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करता है। इसमें विटामिन सी की अच्‍छी मात्रा होती है। यह कॉलेजन को भी बूस्‍ट करता है जो बालों की ग्रोथ में मददगार होते हैं। लहसुन में मौजूद सेलेनियम ब्‍लड सर्क्‍यूलेशन बढ़ाता है जो बालों को अच्‍छे से नरिशमेंट देते हैं। यह हेयर फॉलिकल्‍स को क्‍लीन करता है और क्‍लॉगिंग होने से रोकता है।

Note :-Share this information with everyone as much as possible. Stay at home and stay safe. What is your opinion about garlic? Please tell us in the comment box below. Your opinion is very important to us. Please Do not forget to like and share this information. On the right side, press the button of the bell to get new information of everyday.

ान दें :- इस जानकारी को सभी के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। घर में रहे और सुरक्षित रहे। लहसुन के फायदे के बारे में आपकी क्या राय है हमे नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस जानकारी को लाइक और शेयर करना ना भूले। दाईं ओर के, घंटी के बटन को दबाकर रोज नई जानकारी प्राप्त करे।

Benefits of gourd juice-लौकी के जूस के फायदे

Benefits of gourd juice-लौकी के जूस के फायदे


दुनियाभर में लौकी को हेल्दी सब्जियों में गिना जाता है, लौकी अलग-अलग आकार में पाई जाती है। गोल, लंबा और छोटे आकार से लेकर यह काफी बड़े आकार का भी हो सकती है। कई लोगों को लौकी बिलकुल पसंद नहीं होती. लेकिन इसका सेवन करने से शरीर को बहुत से फायदे मिलते हैं. गर्मियों के दिनों में लौकी का जूस बहुत लाभदायक होता है. लौकी में 96 % पानी होता है ये आपको गर्मी से भी बचता है. यह कई तरह की शारीरिक समस्यायों को दूर में मदद करती है. आइये जानते है इसके क्या फायदे होते हैं।
लौकी में पानी की मात्रा काफी अधिक होती है इसलिए इसका जूस अच्छा होता है। लौकी के जूस में विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है। लौकी के जूस के सेवन से कई तरह के फायदे देखे गए हैं। हालांकि, जूस को लेकर हमेशा सलाह दी जाती है कि इसे खाने के विकल्प के तौर पर नहीं लेना चाहिए। सही डायट के साथ अगर लौकी के जूस का नियमित सेवन किया जाए तो यह कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। कई डायटीशियन ये मानते हैं कि लौकी की सब्जी या जूस को लोग उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना ये शरीर के लिए अच्छा है। लौकी में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं. लौकी में विटामिन सी, विटामिन बी, सोडियम, आयरन और पोटैशियम प्रचुर मात्रा में होता है. इसमें फैट और कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है. लौकी का जूस शरीर के लिए एक बेहतर एंटी-ऑक्सीडेंट ड्रिंक के रूप में काम करता है।

Worldwide gourd is counted in healthy vegetables, gourd is found in different sizes. It can range in size from round, tall and small to very large. Many people do not like gourd at all. But by consuming it, the body gets many benefits. In summer, gourd juice is very beneficial. Gourd contains 96% water, it also protects you from heat. It helps in removing many types of physical problems. Let us know what are its benefits.
The amount of water in the gourd is very high, so its juice is good. Gourd juice contains plenty of vitamins and minerals. Consumption of gourd juice has seen many benefits. However, juice is always advised that it should not be taken as a food substitute. If the gourd juice is consumed regularly with the right diet, it helps in fighting many diseases. Many dieticians believe that gourd vegetable or juice is not given as much importance as it is good for the body. Many kinds of nutrients are present in the gourd. Gourd is rich in vitamin C, vitamin B, sodium, iron and potassium. It also reduces fat and cholesterol. Gourd juice works as a better anti-oxidant drink for the body.



वजन घटाने के लिए

आज दुनिया भर में बहुत से लोग अपने मोटापे से बहुत परेशान है और अपने मोटापे को कम करने के लिए लोग बहुत सी दवाइयाँ और तरह तरह के डॉक्टरों की सलहा लेते रहते है। एक लम्बे समय बीत जाने के बाद भी वो अपने मोटापे से आजाद नहीं हो पाते। अगर यही लोग अपने खाने पीने में थोड़ा सा बदलाव करे तो उनके शरीर की बहुत सी बीमारियाँ दूर हो सकती है। जिस इंसान को मोटापे की तकलीफ है उसे रोज लौकी का जूस पीना चाहिए।
लौकी का जूस वजन घटाने के लिए बहुत फायदेमंद होता है. लौकी के जूस में विटामिन, पोटैशियम और आयरन होता है जो चर्बी को कम करके वजन नियंत्रित करने में मदद करता है। लौकी जूस में सॉल्युबल और इनसॉल्युबल फाइबर दोनों प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं और घीया में पानी की भी अधिक मात्रा होती है. लौकी के जूस का सेवन करने से पाचन को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है.

For weight loss

Today many people all over the world are very upset with their obesity and to reduce their obesity, people keep taking many medicines and various types of doctors. Even after a long time, he is not free from his obesity. If these people make a slight change in their food and drink, then many diseases of their body can be overcome. A person who suffers from obesity should drink gourd juice daily.
Gourd juice is very beneficial for weight loss. Gourd juice contains vitamins, potassium and iron which helps in weight control by reducing fat. Both soluble and insoluble fibers are found in gourd juice and ghee also contains more water. Consuming gourd juice also helps in improving digestion.


लौकी का जूस बहुत ही फायदेमंद होता है। ...
पाचन क्रिया सुधारे और कब्ज दूर करे: ....
बॉडी हीट कम करता है: ....
हाई ब्लड प्रेशर कम करे: ....
दिल को बनाता है हेल्दी: ....
लीवर में सूजन नहीं होती।...

Gourd juice is very beneficial. ...
Improve digestion and relieve constipation: ...
Reduces body heat: ...
Reduce high blood pressure: ...
What makes the heart healthy: ...
There is no swelling in the liver...

नियमित रूप से लौकी का जूस पीने से कब्ज जैसी आम समस्या से भी निजात पाई जा सकती है. लौकी का जूस पाचन को बेहतर करके गैस और सीने में जलन जैसी समस्यायों से भी आराम दिलाता है.

Regular problems like constipation can also be overcome by drinking gourd juice regularly. Gourd juice also improves digestion and relieves problems like gas and chest irritation.

Note :-Share this information with everyone as much as possible. Stay at home and stay safe. What is your opinion about Gourd juice? Please tell us in the comment box below. Your opinion is very important to us. Please Do not forget to like and share this information. On the right side, press the button of the bell to get new information of everyday.

ध्यान दें :- इस जानकारी को सभी के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। घर में रहे और सुरक्षित रहे। लौकी के जूस के बारे में आपकी क्या राय है हमे नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस जानकारी को लाइक और शेयर करना ना भूले। दाईं ओर के, घंटी के बटन को दबाकर रोज नई जानकारी प्राप्त करे।

khajuraho temple -खजुराहो मंदिर

khajuraho temple -खजुराहो मंदिर



Beautiful temples of Khajuraho which is a group of monuments of Hindu and Jainism, whose monuments are seen in Chhatarpur area of ​​Indian state of Madhya Pradesh. The beautiful temples of Khajuraho are considered a UNESCO World Heritage Site in India. The temples here are established with Nagara architecture, in which most of the sculptures are of erotic art, ie most of the sculptures are made in naked state.
खजुराहो के सुन्दर मंदिर जो कि एक हिन्दू और जैन धर्म के स्मारकों का एक समूह है जिसके स्मारक भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के छतरपुर क्षेत्र में देखने को मिलते है। खजुराहो के सुन्दर मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर में भारत का एक धरोहर क्षेत्र गिना जाता है। यहाँ के मन्दिर जो कि नगारा वास्तुकला से स्थापित किये गए जिसमें ज्यादातर मूर्तियाँ कामुक कला की है अर्थात् अधिकतर मूर्तियाँ नग्न अवस्था में बनाई गई है।

The beautiful temples of Khahuraho were mostly temples built between 950 and 1050 AD during the Chandela dynasty. According to a historical record, Khajuraho has a total of 45 temples which were established in the 12th century, which are spread over a 20 square kilometer enclosure. At present, out of these only 25 temples are left which are spread over 4 square kilometers. Among the various surviving temples, Kandariya Mahadev Temple is richly decorated with intricate details, symbolism and expression of ancient Indian art. The temples of the Khajuraho memorial group were built together, but the region was dedicated to two religions, Hinduism and Jainism, suggesting a tradition of acceptance and reverence for various religious views between Hindus and Jains.
खहुराहो के सुन्दर मंदिर ज्यादातर मन्दिर चन्देल राजवंश के समय ९५० और १०५० ईस्वी के मध्य बनाए गए थे। एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार खजुराहो में कुल ८५ मन्दिर है जो कि १२वीं शताब्दी में स्थापित किये गए जो २० वर्ग किलोमीटर के घेराव में फैले हुए है। वर्तमान में इनमें से, केवल २५ मन्दिर ही बच हैं जो ६वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं। विभिन्न जीवित मन्दिरों में से, कन्दारिया महादेव मंदिर जो प्राचीन भारतीय कला के जटिल विवरण, प्रतीकवाद और अभिव्यक्ति के साथ प्रचुरता से सजाया गया है। खजुराहो स्मारक समूह के मन्दिरों को एक साथ बनाया गया था, लेकिन इस क्षेत्र में हिन्दू और जैन के बीच विभिन्न धार्मिक विचारों के लिए स्वीकृति और सम्मान की परंपरा का सुझाव देते हुए, दो धर्मों, हिन्दू धर्म और जैन धर्म को समर्पित किया गया था।



According to historians, in ancient times, the number of temples in Khajurahas was around 85, but then gradually over time these temples were destroyed by some powerful rulers, then some temples were demolished due to natural disasters, due to which Today there are only 22 temples left. But even today, the destroyed temples can be seen here. Tourists from all over the world come and do photography to see the art of beautiful sculptures built on these temples of Khajuraho.
इतिहासकारों के मुताबिक प्राचीन समय में खजुराहों में मंदिरों की संख्या करीब 85 थी, लेकिन फिर समय के साथ-साथ धीमे-धीमे इन मंदिरों को कुछ ताकतवर शासकों के द्धारा नष्ट कर दिया गया तो कुछ मंदिर प्राकृतिक आपदाओं के चलते ध्वस्त हो गए, जिसकी वजह से आज सिर्फ 22 मंदिर ही बचे हैं। लेकिन आज भी यहाँ पर नस्ट हुए मंदिरों को देखा जा सकता है। खजुराहो के इन मंदिरों पर बनी सुंदर मूर्तियों की कला को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते है और फोटोग्राफी करते है।

The erotic sculptures of Khajuraho are the cynosure of all eyes and yet, you get varied reactions from people who visit the town and the temples of Khajuraho. While some are cynical, others cringe. A few are embarrased, others are disappointed. The guides with poker faces point to ” an oral activity” or a ” group activity”, while most tourists giggle or look away. The vendors on the street sell kamasutra packaged as paintings or books or crude carvings depicting various forms of lovemaking.And yet, there is an intrigue around the erotic sculptures of Khajuraho that adorn the walls of these temples. We wonder why the Chandelas, who ruled over 1000 years ago built these monuments which represent love and lust in various forms. And it is not just the Chandelas. Lets revisit India during the 9th- 12th centuries – from North to South, there are many temples with erotic sculptures. The Chalukyas and the Hoysala temples have carved them on their walls, even if they are not as explicit as those in Khajuraho or Konark. Was it some kind of a manual that these sculptors had or was it a belief that led them to the carving these erotic sculptures of Khajuraho?
खजुराहो की कामुक मूर्तियां सभी की आंखों की रौशनी हैं और फिर भी, आपको शहर और खजुराहो के मंदिरों में जाने वाले लोगों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिलती हैं। जबकि कुछ निंदक हैं, दूसरों को परेशान करते हैं। कुछ लोग शर्मिंदा हैं, अन्य निराश हैं। पोकर का सामना करने वाले गाइड "एक मौखिक गतिविधि" या "समूह गतिविधि" की ओर इशारा करते हैं, जबकि अधिकांश पर्यटक दिखाई देते हैं या दूर देखते हैं। सड़क पर बिकने वाले विक्रेता कामसूत्र को चित्रों या पुस्तकों या कच्चे नक्काशी के रूप में पैक करते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के लवमेकिंग होते हैं।और फिर भी, खजुराहो की कामुक मूर्तियों के चारों ओर एक साज़िश है जो इन मंदिरों की दीवारों को सुशोभित करती है। हमें आश्चर्य है कि 1000 साल पहले शासन करने वाले चंदेलों ने इन स्मारकों का निर्माण क्यों किया जो विभिन्न रूपों में प्रेम और वासना का प्रतिनिधित्व करते हैं। और यह सिर्फ चंदेलों का नहीं है। 9 वीं -12 वीं शताब्दियों के दौरान भारत को पुनर्जीवित करते हैं - उत्तर से दक्षिण तक, कामुक मूर्तियों के साथ कई मंदिर हैं। चालुक्य और होयसला मंदिरों ने उन्हें अपनी दीवारों पर उकेरा है, भले ही वे खजुराहो या कोणार्क में उतने स्पष्ट नहीं हैं। क्या यह किसी प्रकार का मैनुअल था जो इन मूर्तिकारों के पास था या यह एक विश्वास था कि उन्हें खजुराहो की इन कामुक मूर्तियों को उकेरने के लिए प्रेरित किया गया था?



In case you are not fascinated with the story behind the erotic sculptures of Khajuraho, here is another belief that says the carvings of mithunas are symbols of “good luck” along with several sculptures that showcase mythical creatures. Another interpretation says they served as a form of sex education, by rekindling passions in the ascetic minds of people, who were probably influenced by Buddhism. And there are several intepretations that speak of varying beliefs in Hinduism that seem to be in the fore. One of them speaks about leaving your lust and desires behind before entering the temple – which is probably why there are no carvings of sex inside the temples . The Mithunas or the couples in love are only portrayed on the outside walls of the shrines.
यदि आप खजुराहो की कामुक मूर्तियों के पीछे की कहानी से रोमांचित नहीं हैं, तो यहां एक और मान्यता है कि मिथुनों की नक्काशी "सौभाग्य" का प्रतीक है और साथ ही कई मूर्तियां हैं जो पौराणिक जीवों का प्रदर्शन करती हैं। एक अन्य व्याख्या कहती है कि उन्होंने लोगों के तपस्वी मन में जुनून को फिर से जगाकर यौन शिक्षा का एक रूप दिया, जो शायद बौद्ध धर्म से प्रभावित थे। और कई अंतर्विरोध हैं जो हिंदू धर्म में अलग-अलग मान्यताओं की बात करते हैं जो सामने दिखते हैं। उनमें से एक मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपनी वासना और इच्छाओं को छोड़ने के बारे में बोलता है - शायद यही वजह है कि मंदिरों के अंदर सेक्स की कोई नक्काशी नहीं है। मिथुन या प्यार में जोड़े केवल मंदिरों की बाहरी दीवारों पर चित्रित किए जाते हैं।

The 64 Yogini temple, a Tantric temple dedicated to 64 goddesses is the oldest temple in Khajuraho. A mystical air hangs around it, although all the shrines are empty. It is believed that Khajuraho is charged with energy and the 64 yoginis control the very essence of life, balancing both body and mind together. While reading upon various tantric beliefs, one of them even compared the Mithunas making love as a metaphor , representing the sexual imagery of the life force. Another interpretation even goes to say that the temples themselves are designed as a form of the “seductress” .And there is this belief centred around the tantric cult that explains that the sculptures are metaphors and are actually a form of language, a form of educating the various doctrines of the cult through symbols and imagery.
64 योगिनी मंदिर, 64 देवी-देवताओं को समर्पित एक तांत्रिक मंदिर खजुराहो का सबसे पुराना मंदिर है। इसके चारों ओर एक रहस्यमयी हवा लटकी हुई है, हालांकि सभी मंदिर खाली हैं। ऐसा माना जाता है कि खजुराहो को ऊर्जा के साथ चार्ज किया जाता है और 64 योगिनियां शरीर और मस्तिष्क दोनों को एक साथ संतुलित करते हुए जीवन के बहुत सार को नियंत्रित करती हैं। विभिन्न तांत्रिक मान्यताओं पर पढ़ते हुए, उनमें से एक ने भी मिथुन से प्रेम की तुलना एक रूपक के रूप में की थी, जो जीवन शक्ति की यौन कल्पना का प्रतिनिधित्व करता था, एक अन्य व्याख्या यहां तक ​​कि यह भी कहा जाता है कि मंदिरों को "प्रलोभिका" के रूप में डिज़ाइन किया गया है। और वहाँ इस विश्वास को तांत्रिक पंथ के आसपास केंद्रित किया गया है जो बताता है कि मूर्तियां रूपक हैं और वास्तव में भाषा का एक रूप है, जो शिक्षित करने का एक रूप है। प्रतीकों और कल्पना के माध्यम से पंथ के विभिन्न सिद्धांत।



Reams of paper and documentation are given to interpret the 10 % of erotic imagery that adorns the walls of the remaining 22 temples. There were at least 85 temples apparently built by the Chandelas, who would have been forgotten from the history texts if it had not been ironically for these carvings that show passions running high. While we have studied about the Mauryas and the Guptas, the Chalukyas and the Cholas, we have forgotten to read about the valour of the Chandelas who had even kept Mohammad Ghur at bay and regained their lost fort of Kalinjar from Mahmud Ghazni, invaders whose exploits fill our history texts. And coming back to the 22 remaining temples, dedicated to Jainism and Hinduism, there is more to them than just the sexual imagery. They are divided in three main groups – Western , Eastern and Southern. Most of the erotic sculptures are seen in the Western Group of temples. A few temples in the Eastern Group are dedicated to Jain teerthankaras.Reading through the ASI book on Khajuraho, I learn that the sculptures are grouped into five broad categories. The first category are the cult images and they are built exactly as prescribed in the manual – the Shilpashastra. You can see some of them carved as the teerthankaras in the Jain museum.
शेष 22 मंदिरों की दीवारों को सजाने वाली कामुक छवि के 10% की व्याख्या करने के लिए कागज और प्रलेखन के रिएक्शन दिए गए हैं। चंदेलों द्वारा जाहिरा तौर पर बनाए गए कम से कम 85 मंदिर थे, जिन्हें इतिहास के ग्रंथों से भुला दिया गया होता अगर यह इन नक्काशी के लिए विडंबना नहीं होती जो उच्च स्तर पर चलने वाले जुनून दिखाती। जबकि हमने मौर्यों और गुप्तों, चालुक्यों और चोलों के बारे में अध्ययन किया है, हम उन चंदेलों की वीरता के बारे में पढ़ना भूल गए हैं, जिन्होंने मोहम्मद घूर को खाड़ी में रखा था और महमूद गजनी के कालिंजर के खोए हुए किले पर कब्जा कर लिया था, जिसके कारनामे आक्रमणकारी करते थे हमारे इतिहास ग्रंथों को भरें। और जैन धर्म और हिंदू धर्म को समर्पित 22 शेष मंदिरों में वापस आना, उनके लिए सिर्फ यौन कल्पना से अधिक है। वे तीन मुख्य समूहों में विभाजित हैं - पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी। अधिकांश कामुक मूर्तियां पश्चिमी समूह के मंदिरों में देखी जाती हैं। पूर्वी समूह के कुछ मंदिर जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं।खजुराहो पर एएसआई पुस्तक के माध्यम से पढ़ते हुए, मुझे पता चला है कि मूर्तियों को पाँच व्यापक श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी पंथ चित्र हैं और वे मैनुअल में निर्धारित किए गए हैं - शिल्पशास्त्र। आप उनमें से कुछ को जैन संग्रहालय में तीर्थंकर के रूप में देख सकते हैं।

The second category are the ones you see in the reliefs and niches and they usually represent attendants, the guardian deities, the gandharvas, the shiva ganas, the ashta dikpalas among others. The third is my favourites – the apsaras, also referred to as sapna sundaris. The sculptors seemed to have run riot carving these beautiful women in various activities. They seem so life like and beautiful and every minute detail has been given importance to. These graceful nymphs portray human emotions. You seem them dancing, painting, holding a parrot, caressing a baby or scratching their backs or just undressing. These are not exclusive to Khajuraho as well as you can see them in several Hoysala temples as well besides others. And then you have scenes from day to day life. The book refers to them as ” secular sculptures.” Warriors, dancers, musicians are coupled with scenes of a royal court, a teacher and a pupil, a sculptor with his students and even funeral scenes .In addition to all of these, you also see mythical animals and even floral prints. Finally you see the famous erotic sculptures of Khajuraho. Mithunas mating to group sex to even scenes of unnatural sex. And while they do remain in your face, it is such a pity that we miss out the rest of art carved on these temples.
दूसरी श्रेणी वे हैं जिन्हें आप राहत और निशानों में देखते हैं और वे आम तौर पर उपस्थित लोगों, अभिभावकों, देवताओं, गांधारवासियों, शिव गणों, अन्य लोगों के बीच अशक्त दिकपालों का प्रतिनिधित्व करते हैं। तीसरा मेरा पसंदीदा है - अप्सरा, जिसे सपन सुंडारिस भी कहा जाता है। लगता है कि मूर्तिकारों ने विभिन्न गतिविधियों में इन सुंदर महिलाओं को दंगा करते हुए चलाया था। वे जीवन की तरह लग रहे हैं और सुंदर और हर मिनट विस्तार को महत्व दिया गया है। ये सुंदर अप्सराएँ मानवीय भावनाओं को चित्रित करती हैं। आप उन्हें नाचते हुए, पेंटिंग करते हुए, तोते को पकड़े हुए, एक बच्चे को दुलारते हुए या उनकी पीठ को खरोंचते हुए या बस अनिच्छुक लगते हैं। ये खजुराहो के लिए विशेष नहीं हैं और साथ ही आप इन्हें कई होयसला मंदिरों के अलावा अन्य लोगों में भी देख सकते हैं। और फिर आपके पास दिन-प्रतिदिन के जीवन के दृश्य हैं। पुस्तक उन्हें "धर्मनिरपेक्ष मूर्तियां" के रूप में संदर्भित करती है। योद्धाओं, नर्तकियों, संगीतकारों को एक शाही दरबार, एक शिक्षक और एक छात्र, उनके छात्रों के साथ एक मूर्तिकार और यहां तक ​​कि अंतिम संस्कार के दृश्यों के साथ जोड़ा जाता है। इन सबके अलावा, आप पौराणिक जानवरों और यहां तक ​​कि पुष्प वाटिका भी देखते हैं। अंत में आप खजुराहो की प्रसिद्ध कामुक मूर्तियां देखते हैं। अप्राकृतिक सेक्स के दृश्यों के लिए समूह सेक्स करने के लिए मिथुन और जब वे आपके चेहरे पर बने रहते हैं, तो यह ऐसी दया है कि हम इन मंदिरों पर नक्काशी की गई बाकी कला को याद करते हैं।


Note :-Share this information with everyone as much as possible. What is your opinion about khajuraho temple ? Please tell us in the comment box below. Your opinion is very important to us. Please Do not forget to like and share this information. On the right side, press the button of the bell to get new information of everyday.
ध्यान दें :- इस जानकारी को सभी के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। खजुराहो मंदिर के बारे में आपकी क्या राय है हमे नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस जानकारी को लाइक और शेयर करना ना भूले। दाईं ओर के, घंटी के बटन को दबाकर रोज नई जानकारी प्राप्त करे।

Brihadeshwara temple

Brihadeshwara temple
Brihadeshwara temple

Brihadeshwara temple

Brihadevar Temple is a very ancient temple. This temple was built in the beginning of the 11th century. Brihadevar Temple is a Hindu ancient temple located in Tanjore of Tamilnadu. This Bideshwar is known in the Tamil language as the Brihadeesvar. The Brihadevar Temple is completely constructed from ancient stone of 11th century.

बृहदेश्वर मन्दिर एक बहुत ही प्राचीन मन्दिर है इस मन्दिर को 11वीं सदी के आरम्भ में बनाया गया था बृहदेश्वर मन्दिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित एक हिंदू प्राचीन मंदिर है। इस बृहदेश्वर को तमिल भाषा में बृहदीश्वर के नाम से जाना जाता है। बृहदेश्वर मंदिर पूरी तरह से 11वीं सदी के प्राचीन पत्थर से नि‍र्मि‍त है।

Bideshwar Temple This temple in the world is the first and only temple of its kind, which is made up of ancient stone. This temple of Bhedeshwar attracts all the people of the world from its grandeur, architecture in the world. This temple has been declared UNESCO World Heritage.This Bhedeshwara temple was counted among the world's largest structures of its time. This bighthwara temple has thirteen floors of the building and the height of these thirteen floors is about 66 meters. This temple is dedicated to Lord Shiva's worship.

बृहदेश्वर मन्दिर विश्व में यह मन्दिर अपनी तरह का पहला और एकमात्र मंदिर है जो कि पूरा प्राचीन पत्थर का बना हुआ है। बृहदेश्वर का यह मन्दिर विश्व मेंअपनी भव्यता, वास्‍तुशिल्‍प से विश्व के सभी लोगों को आकर्षित करता है। इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। यह बृहदेश्वर मन्दिर अपने समय के विश्व के विशालतम संरचनाओं में गिना जाता था। इस बृहदेश्वर मन्दिर में तेरह मंजिलें भवन है और इन तेरह मंजिलों की ऊंचाई लगभग 66 मीटर है। यह बृहदेश्वर मन्दिर भगवान शिव की आराधना को समर्पित है।

Bhedeshwar temple art

This architecture of this bhedeshwar temple art is very amazing, because there is a stock of painting, dance, music, jewelery and engraving on this temple. This temple is an exemplary example of India's engraved Sanskrit and Tamil archive calligraphists. A very important feature of the art of the construction of this ancient temple is that the dome of this temple made in this temple does not fall on the earth. Swarnkalash is located on the summit. The stone on which the urn is located is estimated to have 2200 minds (80 tons) and it is made of the same stone. On seeing the ancient, massive Shivling of the temple, his Bhedeshwar name appears to be quite appropriate.

इस बृहदेश्वर मन्दिर कला की प्रत्येक वास्तुकला, बहुत ही अद्भुत है क्योंकि इस मन्दिर पर चित्रांकन, नृत्य, संगीत, आभूषण एवं उत्कीर्णकला का भंडार है। यह मंदिर भारत की उत्कीर्ण संस्कृत व तमिल पुरालेख सुलेखों का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस प्राचीन मंदिर के निर्माण की कला की एक बहुत ही मुख्य विशेषता यह है कि इस मन्दिर में बने इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती। शिखर पर स्वर्णकलश स्थित है। जिस पाषाण पर यह कलश स्थित है, अनुमानत: उसका भार 2200 मन (80 टन) है और यह एक ही पाषाण से बना है। मंदिर में स्थापित प्राचीन विशाल, भव्य शिवलिंग को देखने पर उनका बृहदेश्वर नाम सर्वथा उपयुक्त प्रतीत होता है।

statue of Nandi bull

Statue of Nandi bull

There is a statue of Nandi bull in the Brihadevar temple, and it is considered to be sacred among Hindus. It is believed that it is 16 feet in width and 13 feet in height. This statue of Nandi Bull is made by cutting a piece of the same rock and it is believed that its weight is approximately 25 tons. In the month of May, the annual festival is held in this Brihadheshwar temple. To see this annual festival, millions of people come here and join this annual festival. During this annual festival festival, aromatic Champak flowers are offered on the deity and bathing with water is also done.

बृहदेश्वर मंदिर में एक नंदी बैल की प्रतिमा है, और यह हिंदुओं के बीच बड़ा पवित्र माना जाता है।ऐसा माना जाता है कि इसका चौड़ाई में 16 फीट और ऊँचाई में 13 फीट है। नंदी बैल की इस प्रतिमा को एक ही चट्टान के टुकड़े को काटकर बनाया गया है और यह माना जाता है कि इसका वजन लगभग 25 टन है। मई के महीने में, इस बृहदेश्वर मंदिर में वार्षिक उत्सव आयोजित किया जाता है। इस वार्षिक उत्सव को देखने के लिए लाखो की संख्या में लोग यहाँ पर आते है और इस वार्षिक उत्सव में शामिल होते है। इस वार्षिक उत्सव त्योहार के दौरान, देवता पर खुशबूदार चम्पक फूल चढ़ाये जाते हैं और जल से स्नान भी कराया जाता है।

By the way, all the walls outside this temple will be seen to see many beautiful and beautiful statues. There is a huge statue of Lord Shiva of Trinatri (three-eyed) goddess inside the temple. In this statue of Lord Shiva, the third eye of Lord Shiva is shown off. There are 250 Lingongas (Lord Shiva's representative) in the entire complex of the temple. 108 dances performed by Lord Shiva, known as "Karma", are made in the form of an idol on the inner walls of the holy place of the temple.
The Brihadheshwar temple has a pillar room and a mass room, which is known as Mandap and several sub religious sites. The inner pavilion is the most important part of the temple. The mandaps have been divided into different levels with the help of statues and pillars. Statues of guardian of "Ashta-Dikkalakas" or directions are established in the Brahmadevar temple, which is one of the outstanding temples of India. Six feet tall statues of Agni, Varuna, Indra, Yama, Vayu, Ishan, Kuber and the south are set up in a separate temple.

वैसे तो इस मंदिर के बाहर की सभी दीवारों पर बहुत सी सूंदर-सूंदर मूर्तियाँ देखने को मिल जाएंगी। मंदिर के अन्दर त्रिनेत्री (तीन आँखों वाले) वाली भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। भगवान शिव की इस मूर्ति में भगवान शिव की तीसरी आंख बंद दर्शायी गई है। मंदिर के पूरे परिसर में 250 लिंगगण (भगवान शिव के प्रतिनिधि) हैं। भगवान शिव द्वारा किए गए 108 नृत्य, जिन्हें “कर्म” के रूप में जाना जाता है, मंदिर के पवित्र स्थल की आंतरिक दीवारों पर मूर्ति के रूप में बनाए गए हैं।
बृहदेश्वर मंदिर में एक स्तंभदार विशाल कक्ष और एक जनसमूह कक्ष है, जिसे मण्डप और कई उप धार्मिक-स्थलों के रूप में जाना जाता है। भीतरी मंडप मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। मण्डपों को मूर्तियों और स्तंभों की सहायता से विभिन्न स्तरों में विभाजित किया गया है। “अष्ट-दिक्पालकों” या दिशाओं के संरक्षक की मूर्तियां, ब्रह्देश्वर मंदिर में स्थापित हैं, जोकि भारत के नायाब मंदिरों में से एक है। अग्नि, वरुण, इंद्र, यम, वायु, ईशान, कुबेर और नैऋत की छह फुट ऊँची प्रतिमाओं को एक अलग मंदिर में स्थापित किया गया है।

The Brihadhevara temple is a very beautiful place built in inner type of temple. Which is approximately 250 meters long and 122 meters wide. Various types of events are organized in this Brihadheshwar temple to promote dance, art etc. In year 2010, a thousand years of construction of Brihadheshwar was completed.

बृहदेश्वर मंदिर एक बहुत बड़ी जगह में अंदरूनी प्रकार बनाया मंदिर है। जो लगभग २५० मीटर लम्बा और १२२ मीटर चौड़ा है। इस बृहदेश्वर मंदिर में नृत्य, कला आदि को बढावा देने के लिए विभिन प्रकार के आयोजन होते है। वर्ष 2010 में बृहदेश्वर के निर्माण के एक हजार वर्ष पूरे हो गए थे।

Note :- What is your opinion about Brihadeshwara temple? Please tell us in the comment box below. Your opinion is very important to us. Please Do not forget to like and share this information. On the right side, press the button of the bell to get information of new stories everyday.

ध्यान दें :-Brihadeshwara temple के बारे में आपकी क्या राय है हमे नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस जानकारी को लाइक और शेयर करना ना भूले। दाईं ओर के, घंटी के बटन को दबाकर रोज नई कहानियों की जानकारी प्राप्त करे।

cellular jail

cellular jail
cellular jail

This jail is located in Port Blair, the capital of the Andaman Nicobar Islands, thousands of kilometers away from India's land. It was created by the British for capturing the freedom fighters of the Indian freedom struggle, which was located thousands of kilometers away from the main India land, this jail is also known as Black Water.

यह जेल भारत की भूमि से हजारों किलोमीटर दूर अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनी हुई है। यह अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनाई गई थी, जो कि मुख्य भारत भूमि से हजारों किलोमीटर दूर स्थित थी, इस जेल काला पानी के नाम से भी जाना जाता है।

There was a time when the British ruled India, the British rule in India started oppressing Indians. Seeing the oppression of Indians, some Indians came out to fight against the British government. But he could not win this war, many times after that the Indians revolted against the English government but there was no special advantage. The British had completely made India their slaves after the 100 years of their rule, the British government felt that now they will remain their slaves for all their life and they will never be able to free themselves.

एक समय था जब भारत पर अंग्रेजों का शासन हुआ करता था, भारत में अंग्रेजों के शासन करने से भारतीयों पर जुल्म होना शुरू हो गए। भारतीयों पर हो रहे जुल्म को देखकर कुछ भारतीयों ने अंगेजी सरकार के खिलाफ जंग करने निकल पड़े। लेकिन वो इस जंग को जीत ना सके, इसके बाद कई बार भारतीयों ने अंगेजी सरकार के खिलाफ बगावत की लेकिन कोई भी खास फायदा नहीं हुआ। अंग्रेजों ने १०० साल की हकूमत के बाद भारत को पूरी तरह से अपना गुलाम बना लिया था, अंगेजी सरकार को लगने लगा था कि अब सभी भारतीय जिंदगी भर के लिए उनके गुलाम बने रहेंगे और कभी भी आजाद नहीं हो पाएंगे।

Then there was such a revolution in 1857. Which forced the British government to think of leaving India. After this, the British government continued to see many agitations against itself. To stop this movement, the British government thought of building a new jail to stop all the movements.

फिर १८५७ में एक ऐसी क्रन्ति हुई। जिसने अंगेजी सरकार को भारत छोड़ने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद रोज अंगेजी सरकार को अपने खिलाफ बहुत से आंदोलन देखने को मिलते रहे। इस आन्दोलनों को रोकने के लिए अंग्रेजी सरकार ने सभी आंदोलन रोकने के लिए अंग्रेजी सरकार ने एक नई जेल का निर्माण करने की सोची।

Then in 1896, the British government found a place which was thousands of kilometers away from India, and was in Port Blair, the capital of Andaman and Nicobar Islands. This place is also known in the name of black water in India. This prison has been built in 10 years, there are 694 rooms inside this jail. The purpose of building these cells was to stop the mutual interaction between the prisoners.

फिर 1896 में अंग्रेजी सरकार को एक ऐसी जगह मिली जो भारत से हजारों किलोमीटर दूर थी, और अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में थी। भारत में इस जगह को काला पानी के नाम से भी जाना जाता है यह जेल १० सालों में बनी, इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों के आपसी मेल जोल को रोकना था।


The prison is silent on the atrocities committed by the British government on India's freedom fighters. Like the Octopus, there are only three parts left in this vast prison spread in seven branches. The names of the brave martyrs are written on the walls of the prison. There is also a museum here which can see the weapons from which the freedom fighters were tortured.

अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सैनानियों पर किए गए अत्याचारों की मूक गवाह है यह जेल। आक्टोपस की तरह सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं। कारागार की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम लिखे हैं। यहां एक संग्रहालय भी है जहां उन अस्त्रों को देखा जा सकता है जिनसे स्वतंत्रता सैनानियों पर अत्याचार किए जाते थे।

When India became independent in 1947, political leaders wanted to preserve it as a history heritage. That is why in 1969 it was converted into a national monument. On March 10, 2006, the jail completed its construction centenary. Many famous prisoners were honored by the Government of India on this occasion.

जब भारत 1947 को आजाद हुआ तो राजनितिक नेता इसे इतिहास धरोहर के रूप में सुरक्षित रखना चाहते थे। इसीलिए 1969 में इसे राष्ट्रिय स्मारक में परिवर्तित कर दिया गया। 10 मार्च 2006 को जेल ने अपने निर्माण की शताब्दी पूरी की। इस अवसर पर बहुत से प्रसिद्ध कैदियों को भारत सरकार ने सम्मानित किया था।


Today people from all over the world go to see this prison. Even today, this jail hears the story of the atrocities committed by the British on the fighters of Indian freedom struggle.

आज दुनिया भर से लोग इस जेल को देखने जाते है। आज भी ये जेल अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों पर किये गए आत्याचारों की दास्तान सुनती है।

Note :- What is your opinion about cellular jail? Please tell us in the comment box below. Your opinion is very important to us. Please Do not forget to like and share this information. On the right side, press the button of the bell to get information of everyday.

ध्यान दें :-cellular jail के बारे में आपकी क्या राय है हमे नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस जानकारी को लाइक और शेयर करना ना भूले। दाईं ओर के, घंटी के बटन को दबाकर रोज नई जानकारी प्राप्त करे।

Akshardham Temple

अक्षरधाम मंदिर-Akshardham Temple

अक्षरधाम मंदिर,

नई दिल्ली में बना स्वामिनारायण अक्षरधाम मन्दिर एक अनोखा सांस्कृतिक तीर्थ मंदिर है। इसे ज्योतिर्धर भगवान स्वामिनारायण की पुण्य स्मृति में बनवाया गया है। यह मंदिर १०० एकड़ भूमि में फैला हुआ है।अक्षरधाम मंदिर दुनिया का सबसे विशाल हिंदू मन्दिर परिसर होने के नाते २६ दिसम्बर २००७ को यह गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स में शामिल किया गया।

Akshardham Temple,

Swaminarayan Akshardham Temple in New Delhi is a unique cultural pilgrimage temple. It is built in the pious memory of Jyotirdhar Lord Swaminarayan. The temple is spread over 100 acres of land. Akshardham Temple being the largest Hindu temple complex in the world, it was included in the Guinness Book of World Records on December 26, 2007.

मयूर द्वार-भारत का राष्ट्रीय पक्षी मयूर, अपने सौन्दर्य, संयम और शुचिता के प्रतीक रूप में भगवान को सदा ही प्रिय रहा है। यहां के स्वागत द्वार में परस्पर गुंथे हुए भव्य मयूर तोरण एवं कलामंडित स्तंभों के 869 मोर नृत्य कर रहे हैं यह शिल्पकला की अत्योत्तम कृति है।

Mayur(peacock) Gate - Mayur-(peacock), the national bird of India, has always loved God as a symbol of his beauty, self-control and purity. Here 869 peacocks of the magnificent peacock toran and ornamented pillars are dancing in the welcome door, this is the best work of art.

अक्षरधाम मन्दिर को गुलाबी, सफेद संगमरमर और बलुआ पत्थरों के मिश्रण से बनाया गया है। मन्दिर की दीवारों पर बनी सूंदर कलाएं है और मंदिर की दीवारों के चारों तरफ बनी हांथी की मूर्तियाँ इस मंदिर को और भी अदभुत बना देती है। इस मंदिर की ख़ास बात ये है, इस मंदिर को बनाने में स्टील, लोहे और कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया।

Akshardham Temple is built with a mixture of pink, white marble and sandstone. There are beautiful arts made on the walls of the temple and the sculptures of handi around the walls of the temple make this temple even more amazing. The special thing about this temple is, steel, iron and concrete were not used to build this temple.

अक्षरधाम मंदिर की मुख्य ईमारत एक सरोवर से घिरी हुई है जिसे नारायण सरोवर कहा जाता है, जिसमे देश की तक़रीबन 151 विशाल सरोवर और नदियों का पानी भरा हुआ है। सरोवर के पास ही में 108 गौमुख भी बने हुए है और माना जाता है की यह 108 गौमुख 108 हिन्दू भगवान का प्रतिनिधित्व करते है।

The main building of the Akshardham Temple is surrounded by a lake called Narayan Sarovar, which is filled with about 151 large water bodies and rivers in the country. 108 Gaumukh(Cow's mouth) is also built near the lake and it is believed that 108 Gaumukh(Cow's mouth)represents 108 Hindu God.

मंदिर को बनाने में लगभग पांच साल का समय लगा था। श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के प्रमुख स्वामी महाराज के नेतृत्व में इस मंदिर को बनाया गया था। करीब 100 एकड़ भूमि में फैले इस मंदिर को 11 हजार से ज्यादा कारीगरों की मदद से बनाया गया। पूरे मंदिर को पांच प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है। मंदिर में उच्च संरचना में 234 नक्काशीदार खंभे, 9 अलंकृत गुंबदों, 20 शिखर होने के साथ 20,000 मूर्तियां भी शामिल हैं। मंदिर में ऋषियों और संतों की प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है।

It took about five years to build the temple. This temple was built under the leadership of Swami Maharaj, the head of Sri Akshar Purushottam Swaminarayan Sanstha. Spread over 100 acres of land, this temple was built with the help of more than 11 thousand artisans. The entire temple is divided into five major parts. The temple consists of 20,000 sculptures with 234 carved pillars, 9 ornate domes, 20 shikhara in high structure. Statues of sages and saints have also been installed in the temple.

मिनारायण हिन्दू धर्म के अनुसार, अक्षरधाम शब्द का अर्थ होता है भगवान का वास और अनुयायियों द्वारा इसे पृथ्वी पर भगवान के एक अस्थायी घर के रूप में मन जाता है। ये मंदिर भगवान स्वामीनारायण (1781- 1830), जो हिन्दू धर्म के महान संत थे के लिए एक विनम्र श्रद्धांजलि है। अक्षरधाम मंदिर में 200 से अधिक मूर्तियां है, जो कई सदियों के आध्यात्मिक दिग्गजों का वर्णन करती है। अक्षरधाम मंदिर के आध्यात्मिक प्रतिज्ञा है की प्रत्येक आत्मा में परमात्मा विलीन है।

According to Minarayan Hinduism, the word Akshardham means the abode of God and is considered by the followers as a temporary home of God on earth. The temple is a humble tribute to Lord Swaminarayan (1781– 1830), a great saint of Hinduism. The Akshardham temple has more than 200 sculptures, which describe spiritual giants of many centuries. The spiritual vows of the Akshardham Temple are that the divine is dissolved in every soul.


इस मंदिर में 148 जीव अकार के हाथियों की प्रतिमाये है जिनके वजन लगभग 3000 टन है। मंदिर के मध्य गुबंद के नीचे स्वामीनारायण की 11 फुट (3.4m) ऊँची मूर्ति है जिसमे स्वामी जी मंदिर के समर्पण के लिए अभय मुद्रा में बैठे हुए है। स्वामिनारायण जी की मूर्ति के चारो ओर गुरुओं की आस्था के वंश की छवियाँ है जिनमे वे या तो भक्ति कर रहे है या सेवा की मुद्रा में विराजमान है। अक्षरधाम मंदिर की प्रत्येक मूर्ति पंच धातु और हिन्दू परंपरा के अनुसार पांच धातुओं से बनी है। मंदिर के भीतर सीता राम, राधा कृष्ण, शिव पार्वती और लक्छमी नारायण की मुर्तिया विराजमान है।

This temple has 148 Jeevakar statues of elephants weighing around 3000 tonnes. Under the central dome of the temple is an 11-foot (3.4m) tall statue of Swaminarayan in which Swamiji is seated in the Abhaya Mudra for the dedication of the temple. Around the statue of Swaminarayan ji there are images of the lineage of the faith of the gurus, in which they are either doing devotion or seated in the service posture. Each idol of Akshardham temple is made of five metals according to the Panch Dhatu and Hindu tradition. Murtia of Sita Ram, Radha Krishna, Shiva Parvati and Lakshmi Narayan is enshrined inside the temple.

मंदिर में प्रवेश और समय-Temple entry and time

मंदिर में प्रवेश फ्री है लेकिन अंदर जाने के अलग-अलग चार्ज हैं।मंदिर में अंदर जाने के लिए कुछ विशेष नियम भी बने हैं। प्रवेश करने के लिए ड्रेस कोड भी बना है। आपके कपड़े कंधे और घुटने तक ढके होने चाहिए। अगर आपने ऐसे कपड़े नहीं पहने हैं तो आप यहां 100 रुपये में कपड़े किराए पर भी ले सकते हैं।
अक्षरधाम मंदिर में आप मंगलवार से रविवार निर्धारित किये गए समय के अनुसार प्रवेश कर सकते है। मंदिर में सुबह 9:30am बजे से शाम 6:30pm बजे तक प्रवेश किया जा सकता है, परन्तु ध्यान रहे अक्षरधाम मंदिर सोमवार के दिन बंद रहता है। मंदिर परिसर में प्रवेश करने के लिए आपको समिति द्वारा निर्धारित किये गए शुल्क अदा करने होते है। मंदिर में कई स्थानो में प्रवेश के शुल्क देने होते है जिनके विवरण नीचे दिया गया है।

Entrance to the temple is free but there are different charges for entering. There are also some special rules for entering the temple. There is also a dress code to enter. Your clothes should be covered to the shoulders and knees. If you have not worn such clothes, then you can also rent clothes here for 100 rupees.
You can enter the Akshardham temple as per the scheduled time from Tuesday to Sunday. The temple can be entered from 9:30 am to 6:30 pm, but remember that the Akshardham temple remains closed on Monday. To enter the temple premises you have to pay the fees prescribed by the committee. In many places in the temple, fees for admission are to be given, whose details are given below.


Note :- What is your opinion about Akshardham Temple? Please tell us in the comment box below. Your opinion is very important to us. Please Do not forget to like and share this information. On the right side, press the button of the bell to get information of everyday.

ध्यान दें :- Akshardham Temple के बारे में आपकी क्या राय है हमे नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस जानकारी को लाइक और शेयर करना ना भूले। दाईं ओर के, घंटी के बटन को दबाकर रोज नई जानकारी प्राप्त करे।

हिम-मानव-Yeti

हिम मानव-Yeti

हिम मानव एक बर्फीले इलाके में रहने वाला विशाल खतरनाक जानवर है। जो सदियों से बर्फीले इलाके में रहते आ रहे है। आज इन्हें देखा पाना बहुत ही मुश्किल है क्योकि आज इनकी जनसंख्या बहुत कम रहा गई है। लेकिन शायद कभी ये एक बहुत बड़ी जनसंख्या में रहे होंगे। हिम मानव को दुनिया में बहुत सी अलग - अगल जगहों पर देखा गया है और इसे बहुत से अलग - अगल नाम दिए गए है। इस हिम मानव को अमेरिका में बिग फुट, ऑस्ट्रेलिया में यूवेई, इंडोनेशिया में साचारण भिगी, ब्राजील में मंपिंग गुड़ी, भारत और नेपाल में येति कहा जाता है। नेपाल में येति को राक्षस भी कहा जाता है।

Yeti is a large dangerous animal living in an icy area. that Have been living in icy areas for centuries. Today it is very difficult to see them because today their population is very less. But perhaps they may have lived in a much larger population. The Yeti has been seen in many different places in the world and has been given many different names. This Yeti is called Big Foot in the US, Yuwei in Australia, Saachran Bhigi in Indonesia, Mumping Gudi in Brazil, Yeti in India and Nepal. Yeti is also called a demon in Nepal.

हिम मानव ऐसा विशालकाय जीव जिसका शरीर बंदर जैसा होता है। लेकिन वह मानव की तरह दो पैरों पर चलता है। कहा जाता है वह सिर्फ बर्फीले इलाके में रहता है। यह सोचने वाली बात है आखिर वह बर्फ में जिंदा कैसे रहता है। ऐसा दावा किया गया है कि यति हिमायल के इलाकों में पाए जाने वाले जानवरों को मार कर खाता है। यह अधिकतर रात में शिकार करता है और दिन में सोता रहता है। यह रहस्यमय जीव 7 से 9 फुट लंबा दिखता है। इसका वजन करीब 200 किलो होने का अनुमान लगाया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये इंसानों की तरह दो पैरों पर चलता है। इसकी आंखें लाल अंगारे जैसी हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह जीव बर्फीले पहाड़ों की छिपी हुई गुफाओं में निवास करता है।

Yeti is a giant creature whose body is like a monkey. But he walks on two legs like a human. He is said to live only in an icy area. It is a matter of thinking how he stays alive in the snow. It has been claimed that Yeti kills animals found in the Himalayan areas. It hunts mostly at night and sleeps during the day. This mysterious creature looks 7 to 9 feet tall. Its weight is estimated to be around 200 kg. Its biggest feature is that it moves on two legs like humans. Its eyes are like red embers. It is said that this creature lives in hidden caves of snowy mountains.

हिम मानव लेकर सदियों से तमाम तरह की किस्से कहानियां सुनने को मिलती रही हैं। हिम मानव कई फिल्में बन चुकी हैं हिम मानव कई किताबें लिखी जा चुकी हैं कई बार बर्फीले इलाके में इसकी खोज भी की जा चुकी है। भारत, नेपाल और तिब्बत के बर्फीले क्षेत्रों में इस रहस्यमयी हिम मानव की मौजूदगी को लेकर यदाकदा चर्चा होती रहती है। येति नाम से प्रसिद्ध इस हिम मानव को सैकड़ों लोगों द्वारा देखे जाने का दावा किया जाता रहा है। इस हिम मानव के बारे में जानने की लगातार कोशिश होती रही है। लेकिन अब इस पर से पर्दा उठता नजर आ रहा है। इसके देखे जाने का दावा सिर्फ एशिया नहीं है बल्कि दुनिया भर में सैकड़ों वर्षों किया जाता रहा है।

All kinds of stories have been heard for centuries with Yeti. Many movies have been made by Yeti, many books have been written and many times it has been discovered in the snowy area. There is occasional discussion about the presence of this mysterious Yeti in the snowy regions of India, Nepal and Tibet. This Yeti known as Yeti has been claimed to be seen by hundreds of people. There has been a continuous effort to know about this Yeti. But now the curtain seems to be rising from this. Its claim to be seen is not just Asia but has been done hundreds of years across the world.

पहली बार 1832 में देखे जाने का दावा

सबसे पहले हिम मानव के बारे जानकारी तब मिली जब 1832 में बंगाल की एशियाटिक सोसायटी के जर्नल में एक पर्वतारोही बीएच होजशन ने यति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने लिखा की जब वह हिमालय में ट्रेकिंग कर रहे थे तब उनके गाइड ने एक विशालकाय प्राणी को देखा। जो इंसानों की तरह दो पैरों पर चल रहा था। जिसके शरीर पर घने लंबे बाल थे। लेकिन होजशन खुद उस प्राणी को नहीं देखा था। लेकिन उन्होंने इस घटना का जिक्र करते हुए उस जीव को यति नाम दिया। इस तरह की कई सबूत सामने आए हैं।

Claimed to be first seen in 1832

The first information about the Yeti was found when BH Hoshan, a mountaineer in the Journal of the Asiatic Society of Bengal, gave information about the Yeti in 1832. He wrote that while he was trekking in the Himalayas, his guide saw a giant creature. Who was walking on two legs like humans. Who had thick long hair on his body. But Hodashan himself did not see that creature. But he named the creature as Yeti, referring to this incident. Many such evidences have been revealed.


हिम मानव ऐसा विशालकाय जीव जिसका शरीर बंदर जैसा होता है। लेकिन वह मानव की तरह दो पैरों पर चलता है। कहा जाता है वह सिर्फ बर्फीले इलाके में रहता है। यह सोचने वाली बात है आखिर वह बर्फ में जिंदा कैसे रहता है। ऐसा दावा किया गया है कि यति हिमायल के इलाकों में पाए जाने वाले जानवरों को मार कर खाता है। यह अधिकतर रात में शिकार करता है और दिन में सोता रहता है। यह रहस्यमय जीव 7 से 9 फुट लंबा दिखता है। इसका वजन करीब 200 किलो होने का अनुमान लगाया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये इंसानों की तरह दो पैरों पर चलता है। इसकी आंखें लाल अंगारे जैसी हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह जीव बर्फीले पहाड़ों की छिपी हुई गुफाओं में निवास करता है।

Yeti is a giant creature whose body is like a monkey. But he walks on two legs like a human. He is said to live only in an icy area. It is a matter of thinking how he stays alive in the Yeti. It has been claimed that Yeti kills animals found in the Himalayan areas. It hunts mostly at night and sleeps during the day. This mysterious creature looks 7 to 9 feet tall. Its weight is estimated to be around 200 kg. Its biggest feature is that it moves on two legs like humans. Its eyes are like red embers. It is said that this creature lives in hidden caves of Yeti mountains.

सन् 1925 में पेशेवर फोटोग्राफर तथा रायल जिओग्राफिकल सोसायटी के सदस्य एम.ए. टोमबाजी ने लिखा कि उन्होंने जेमू ग्लेशियर (कंगचनजंघा पर्वत माला) के पास 15,000 फुट की ऊँचाई पर बालों से ढ़का एक विशालकाय प्राणी देखा है। टोमबाजी ने स्पष्ट रूप लिखा है कि उन्होंने उसे लगभग 200 मीटर दूरी से देखा। वे एक मिनट तक उसे निहारते रहे। उसकी शारीरिक बनावट पूरी तरह से इंसानी थी, लेकिन शरीर पर बहुत अधिक मात्रा में बाल थे। उसके तन पर कपड़े जैसी कोई चीज नहीं थी।

In 1925, a professional photographer and a member of the Royal Geographical Society, MA. Tombaji wrote that he has seen a giant creature covered with hair at a height of 15,000 feet near the Gemu Glacier (Kangchenjunga mountain range). Tombaji clearly states that he saw her from a distance of about 200 meters. They stared at him for a minute. His body was completely human, but there was a lot of hair on his body. There was no such thing as clothes on his body.


19 मार्च 1954 को अंग्रेजी अखबार ‘डेली मेल’ में एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें इस मसले पर वैज्ञानिक नजरिए से प्रकाश डाला गया था। असल में वहाँ के प्रोफेसर फ्रेडरिक वुड जोन्स ने यति के बालों के माइक्रोफोटोग्राफ का परीक्षण किया था। उनकी तुलना भालू और दूसरे पहाड़ी जानवरों के बालों से की गई, लेकिन इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सका कि आखिर ये बाल किसके हैं।

On 19 March 1954, an article was published in the English newspaper 'Daily Mail', which highlighted the issue from a scientific perspective. Actually, Professor Frederick Wood Jones tested a microphotograph of Yeti's hair. They were compared to the hair of bears and other mountain animals, but the conclusion could not be reached as to who those hairs belonged to.

इसी तरह येति या हिममानव और मानव की मुलाकातों के कई किस्से हिमालय पर्वतों के अनुभवी बूढ़े सुनाया करते हैं। भूटान में कुछ बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनके लिए हिममानव कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उनके मुताबित, उनके जमाने में हिममानव दिखना सामान्य बात थी। 77 साल के सोनम दोरजी का कहना है कि हिममानव का इतिहास सदियों पुराना है और वे आज भी मौजूद हैं।

In the same way, many stories of Yethi or Yeti and human interaction are experienced by old people of Himalayan mountains. There are some elders in Bhutan for whom the Yeti is no surprise. According to him, it was normal to see Yeti in his time. 77-year-old Sonam Dorji says that the history of the Yeti is centuries old and they still exist today.

Note :- What is your opinion about Yeti? Please tell us in the comment box below. Your opinion is very important to us. Please Do not forget to like and share this information. On the right side, press the button of the bell to get information of everyday.

ध्यान दें :- -हिम-मानव के बारे में आपकी क्या राय है हमे नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस जानकारी को लाइक और शेयर करना ना भूले। दाईं ओर के, घंटी के बटन को दबाकर रोज नई जानकारी प्राप्त करे।