This jail is located in Port Blair, the capital of the Andaman Nicobar Islands, thousands of kilometers away from India's land. It was created by the British for capturing the freedom fighters of the Indian freedom struggle, which was located thousands of kilometers away from the main India land, this jail is also known as Black Water.
यह जेल भारत की भूमि से हजारों किलोमीटर दूर अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनी हुई है। यह अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनाई गई थी, जो कि मुख्य भारत भूमि से हजारों किलोमीटर दूर स्थित थी, इस जेल काला पानी के नाम से भी जाना जाता है।
There was a time when the British ruled India, the British rule in India started oppressing Indians. Seeing the oppression of Indians, some Indians came out to fight against the British government. But he could not win this war, many times after that the Indians revolted against the English government but there was no special advantage. The British had completely made India their slaves after the 100 years of their rule, the British government felt that now they will remain their slaves for all their life and they will never be able to free themselves.
एक समय था जब भारत पर अंग्रेजों का शासन हुआ करता था, भारत में अंग्रेजों के शासन करने से भारतीयों पर जुल्म होना शुरू हो गए। भारतीयों पर हो रहे जुल्म को देखकर कुछ भारतीयों ने अंगेजी सरकार के खिलाफ जंग करने निकल पड़े। लेकिन वो इस जंग को जीत ना सके, इसके बाद कई बार भारतीयों ने अंगेजी सरकार के खिलाफ बगावत की लेकिन कोई भी खास फायदा नहीं हुआ। अंग्रेजों ने १०० साल की हकूमत के बाद भारत को पूरी तरह से अपना गुलाम बना लिया था, अंगेजी सरकार को लगने लगा था कि अब सभी भारतीय जिंदगी भर के लिए उनके गुलाम बने रहेंगे और कभी भी आजाद नहीं हो पाएंगे।
Then there was such a revolution in 1857. Which forced the British government to think of leaving India. After this, the British government continued to see many agitations against itself. To stop this movement, the British government thought of building a new jail to stop all the movements.
फिर १८५७ में एक ऐसी क्रन्ति हुई। जिसने अंगेजी सरकार को भारत छोड़ने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद रोज अंगेजी सरकार को अपने खिलाफ बहुत से आंदोलन देखने को मिलते रहे। इस आन्दोलनों को रोकने के लिए अंग्रेजी सरकार ने सभी आंदोलन रोकने के लिए अंग्रेजी सरकार ने एक नई जेल का निर्माण करने की सोची।
Then in 1896, the British government found a place which was thousands of kilometers away from India, and was in Port Blair, the capital of Andaman and Nicobar Islands. This place is also known in the name of black water in India. This prison has been built in 10 years, there are 694 rooms inside this jail. The purpose of building these cells was to stop the mutual interaction between the prisoners.
फिर 1896 में अंग्रेजी सरकार को एक ऐसी जगह मिली जो भारत से हजारों किलोमीटर दूर थी, और अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में थी। भारत में इस जगह को काला पानी के नाम से भी जाना जाता है यह जेल १० सालों में बनी, इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों के आपसी मेल जोल को रोकना था।
The prison is silent on the atrocities committed by the British government on India's freedom fighters. Like the Octopus, there are only three parts left in this vast prison spread in seven branches. The names of the brave martyrs are written on the walls of the prison. There is also a museum here which can see the weapons from which the freedom fighters were tortured.
अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सैनानियों पर किए गए अत्याचारों की मूक गवाह है यह जेल। आक्टोपस की तरह सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं। कारागार की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम लिखे हैं। यहां एक संग्रहालय भी है जहां उन अस्त्रों को देखा जा सकता है जिनसे स्वतंत्रता सैनानियों पर अत्याचार किए जाते थे।
When India became independent in 1947, political leaders wanted to preserve it as a history heritage. That is why in 1969 it was converted into a national monument. On March 10, 2006, the jail completed its construction centenary. Many famous prisoners were honored by the Government of India on this occasion.
जब भारत 1947 को आजाद हुआ तो राजनितिक नेता इसे इतिहास धरोहर के रूप में सुरक्षित रखना चाहते थे। इसीलिए 1969 में इसे राष्ट्रिय स्मारक में परिवर्तित कर दिया गया। 10 मार्च 2006 को जेल ने अपने निर्माण की शताब्दी पूरी की। इस अवसर पर बहुत से प्रसिद्ध कैदियों को भारत सरकार ने सम्मानित किया था।
Today people from all over the world go to see this prison. Even today, this jail hears the story of the atrocities committed by the British on the fighters of Indian freedom struggle.
आज दुनिया भर से लोग इस जेल को देखने जाते है। आज भी ये जेल अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों पर किये गए आत्याचारों की दास्तान सुनती है।
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