Amer Fort-आमेर किला

Amer Fort-आमेर किला

The Amer Fort is located in the Amber region of Jaipur, the capital of the Rajasthan state of India. This fort is situated on a very large mountain. This fort of Amer is the main attraction of the tourist. This fort is so beautiful due to which many films have been shot in this fort. This fort also has a very old history.
An average of 4000-5000 tourists visit this amazing fort here every day. In 2005, more than 80 elephants are also reported to be living in the premises of the fort.

आमेर किला भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के आमेर क्षेत्र में स्थित है। यह किला एक बहुत बड़े विशाल पहाड़ पर स्थित है। आमेर का यह किला पर्यटक का मुख्य आकर्षण है। यह किला इतना सूंदर है जिसके कारण इस किले में बहुत सी फिल्में शूट की जा चुकी है। इस किले का भी एक बहुत ही पुराना इतिहास रह चूका है।
एक औसतन 4000-5000 पर्यटक इस अद्भुत किले को हर दिन यहाँ देखने आते है. 2005 में किले के परिसर में 80 से अधिक हाथियों के रहने की भी सूचना है।

Amer is a suburb located within the Jaipur city limits, it was inhabited by Meena Raja Alan Singh, the city has been present since at least 967 AD, it was conquered by the Kachwaha dynasty of the Rajput caste in 1037 AD. At the time when this fort was built, artistic paintings were made on the walls of this fort and it is said that the art of those great artisans became so enraged by the Mughal emperor Jahangir that he got these paintings plastered. These pictures are now visible due to gradual crushing of plaster.

आमेर जयपुर नगर सीमा में ही स्थित उपनगर है, इसे मीणा राजा आलन सिंह ने बसाया था, कम से कम 967 ईस्वी से यह नगर मौजूद रहा है, इसे 1037 ईस्वी में राजपूत जाति के कछवाह वंश ने जीत लिया था। जिस समय इस किले बनाया गया था उस समय इस किले की दीवारों पर कलात्मक चित्र बनाए गए थे और कहते हैं कि उन महान कारीगरों की कला से मुगल बादशाह जहांगीर इतना नाराज़ हो गया कि उसने इन चित्रों पर प्लास्टर करवा दिया। ये चित्र धीरे-धीरे प्लास्टर उखड़ने से अब दिखाई देने लगे हैं।

The complex of the fort is decorated with red sandstone and marble which includes - Diwan-i-Aam or "Hall of Public Viewers", Diwan-i-Khas or "Hall of Private Audiences", Sheesh Mahal (Darpan Mahal) or Jai Mandir and Sukh Niwas.

किले के परिसर को लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से सजाया गया है जिसमें शामिल है - दीवान-ए-आम या "सार्वजनिक दर्शको का हॉल" , दीवान-ए-खास या "निजी दर्शकों का हॉल", शीश महल ( दर्पण महल) या जय मंदिर और सुख निवास।



Looking at this fort from outside, it seems like a rocky fort but the interior of this fort has made its construction very beautiful and amazing. It includes a spacious hall, royal designed palaces, beautiful temples and a beautiful green grass garden. The architecture of the fort is the perfect combination of Hindu and Mughal style. The interior work is decorated with magnificent mirrors, paintings and carvings. Perhaps this is the reason that the famous fort here still invites the producers of historical films to shoot.

इस किले को बाहर से देखने पर ये एक चट्टानी किला लगता है लेकिन इस किले के अंदर के इंटीरियर ने इसके निर्माण को बहुत सूंदर और अद्भुत बना दिया है। इसमें विशाल हॉल, शाही ढंग से डिजाइन किए गए महल, सुंदर मंदिर और बहुत खूबसूरत हरी घास का उद्यान शामिल है। किले की वास्तुकला हिंदू और मुगल शैली का सही संयोजन है. अंदरूनी काम को शानदार दर्पण, पेंटिंग और नक्काशियों के साथ सजाया गया है। शायद यही वजह है की यहाँ का प्रसिद्ध दुर्ग आज भी ऐतिहासिक फिल्मों के निर्माताओं को शूटिंग के लिए आमंत्रित करता है।

The fort was built by Raja Man Singh in 1592 AD and for the next 150 years his successors worked to expand and renovate the fort. Earlier this place was named Kadimi Mahal which is the oldest palace in India. The palace also has a small temple dedicated to her patron goddess 'Sheela Mata' which was built by Raja Man Singh. Even after the destruction of many old structures and the construction of many new structures, this fort still stands gracefully in the face of many obstacles.

1592 ई में राजा मान सिंह ने किले का निर्माण किया था और अगले 150 वर्षों उनके उत्तराधिकारियों ने इस किले का विस्तार और नवीकरण का काम किया। पहले इस जगह का नाम कदीमी महल था जो भारत का सबसे पुराना महल है। इस महल में उनकी संरक्षक देवी ‘शीला माता’ को समर्पित एक छोटा मंदिर भी है जिसको राजा मान सिंह द्वारा बनाया गया था। कई पुरानी संरचनाओं के नष्ट होने बाद और कई नई संरचनाओं के निर्माण बाद भी आज भी यह किला कई बाधाओं का सामना करते हुए बड़ी ही शान से खड़ा हुआ है।

The Amer Fort is built in the traditional Hindu and Rajputana style, which is built of marble and red sandstone. In this fort you will see pictures of ancient hunting styles and important Rajput rulers. This fort of Amer is divided into four parts, each with its own separate entrance and courtyard decorated with traditional Hindu and Rajputana style. The main gate of this fort is called 'Suraj Pol' or Surya Door which leads to the main courtyard. Situated on the east side, this entrance gate is named due to its position in relation to the rising sun. With the help of stairs in this fort you reach an impressive courtyard called 'Jaleb Chowk' in the palace complex. These steps lead to the Sitla Mata temple. Jaleb Chowk was used by the army to re-display its wartime hours where women could only see it through windows.

आमेर का किला पारंपरिक हिंदू और राजपुताना शैली में बना हुआ है, जिसको संगमरमर और लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। इस किले में आपको प्राचीन शिकार शैलियों और महत्वपूर्ण राजपूत शासकों के चित्र देखने को मिलेंगे। आमेर का यह किला चार भागों में विभाजित है जिसका प्रत्येक भाग अपने अलग प्रवेश द्वार और आंगन पारंपरिक हिंदू और राजपुताना शैली से सजा हुआ है। इस किले के मुख्य द्वार को ‘सूरज पोल’ या सूर्य द्वार कहा जाता है जो मुख्य प्रांगण की ओर जाता है। पूर्व की ओर स्थित इस प्रवेश द्वार का नाम सूर्य द्वार उगते सूर्य के संबंध में इसकी स्थिति की वजह से पड़ा है। इस किले में सीढ़ियों की मदद से आप महल परिसर में ‘जलेब चौक’ नामक एक प्रभावशाली प्रांगण की तरफ पहुँच जाते हैं। यह सीढ़ियाँ सीतला माता मंदिर की ओर जाती हैं। जलेब चौक का उपयोग सेना द्वारा अपने युद्ध के समय को फिर से प्रदर्शित करने के लिए किया गया था जहां महिलाओं को केवल खिड़कियों के माध्यम इसे देख सकती थी।


Diwan-i-Aam-

This is the most important part of the fort where the king used to listen to the plea of ​​the general public. And he used to narrate his decision as well and he used to meet the officials as well. The influence of style at that time on the walls of Diwan-i-Aam can be clearly seen. Which is revealed by the carving of the flowers on the marble. The architecture which is the perfect combination of Hindu and Mughal style. This hall decorated with extensive mosaic glasswork with beautiful paintings and carvings stands on two pillars with elephants supported. Sukh Niwas is located opposite the Diwan-e-Aam, whose doors are decorated with elephant teeth.

दीवान-ए-आम-

यह किले का वो सबसे मह्त्वपूर्ण हिस्सा है जहाँ पर राजा आम जनता की फरियाद सुनते थे। और अपना फैसले भी सुनाया करते थे साथ ही वो अधिकारियों से भी मिलते थे। दीवान-ए-आम की दीवारों पर उस समय शैली के प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जो संगमरमर पर की गई फूलों की नक्काशी से पता चलती है। जो वास्तुकला हिंदू और मुगल शैली का सही संयोजन है। सूंदर पेंटिंग और नक्काशियों के साथ व्यापक मोज़ेक ग्लासवर्क से सजा हुआ यह हाल हाथियों के साथ दो स्तंभों के समर्थन पर खड़ा है। दीवान ए आम के सामने सुख निवास स्थित है जिसके दरवाजों को हाथी के दांतों से सजाया गया है।


mirrors palace-

This is the most important part of the fort, people come from all over the country especially to see this fort. mirrors palace is one of the most prominent attractions of Amber Fort. Which is made up of beautiful and naive mirrors. This palace has been constructed in such a way that as soon as some rays of light fall on this palace, the entire hall is filled with light. It is also said that only one candle light is enough to illuminate this hall.

शीश महल-

यह किले का वो सबसे मह्त्वपूर्ण हिस्सा है जिसे देखने के लिए लोग देश भर से विशेष रूप से इस किले में आते है। शीश महल आमेर किले का एक सबसे प्रमुख आकर्षण है। जो सूंदर और नायब दर्पणों से मिलकर बना है। इस महल का निर्माण इस तरह से किया गया है कि जैसे ही प्रकाश की कुछ किरणों इस महल पर पड़ते ही पूरा हाल उजाले से भर जाता है। ऐसा भी बताया जाता है कि इस हाल को प्रकाशित करने के लिए सिर्फ एक ही मोमबत्ती की रोशनी ही काफी है।

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