The city of Gwalior is known for many historical places. These are the names of historical places. Gwalior Fort, Sun temple, Tomb and Scindia palace are famous for Maharaj Bada and some other historical places. This is a small and well organized city. But the level of pollution is higher today.
ग्वालियर शहर बहुत से ऐतिहासिक स्थानों के लिए जाना जाता है। इन ऐतिहासिक स्थानों के नाम है। ग्वालियर किले, सूर्य मंदिर, मकबरे और सिंधिया महल, महराज बड़ा और कुछ और ऐतिहासिक स्थानों के लिए प्रसिद्ध है। यह छोटा और सुव्यवस्थित शहर है। लेकिन प्रदूषण का स्तर आजकल अधिक है।
The history of Gwalior was established in the 8th century AD. Many years ago when a major disease, known as Suraj Sen, was suffering from a fatal illness and was cured by a sadistic Saint Gwalipa. In the form of gratitude for that incident, he established this city by his name. The new city of Gwalior has existed for centuries.
ग्वालियर के इतिहास का पता 8 वीं शताब्दी ईस्वी में लगाया गया था। आज से कई सालों पहले जब सूरज सेन के रूप में जाना जाने वाला एक प्रमुख रोग एक घातक बीमारी से पीड़ित था और एक साधु संत ग्वालिपा द्वारा ठीक किया गया था। उस घटना के लिए आभार के रूप में, उन्होंने अपने नाम से इस शहर की स्थापना की। ग्वालियर का नया शहर सदियों से अस्तित्व में है।
Gwalior Fort is visible from every direction of Gwalior city. This fort of Gwalior is built on a very high mountain of fort. Like all the forts built in the world, this fort has its own history. Today, the mountain on which this fort is situated, a beautiful city has been located around that mountain.While going inside this fort, a beautiful idol made of Jain religion is seen on the walls of the fort. Which has become very old. But today it looks very beautiful.
ग्वालियर किला ग्वालियर शहर की हर दिशा से दिखाई देता है। ग्वालियर का यह किला की बहुत ही ऊँचे पहाड़ पर बना हुआ है। दुनियाँ में बने सभी किलों की तरह इस किले का भी अपना ही एक इतिहास है। आज जिस पहाड़ पर ये किला है, उस पहाड़ के चारों तरफ एक सूंदर शहर स्थित हो गया है। इस किले के भीतर जाते समय किले की दीवारों पर जैन धर्म की बनी सूंदर मूर्ति देखने को मिलती है। जो बहुत ही पूरानी हो चुकी है। लेकिन आज भी बहुत सूंदर दिखाई देती है।
It is said that these statues, made from cuttings from within the mountain, are up to 57 feet in length. Around 1500 statues can be found on this mountain. These are very artistic in seeing the idol. Most of these statues were constructed during the period (1341-1479). Most of the idols were made of tomar dynasty. Who used to rule this fort at that time.
बताया जाता है की पर्वत को भीतर से काटकर बनाई गई इन मूर्तियों की लम्बाई ५७ फ़ीट तक है। इस पर्वत पर लगभग १५०० मूर्तियाँ देखने को मिल सकती है। ये सभी मूर्ति देखने में बहुत ही कलात्मक हैं। इनमे से ज्यादातर मूर्तियों का निर्माण (1341-1479) के काल में हुआ था। और ज्यादातर मूर्तियों का निर्माण तोमर वंश ने करवाया था। जो उस समय इस किले पर राज किया करते थे।
There is a very interesting story about these sculptures cut down hill cliffs. When Babar attacked this fort in 1527. Babur won this fort. After the fort, when Babar saw these statues made of cutting the mountain cliffs which were all around. Babar ordered his soldiers to break statues. According to Babar's orders Babar's soldiers started idols. The soldiers had started to break statues. Then there was such a miracle that due to which all the soldiers who had come to break statues had to run back. Even today the idols of the idols that were broken during the Mughals period, the broken pieces of those idols still appear spread all over the fort.
पहाड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई इन मूर्तियों के बारे में एक बहुत ही दिलचप कहानी सुनाई जाती है। जब १५२७ में बाबर ने इस किले पर हमला किया। बाबर ने इस किले को जीत लिया। किले को जितने के बाद जब बाबर ने पहाड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई इन मूर्तियों देखा जो की चारो तरफ थी। तो बाबर ने अपने सैनिकों को मूर्तियों को तोड़ने का आदेश दिया। बाबर के आदेश अनुसार बाबर के सैनिको ने मूर्तियों को शुरू कर दिया। सैनिको ने मूर्तियों को तोड़ना शुरू किया ही था। की तभी एक ऐसा चमत्कार हुआ जिसकी वजह से मूर्तियों को तोड़ना आये सभी सैनिको को वापस भागना पड़ा। आज भी मुगलों के काल में जिन मूर्तियों तोड़ दिया गया था, उन मूर्तियों के टूटे हुए टुकड़े आज भी किले में चारों तरफ फैले हुए दिखाई देते हैं।
Made up of the mountain. This fort is a very fine artisan sample. The area of this fort is about 3 kilometers. Due to which this fort has been divided into two parts. The first part was "Gujari Mahal" which was built only for Queen Mraganayani. And the second part is "Maan Mandir" The oldest documents related to "Zero" on this fort are found in the temple of the fort. Those who were more than 1500 years old.
पहाड़ के ऊपर बना हुआ। यह किला एक बहुत ही बेहतरीन कारीगिरी का नमूना है। इस किले का क्षेत्रफल लगभग ३ किलोमीटर है। जिसके कारण इस किले को दो भागों में बाँटा गया है। पहला भाग ” गुजरी महल” जो की सिर्फ रानी मृगनयनी के लिए बनवाया गया था। और दूसरा भाग है “मान मंदिर” इसी किले पर “शून्य” से जुड़े हुए सबसे पुराने दस्तावेज किले के मंदिर में मिले। जो की करीब 1500 साल से भी ज्यादा पुराने थे।
On this fort many Rajput kings, Mughals and the British ruled this fort for a very long time. Because of this he built many new places in this fort. After all this, many changes were seen from time to time in this fort.
इस किले पर बहुत से राजपूत राजाओं, मुगलों और अंग्रेजों ने बहुत लम्बे समय तक इस किले पर राज किया है। जिसके कारण उन्होंने इस किले में बहुत से नए-नए स्थानों का निर्माण करवाया। इन सबके बाद भी इस किले में बहुत से बदलाव समय-समय पर देखने को मिलते रहे।
This fort was the first king. His name was Suraj Sen, an ancient 'Suraj Kund' in his name is located on the fort. It was constructed by Man Singh Tomar in the 8th century. Then as time went on. By the way, many kings went to rule this fort. There is a Gujari Mahal in this fort. Which is very much below the height of the fort. This palace was built for Queen Mraganayani.
इस किले के जो पहले राजा थे। उनका नाम सूरज सेन था, उनके नाम का एक प्राचीन 'सूरज कुण्ड' किले पर स्थित है। इसका निर्माण ८ वीं शताब्दी में मान सिंह तोमर ने किया था। फिर जैसे-जैसे समय बीतता गया। वैसे-वैसे बहुत से राजा इस किले पर राज करते चले गए। इस किले में एक गुजरी महल है। जो किले की ऊँचाई से बहुत नीचे बना हुआ है। इस महल का निर्माण रानी मृगनयनी के लिए कराया गया था।
Queen Mraganayani was the wife of Raja Man Singh. Which was a buzzword. Due to this the name of this palace was named Gujari Mahal. Gujri Mahal is one of the famous archaeological museums of India. This building was in a very beautiful palace in its real time. There are many galleries in this Gujari palace and more than 9000 artifacts. There are also many centenary works of art here. Apart from this, the centuries old monuments, gems, iron objects, weapons, statues, inscriptions, pottery, paintings, beautiful shapes made on stone etc. See here.
रानी मृगनयनी, राजा मान सिंह की पत्नी थी। जो एक गूजर थी। इस कारण इस महल का नाम गुजरी महल पड़ा। गुजरी महल भारत के प्रसिद्ध पुरातात्विक संग्रहालयों में से एक है। यह इमारत अपने वास्तविक समय में एक बहुत ही सूंदर महल में थी। इस गुजरी महल में बहुत सी गैलरियां और 9000 से भी ज्यादा कलाकृतियाँ हैं। यहाँ पर कई शताब्दी कलाकृतियाँ भी हैं। इसके अलावा यहाँ पर शताब्दी पुराने मूल्यवान पत्थर, रत्न, लोहे की वस्तुएं, हथियार, मूर्तियाँ, शिलालेख, मिट्टी के बर्तन,पेंटिंग्स, पत्थर पर बनाई गई सुन्दर आकृतियाँ आदि। यहाँ पर देखने को मिलते है।
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