Unfinished building made of Jinnats. Based on the true event. -जिन्नातों की बनी हुई अधूरी इमारत। सच्ची घटना पर आधारित।

Jinni's incomplete building

Unfinished building made of Jinnats. Based on the true event. -जिन्नातों की बनी हुई अधूरी इमारत। सच्ची घटना पर आधारित।

Almost even today many people like to hear stories of ghosts and jinns. Due to this, people still have the keenness to know and understand people about the ghosts and jinns.Because many people around the world believe that ghosts and jinns are still moving along with our world today. Although the stories of ghosts and genitals are being heard for centuries and it is famous all over the world,

लगभग आज भी बहुत से लोगों को भूत-प्रेतों और जिन्नतों की कहानियाँ सुनना पसंद करते है। जिसके कारण लोगों भूत-प्रेतों और जिन्नतों के बारे में लोगों को जानने और उसे समझने की उत्सुकता आज भी कायम है। क्योकि दुनिया भर के बहुत से लोगों का मानना है की भूत-प्रेतों और जिन्नतों का हमारी दुनियाँ के साथ आज भी आना-जाना लगा हुआ है। वैसे तो भूत-प्रेतों और जिन्नतों की कहानियाँ सदियों से सुनाई जा रही है और यह दुनिया भर में मशहूर है।

We are going to tell you about one of the stories of ghosts and jinns. And these stories are being heard for centuries. This story is from Bulandshahar. Which is 84 km from India's capital Delhi is far. The small town of Bulandshahar is Shikarpur. Where there is a building called Barakhhandha which was built by the jinns.

भूत-प्रेतों और जिन्नतों की सभी कहानियों में से एक कहानी के बारे में हम आपको बताने जा रहे है। और ये कहानी सदियों से सुनाई जा रही है। यह कहानी बुलंदशहर की है। जो भारत की राजधानी दिल्ली से 84 किमी. दूर है। बुलंदशहर का छोटा सा कस्बा है शिकारपुर। जहाँ बारहखंभा नाम की एक ऐसी इमारत स्थित है जिसे जिन्नतों ने बनाया था।

it was built around 700-800 years ago by the Jinni's. But for some reason he could not complete it. It is believed that the reason for not being able to complete the construction was because of which a woman was buried by the jinns here. Such people believe that the grave of that woman slipped from one place to the other. When people went and saw the way under the grave, there was a way. Seeing the path beneath the grave, people felt that this path of the grave goes to the jinns.

इस का निर्माण करीब 700-800 साल पहले जिन्नातों ने शुरू किया था। लेकिन किसी वजह से वो इसे पूरा नहीं कर पाए। माना जाता है कि निर्माण पूरा ना कर पाने की वजह एक महिला थी जिसके करण उस महिला को जिन्नातों ने यहाँ लाकर दफन किया था। ऐसी लोगों की मान्यता है कि उस महिला की कब्र एक रात अचानक से अपनी जगह से खिसक गई। जब लोगों ने जाकर देखा तो कब्र के नीचे रास्ता था। कब्र के नीचे रास्ता देखकर लोगों को ऐसा लगा की शायद कब्र का यह रास्ता जिन्नातों तक जाता है।

The building that was being made of jinn was named as Barhkhambh. It has been given the name of the Barhkhambh. Because there are 16 pillars in this Barhkhambh but 'Khn' is 12. 'Khn' is the word of an Urdu word 'Khn' in Hindi means the door. There are 12 doors in Barhkhambh. Its specialty is that you will see 12 doors from whatever side you see it.

जो इमारत जिन्न बना रहे थे उसका नाम है बारहखंभा। इसे बारहखंभा नाम इसलिए दिया गया है क्योकि इस बारहखंभा में 16 पिलर हैं लेकिन 'खन' 12 हैं। 'खन' एक उर्दू का शब्द है 'खन' का हिन्दी में अर्थ है दरवाजे। बारहखंभों में 12 दरवाजे हैं। इसकी खासियत ये है कि आप इसे जिस भी तरफ से देखेंहे 12 दरवाजे आपको दिखाई देंगे।

According to the people living here, generations of generations have seen these historic twins as their childhood. Also, according to the people here, a mysterious story about Barhkhambh is also prevalent. It is said that from today 700-800 years ago one night, the jinn's came here and started building. They got the pleasure of running a mill from this place until they completed this construction. When he realized the awakening of the people, jinn's left the building in the middle and went away from there. Since then, this construction is still incomplete. People also tell that the women who had churned the mill had brought the same woman alive and buried her.

यहाँ रहने वाले लोगों के अनुसार पीढ़ी दर पीढ़ी इस ऐतिहासिक बारहखंभों को बचपने से दखते आ रहे हैं। और साथ ही यहाँ के लोगों के अनुसार बारहखंभों के बारे में एक रहस्यमयी कहानी भी प्रचलित है। कहा जाता है कि आज से 700-800 साल पहले एक रात जिन्नातों ने यहां आकर निर्माण शुरू किया था। इस निर्माण को जिन्नात जब तक पूरा करते कहीं दूर एक चक्की चलने की उन्हें आवज आई। उन्हें लोगों के जागने का अभास हुआ तो जिन्नात उस निर्माण को बीच में छोड़कर वहां से चले गए। जब से ये निर्माण आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। लोग ये भी बताते हैं कि जिस महिला ने चक्की चलाई थी जिन्नातों ने उसी महिला को जिन्दा यहां लाकर दफन कर दिया था।

The mysterious feature of the twelve pillars is that the 700-800 pillars did not move in the earthquake, storm and storm. Also, for many years people tried to make the terrace on these pillars but they never made the roof. Whenever the roof was built, the roof itself fell. Many times the roof fell along with the formation of the roof and the builder's condition got turbulent. The condition of the artificers was correct only after apologizing to the jinnas.

बारहखंभों की रहस्यमयी खासियत ये है कि ७००-८०० से ये खंभे भूकंप, आंधी-तूफान में भी नहीं हिले। साथ ही कई बार सालों से लोगों ने इस खंभों पर छत भी बनाने की कोशिश की लेकिन कभी भी छत नहीं बना सके। जब भी छत का निर्माण हुआ छत अपने आप गिर गई। कई बार तो छत बनने के साथ ही गिर गई और बनाने वाले की हालत खबरा हो गई। जिन्नातों से माफी मांगने के बाद ही कारिगरों की हालत सही हुई।

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Amer Fort-आमेर किला

Amer Fort-आमेर किला


The Amer Fort is located in the Amber region of Jaipur, the capital of the Rajasthan state of India. This fort is situated on a very large mountain. This fort of Amer is the main attraction of the tourist. This fort is so beautiful due to which many films have been shot in this fort. This fort also has a very old history.
An average of 4000-5000 tourists visit this amazing fort here every day. In 2005, more than 80 elephants are also reported to be living in the premises of the fort.

आमेर किला भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के आमेर क्षेत्र में स्थित है। यह किला एक बहुत बड़े विशाल पहाड़ पर स्थित है। आमेर का यह किला पर्यटक का मुख्य आकर्षण है। यह किला इतना सूंदर है जिसके कारण इस किले में बहुत सी फिल्में शूट की जा चुकी है। इस किले का भी एक बहुत ही पुराना इतिहास रह चूका है।
एक औसतन 4000-5000 पर्यटक इस अद्भुत किले को हर दिन यहाँ देखने आते है. 2005 में किले के परिसर में 80 से अधिक हाथियों के रहने की भी सूचना है।

Amer is a suburb located within the Jaipur city limits, it was inhabited by Meena Raja Alan Singh, the city has been present since at least 967 AD, it was conquered by the Kachwaha dynasty of the Rajput caste in 1037 AD. At the time when this fort was built, artistic paintings were made on the walls of this fort and it is said that the art of those great artisans became so enraged by the Mughal emperor Jahangir that he got these paintings plastered. These pictures are now visible due to gradual crushing of plaster.

आमेर जयपुर नगर सीमा में ही स्थित उपनगर है, इसे मीणा राजा आलन सिंह ने बसाया था, कम से कम 967 ईस्वी से यह नगर मौजूद रहा है, इसे 1037 ईस्वी में राजपूत जाति के कछवाह वंश ने जीत लिया था। जिस समय इस किले बनाया गया था उस समय इस किले की दीवारों पर कलात्मक चित्र बनाए गए थे और कहते हैं कि उन महान कारीगरों की कला से मुगल बादशाह जहांगीर इतना नाराज़ हो गया कि उसने इन चित्रों पर प्लास्टर करवा दिया। ये चित्र धीरे-धीरे प्लास्टर उखड़ने से अब दिखाई देने लगे हैं।

The complex of the fort is decorated with red sandstone and marble which includes - Diwan-i-Aam or "Hall of Public Viewers", Diwan-i-Khas or "Hall of Private Audiences", Sheesh Mahal (Darpan Mahal) or Jai Mandir and Sukh Niwas.

किले के परिसर को लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से सजाया गया है जिसमें शामिल है - दीवान-ए-आम या "सार्वजनिक दर्शको का हॉल" , दीवान-ए-खास या "निजी दर्शकों का हॉल", शीश महल ( दर्पण महल) या जय मंदिर और सुख निवास।




Looking at this fort from outside, it seems like a rocky fort but the interior of this fort has made its construction very beautiful and amazing. It includes a spacious hall, royal designed palaces, beautiful temples and a beautiful green grass garden. The architecture of the fort is the perfect combination of Hindu and Mughal style. The interior work is decorated with magnificent mirrors, paintings and carvings. Perhaps this is the reason that the famous fort here still invites the producers of historical films to shoot.

इस किले को बाहर से देखने पर ये एक चट्टानी किला लगता है लेकिन इस किले के अंदर के इंटीरियर ने इसके निर्माण को बहुत सूंदर और अद्भुत बना दिया है। इसमें विशाल हॉल, शाही ढंग से डिजाइन किए गए महल, सुंदर मंदिर और बहुत खूबसूरत हरी घास का उद्यान शामिल है। किले की वास्तुकला हिंदू और मुगल शैली का सही संयोजन है. अंदरूनी काम को शानदार दर्पण, पेंटिंग और नक्काशियों के साथ सजाया गया है। शायद यही वजह है की यहाँ का प्रसिद्ध दुर्ग आज भी ऐतिहासिक फिल्मों के निर्माताओं को शूटिंग के लिए आमंत्रित करता है।

The fort was built by Raja Man Singh in 1592 AD and for the next 150 years his successors worked to expand and renovate the fort. Earlier this place was named Kadimi Mahal which is the oldest palace in India. The palace also has a small temple dedicated to her patron goddess 'Sheela Mata' which was built by Raja Man Singh. Even after the destruction of many old structures and the construction of many new structures, this fort still stands gracefully in the face of many obstacles.

1592 ई में राजा मान सिंह ने किले का निर्माण किया था और अगले 150 वर्षों उनके उत्तराधिकारियों ने इस किले का विस्तार और नवीकरण का काम किया। पहले इस जगह का नाम कदीमी महल था जो भारत का सबसे पुराना महल है। इस महल में उनकी संरक्षक देवी ‘शीला माता’ को समर्पित एक छोटा मंदिर भी है जिसको राजा मान सिंह द्वारा बनाया गया था। कई पुरानी संरचनाओं के नष्ट होने बाद और कई नई संरचनाओं के निर्माण बाद भी आज भी यह किला कई बाधाओं का सामना करते हुए बड़ी ही शान से खड़ा हुआ है।


The Amer Fort is built in the traditional Hindu and Rajputana style, which is built of marble and red sandstone. In this fort you will see pictures of ancient hunting styles and important Rajput rulers. This fort of Amer is divided into four parts, each with its own separate entrance and courtyard decorated with traditional Hindu and Rajputana style. The main gate of this fort is called 'Suraj Pol' or Surya Door which leads to the main courtyard. Situated on the east side, this entrance gate is named due to its position in relation to the rising sun. With the help of stairs in this fort you reach an impressive courtyard called 'Jaleb Chowk' in the palace complex. These steps lead to the Sitla Mata temple. Jaleb Chowk was used by the army to re-display its wartime hours where women could only see it through windows.

आमेर का किला पारंपरिक हिंदू और राजपुताना शैली में बना हुआ है, जिसको संगमरमर और लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। इस किले में आपको प्राचीन शिकार शैलियों और महत्वपूर्ण राजपूत शासकों के चित्र देखने को मिलेंगे। आमेर का यह किला चार भागों में विभाजित है जिसका प्रत्येक भाग अपने अलग प्रवेश द्वार और आंगन पारंपरिक हिंदू और राजपुताना शैली से सजा हुआ है। इस किले के मुख्य द्वार को ‘सूरज पोल’ या सूर्य द्वार कहा जाता है जो मुख्य प्रांगण की ओर जाता है। पूर्व की ओर स्थित इस प्रवेश द्वार का नाम सूर्य द्वार उगते सूर्य के संबंध में इसकी स्थिति की वजह से पड़ा है। इस किले में सीढ़ियों की मदद से आप महल परिसर में ‘जलेब चौक’ नामक एक प्रभावशाली प्रांगण की तरफ पहुँच जाते हैं। यह सीढ़ियाँ सीतला माता मंदिर की ओर जाती हैं। जलेब चौक का उपयोग सेना द्वारा अपने युद्ध के समय को फिर से प्रदर्शित करने के लिए किया गया था जहां महिलाओं को केवल खिड़कियों के माध्यम इसे देख सकती थी।



Diwan-i-Aam-

This is the most important part of the fort where the king used to listen to the plea of ​​the general public. And he used to narrate his decision as well and he used to meet the officials as well. The influence of style at that time on the walls of Diwan-i-Aam can be clearly seen. Which is revealed by the carving of the flowers on the marble. The architecture which is the perfect combination of Hindu and Mughal style. This hall decorated with extensive mosaic glasswork with beautiful paintings and carvings stands on two pillars with elephants supported. Sukh Niwas is located opposite the Diwan-e-Aam, whose doors are decorated with elephant teeth.

दीवान-ए-आम-

यह किले का वो सबसे मह्त्वपूर्ण हिस्सा है जहाँ पर राजा आम जनता की फरियाद सुनते थे। और अपना फैसले भी सुनाया करते थे साथ ही वो अधिकारियों से भी मिलते थे। दीवान-ए-आम की दीवारों पर उस समय शैली के प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जो संगमरमर पर की गई फूलों की नक्काशी से पता चलती है। जो वास्तुकला हिंदू और मुगल शैली का सही संयोजन है। सूंदर पेंटिंग और नक्काशियों के साथ व्यापक मोज़ेक ग्लासवर्क से सजा हुआ यह हाल हाथियों के साथ दो स्तंभों के समर्थन पर खड़ा है। दीवान ए आम के सामने सुख निवास स्थित है जिसके दरवाजों को हाथी के दांतों से सजाया गया है।



mirrors palace-

This is the most important part of the fort, people come from all over the country especially to see this fort. mirrors palace is one of the most prominent attractions of Amber Fort. Which is made up of beautiful and naive mirrors. This palace has been constructed in such a way that as soon as some rays of light fall on this palace, the entire hall is filled with light. It is also said that only one candle light is enough to illuminate this hall.

शीश महल-

यह किले का वो सबसे मह्त्वपूर्ण हिस्सा है जिसे देखने के लिए लोग देश भर से विशेष रूप से इस किले में आते है। शीश महल आमेर किले का एक सबसे प्रमुख आकर्षण है। जो सूंदर और नायब दर्पणों से मिलकर बना है। इस महल का निर्माण इस तरह से किया गया है कि जैसे ही प्रकाश की कुछ किरणों इस महल पर पड़ते ही पूरा हाल उजाले से भर जाता है। ऐसा भी बताया जाता है कि इस हाल को प्रकाशित करने के लिए सिर्फ एक ही मोमबत्ती की रोशनी ही काफी है।

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