जयगढ़ क़िला-Jaigarh Fort

जयगढ़ क़िला-Jaigarh Fort

जयगढ़ क़िला-Jaigarh Fort

Jaigarh Fort is situated on the eagle mound on the Aravalli hills in Jaipur, Rajasthan. This fort was built by Maharaja Jai ​​Singh in the 18th century. This fort is surrounded by high walls and forests from all sides, this Jaigad fort is also called the fort of victory. This fort is located in Amber in Jaipur city limits. This fort is considered to be the biggest cannon of Asia which is placed on top of this fort. It is one of the largest cannons in the country.

जयगढ़ क़िला राजस्थान के जयपुर में अरावली की पहाडि़यों पर चील की टीला पर स्थित है। यह किला महाराजा जय सिंह ने 18वीं सदी में बनवाया था। यह किला चारों तरफ से ऊँची-ऊँची दीवारों और जंगलों से घिरा हुआ है इस जयगढ़ किले को जीत का किला भी कहा जाता है। यह किला जयपुर शहर सीमा में आमेर में स्थित है । इसी किले में एशिया की सबसे बड़ी मानी जाने वाली तोप है जो इस किले के ऊपर रखी हुई है। यह देश की सबसे बड़ी तोपों में से एक है।

The fort here is located just a short distance from the Amer Fort. And this fort has been built in the shape of Amber Fort. It is 3 kilometers (1.9 m) in length and 1 km (0.62 m) in width from north-south. This fort is also known as "Jaiwan".

यहाँ किला आमेर किले से कुछ ही दुरी पर स्थित है। और इस किले को आमेर किले के आकार में ही बनाया गया है। उत्तर-दक्षिण से इसकी लम्बाई 3 किलोमीटर (1.9 मीटर) और चौड़ाई 1 किलोमीटर (0.62 मीटर) है। इस किले को “जयवैन” के नाम से भी जाना जाता है।

Like all other forts, Jaigad Fort also has its own history. Jaigad Fort was 150 miles from the capital during the Mughal period. During the Mughal period, this fort was looked after by Dara Shikoh, at that time Aurangzeb attacked this fort due to which he won but after losing to Aurangzeb, this fort came under the rule of Jai Singh and he rebuilt it.

बाकी सभी किलों की तरह जयगढ़ किले के का भी अपना एक इतिहास है। मुगल काल में जयगढ़ किला राजधानी से 150 मील दूर था। मुगल काल समय में इस किले की देखरेख दारा शिकोह करते थे, उस समय औरंगज़ेब ने इस किले पर हमला किया था जिसके कारण वो जीत गया था लेकिन औरंगज़ेब से हारने के बाद यह किला जय सिंह के शासन में आ गया और उन्होंने इसका पुनर्निमाण करवाया।

Being situated on the top of the mountain, a panoramic view of Jaipur can be seen from this fort. The outer walls of this fort are made of red sandstone and the inner layout is also very interesting. There is a beautiful square garden in its center. It has very large durbars and halls with curtained windows. This huge palace houses the Lakshmi Vilas, the Vilas Temple, the Lalit Temple and the Aram Temple that the royal family used to live in during the rule. The attraction of this fort is further enhanced by two old temples, one of which is the 10th century Ram Harihar Temple and the 12th century Kaal Bhairava Temple. Due to its large walls, this fort is well protected from all sides. There is an armory and a museum with a hall for warriors, which contains old clothes, manuscripts, weapons and artifacts of Rajputs. There is a watch tower in the middle of it, which gives a beautiful view of the surroundings. The nearby Amber Fort is connected to the Jaigad Fort via a secret passage. It was designed to evacuate women and children in an emergency. Amer Fort also has a reservoir at its center for water supply.

पहाड़ की चोटी पर स्थित होने के कारण इस किले से जयपुर का मनोरम नज़ारा देखा जा सकता है। इस किले की बाहरी दीवारें लाल बलुआ पत्थरों से बनी हैं और भीतरी लेआउट भी बहुत रोचक है। इसके केंद्र में एक खूबसूरत वर्गाकार बाग मौजूद है। इसमें बड़े बड़े दरबार और हाॅल हैं जिनमें पर्देदार खिड़कियां हैं। इस विशाल महल में लक्ष्मी विलास, विलास मंदिर, ललित मंदिर और अराम मंदिर हैं जो शासन के दौरान शाही परिवार रहने पर इस्तेमाल करते थे। दो पुराने मंदिरों के कारण इस किले का आकर्षण और बढ़ जाता है, जिसमें से एक 10वीं सदी का राम हरिहर मंदिर और 12वीं सदी का काल भैरव मंदिर है। बड़ी बड़ी दीवारों के कारण यह किला हर ओर से अच्छी तरह सुरक्षित है। यहां एक शस्त्रागार और योद्धाओं के लिए एक हाॅल के साथ एक संग्रहालय है जिसमें पुराने कपड़े, पांडुलिपियां, हथियार और राजपूतों की कलाकृतियां हैं। इसके मध्य में एक वाॅच टाॅवर है जिससे आसपास का खूबसूरत नज़ारा दिखता है। पास ही में स्थित आमेर किला जयगढ़ किले से एक गुप्त मार्ग के ज़रिए जुड़ा है। इसे आपातकाल में महिलाओं और बच्चों को निकालने के लिए बनाया गया था। आमेर किले में पानी की आपूर्ति के लिए इसके केंद्र में एक जलाशय भी है।



Jaivana Cannon

This cannon placed on Jaigad Fort is considered to be the largest cannon in Asia. Its size is estimated from the fact that its shell formed a pond in a village 35 km from the city. Even today this pond exists and is quenching the thirst of the people of the village.
This cannon is placed on the dungar door of Jaigad Fort. The length of the end of the cannon is 31 feet 3 inches. When the Jaiban cannon was first mounted for test-firing, a pond was formed by falling into a town called Chaksu, about 35 km from Jaipur. The weight of this cannon is 50 tons. This cannon has the facility to hold 8 meter long barrels. It is the most famous cannon among the canons found worldwide. To fire this cannon that was to hit 35 km, 100 kg gun powder was needed to fire once. Due to its excess weight it was not taken out of the fort nor was it ever used in battle.

जयगढ़ किले पर रखी यह तोप एशिया में सबसे बड़ी तोप मानी जाती है। इसके साइज का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि इसके गोले से शहर से 35 किलोमीटर दूर एक गांव में तालाब बन गया था। आज भी यह तालाब मौजूद है और गांव के लोगों की प्यास बुझा रहा है।
यह तोप जयगढ़ किले के डूंगर दरवाजे पर रखी है। तोप की नली से लेकर अंतिम छोर की लंबाई 31 फीट 3 इंच है। जब जयबाण तोप को पहली बार टेस्ट-फायरिंग के लिए चलाया गया था तो जयपुर से करीब 35 किमी दूर स्थित चाकसू नामक कस्बे में गोला गिरने से एक तालाब बन गया था। इस तोप का वजन 50 टन है। इस तोप में 8 मीटर लंबे बैरल रखने की सुविधा है। यह दुनिया भर में पाई जाने वाली तोपों के बीच सबसे ज्‍यादा प्रसिद्ध तोप है। 35 किलोमीटर तक मार करने वाले इस तोप को एक बार फायर करने के लिए 100 किलो गन पाउडर की जरूरत होती थी। अधिक वजन के कारण इसे किले से बाहर नहीं ले जाया गया और न ही कभी युद्ध में इसका इस्तेमाल किया गया था।

जयगढ़ किला का खजाना-Jaigarh Fort Treasury

Jaigad Fort of Jaipur is said to have immense wealth in this fort. It is believed that Raja Man Singh I of Jaipur saved his treasure from Emperor Akbar and hid it in the fort of Jaigarh. However, so far no confirmed information has been received about whether Mansingh had a treasure or not and if it was there, is it still hidden in the fort of Jaigarh or was it removed. Even today, evidence is found in the fort of Jaigad which indicates that there is a treasure house of billions and trillions still hidden in the secret cellars of the fort.

History mentions a treaty between Raja Man Singh and Akbar. According to which Raja Man Singh will conquer Akbar in whichever area he conquers but Raja Man Singh will have the right over the treasury and property found from there. It is said that the entire treasure found by the victory of the battle was hidden by Raja Man Singh in the basement of the fort. When the then Prime Minister of the country Indira Gandhi got the news of this treasure, she put all her strength to find this treasure. For nearly six months, the treasure hidden in the fort of Jaigarh was discovered. Apart from the army, a lot of government machinery was also used to find the treasure. But no one has found out whether the treasure was found or not.

जयपुर का जयगढ़ किला कहते हैं इस किले में बेशुमार दौलत है। ऐसा माना जाता है जयपुर के राजा मान सिंह प्रथम ने अपना अकूत खज़ाना सम्राट अकबर से बचाकर जयगढ़ के क़िले में छिपा दिया था। हांलाकि अभी तक इस बारे में कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिली है कि मानसिंह का खज़ाना था भी या नहीं और अगर था तो क्या ये अभी भी जयगढ़ के किले में ही छिपा है या फिर उसे निकाल लिया गया। जयगढ़ के किले में आज भी ऐसे प्रमाण मिलते हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि किले के गुप्त तहख़ानों में आज भी अरबों-खरबों का खज़ाना छिपा हुआ है।

इतिहास में राजा मान सिंह और अकबर के बीच हुई एक संधि का ज़िक्र आता है। जिसके मुताबिक़ राजा मान सिंह जिस भी इलाके को फतह करेंगे वहां अकबर का राज होगा लेकिन वहां से मिले खज़ाने और संपत्ति पर राजा मान सिंह का हक़ होगा। ऐसा कहा जाता है कि जंग की जीत से मिले पूरे खजाने को राजा मान सिंह ने किले के तहखाने में छुपा कर रखा था। देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जब इस खज़ाने की ख़बर मिली तो उन्होंने इस ख़ज़ाने को ढूंढने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी। तकरीबन छह महीने तक जयगढ़ के किले में छिपे खजाने की खोज की गई। खज़ाने को तलाशने के लिए आर्मी के अलावा अच्छी खासी सरकारी मशीनरी का भी इस्तेमाल हुआ। लेकिन ख़ज़ाना मिला या नहीं इसका पता आज तक किसी को नहीं चला।

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