story of kailash lord shiva

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The story of Mount Kailash and its association with Lord Shiva is deeply ingrained in Hindu and Tibetan Buddhist mythology. Mount Kailash, also known as Kailasa, is considered the abode of Lord Shiva and holds immense spiritual significance for millions of devotees and pilgrims. The mountain is located in the Kailash Range of the Himalayas, near Lake Manasarovar in Tibet.

कैलाश पर्वत और भगवान शिव के साथ इसके संबंध की कहानी हिंदू और तिब्बती बौद्ध पौराणिक कथाओं में गहराई से समाई हुई है। कैलाश पर्वत, जिसे कैलासा के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और लाखों भक्तों और तीर्थयात्रियों के लिए अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह पर्वत हिमालय की कैलाश श्रृंखला में तिब्बत में मानसरोवर झील के पास स्थित है।

Legend of Kailash and Lord Shiva:

कैलाश और भगवान शिव की कथा:

According to Hindu mythology, the story of Kailash and Lord Shiva is linked to an ancient tale involving Lord Shiva, Goddess Parvati, and the demon Ravana.

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कैलाश और भगवान शिव की कहानी भगवान शिव, देवी पार्वती और राक्षस रावण से जुड़ी एक प्राचीन कहानी से जुड़ी हुई है।

1. Ravana's Penance:

Ravana, the powerful demon king of Lanka (Sri Lanka), was an ardent devotee of Lord Shiva. He desired to become invincible and achieve unmatched power. To gain the favor of Lord Shiva, Ravana decided to undertake intense penance at Mount Kailash.

1. रावण की तपस्या:

लंका (श्रीलंका) का शक्तिशाली राक्षस राजा रावण, भगवान शिव का प्रबल भक्त था। वह अजेय बनना और बेजोड़ शक्ति हासिल करना चाहता था। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रावण ने कैलाश पर्वत पर घोर तपस्या करने का निर्णय लिया।

2. Ravana's Determination:

Ravana began his penance with utmost devotion and sincerity. He stood on one leg and prayed to Lord Shiva for thousands of years, displaying his unwavering determination and dedication.

2. रावण का निश्चय:

रावण ने अत्यंत भक्ति और ईमानदारी के साथ अपनी तपस्या शुरू की। वह एक पैर पर खड़े होकर अपने अटूट दृढ़ संकल्प और समर्पण को प्रदर्शित करते हुए हजारों वर्षों तक भगवान शिव से प्रार्थना करते रहे।

3. Lord Shiva's Test:

To test Ravana's devotion and commitment, Lord Shiva decided to disrupt his penance. Lord Shiva appeared before Ravana as a young Brahmin boy and demanded alms from him. Ravana, who had been standing on one leg for years, could not offer anything to the boy without putting his leg down.

3. भगवान शिव की परीक्षा:

रावण की भक्ति और प्रतिबद्धता की परीक्षा लेने के लिए, भगवान शिव ने उसकी तपस्या को भंग करने का फैसला किया। भगवान शिव एक युवा ब्राह्मण लड़के के रूप में रावण के सामने प्रकट हुए और उससे भिक्षा मांगी। रावण, जो वर्षों से एक पैर पर खड़ा था, अपना पैर नीचे रखे बिना लड़के को कुछ भी नहीं दे सकता था।

4. Ravana's Mistake:

In an act of desperation and frustration, Ravana placed the Brahmin boy on the ground to free his hands and obtain alms. However, this act broke the continuity of his penance.

4. रावण की गलती:

हताशा और निराशा की स्थिति में, रावण ने अपने हाथ छुड़ाने और भिक्षा प्राप्त करने के लिए ब्राह्मण लड़के को जमीन पर रख दिया। हालाँकि, इस कृत्य ने उनकी तपस्या की निरंतरता को तोड़ दिया।

5. Lord Shiva's Blessing:

Lord Shiva was pleased with Ravana's devotion despite his mistake. He blessed Ravana with immense knowledge and granted him the celestial weapon known as the Atma Linga (a manifestation of Lord Shiva himself). However, Lord Shiva cautioned Ravana to carry the Atma Linga to Lanka without placing it on the ground until he reached his destination.

5. भगवान शिव का आशीर्वाद:

भगवान शिव रावण की गलती के बावजूद उसकी भक्ति से प्रसन्न थे। उन्होंने रावण को अपार ज्ञान का आशीर्वाद दिया और उसे आत्म लिंग (स्वयं भगवान शिव का स्वरूप) नामक दिव्य हथियार प्रदान किया। हालाँकि, भगवान शिव ने रावण को आगाह किया कि जब तक वह अपने गंतव्य तक नहीं पहुँच जाता तब तक वह आत्म लिंग को जमीन पर रखे बिना लंका ले जाए।

6. Trickery by Devas:

The Devas (celestial beings) were worried about Ravana's increasing power, and they hatched a plan to prevent him from gaining more strength. They asked Lord Vishnu to intervene. Lord Vishnu disguised himself as a cowherd boy and obstructed Ravana's path as he approached Lanka.

6. देवास द्वारा चालबाजी:

देवता (आकाशीय प्राणी) रावण की बढ़ती शक्ति से चिंतित थे, और उन्होंने उसे और अधिक ताकत हासिल करने से रोकने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने भगवान विष्णु से हस्तक्षेप करने को कहा। भगवान विष्णु ने स्वयं को एक चरवाहे लड़के के रूप में प्रच्छन्न किया और लंका के पास पहुँचते ही रावण का रास्ता रोक दिया।

7. Ravana's Decision:

Ravana entrusted the Atma Linga to the cowherd boy and requested him to hold it briefly while he attended to his nature's call. Lord Vishnu, disguised as the boy, agreed but placed the Atma Linga on the ground, making it impossible for Ravana to move it back to Lanka.

7. रावण का निर्णय:

रावण ने आत्म लिंग को चरवाहे लड़के को सौंपा और उससे अनुरोध किया कि जब तक वह अपनी प्रकृति की इच्छा पूरी करता रहे, तब तक वह इसे थोड़ी देर के लिए अपने पास रखे। बालक के वेश में भगवान विष्णु सहमत हुए लेकिन आत्म लिंग को जमीन पर रख दिया, जिससे रावण के लिए इसे वापस लंका ले जाना असंभव हो गया।

8. Kailash and Lake Manasarovar:

The places where Lord Shiva appeared as a Brahmin boy and Lord Vishnu placed the Atma Linga are believed to be the sacred Mount Kailash and Lake Manasarovar, respectively.

8. कैलाश और मानसरोवर झील:

माना जाता है कि वे स्थान जहां भगवान शिव एक ब्राह्मण लड़के के रूप में प्रकट हुए थे और भगवान विष्णु ने आत्म लिंग स्थापित किया था, वे स्थान क्रमशः पवित्र कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील हैं।

9. Kailash as Lord Shiva's Abode:

Since the incident involving Ravana, Mount Kailash became the abode of Lord Shiva. It is revered as one of the most sacred and spiritually powerful places on Earth. Devotees believe that circumambulating (parikrama) Mount Kailash can lead to spiritual liberation and the removal of all sins.

9. कैलाश भगवान शिव का निवास स्थान है:

रावण से जुड़ी घटना के बाद से, कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान बन गया। इसे पृथ्वी पर सबसे पवित्र और आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली स्थानों में से एक माना जाता है। भक्तों का मानना है कि कैलाश पर्वत की परिक्रमा करने से आध्यात्मिक मुक्ति मिल सकती है और सभी पाप दूर हो सकते हैं।

The legend of Kailash and Lord Shiva is not only significant in Hindu mythology but also holds immense spiritual importance in Tibetan Buddhism, where Kailash is considered a sacred place associated with enlightenment and spiritual awakening. As a result, Mount Kailash attracts numerous pilgrims and spiritual seekers from different parts of the world, each seeking the divine presence and blessings of Lord Shiva.

कैलाश और भगवान शिव की कथा न केवल हिंदू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण है, बल्कि तिब्बती बौद्ध धर्म में भी अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखती है, जहां कैलाश को ज्ञान और आध्यात्मिक जागृति से जुड़ा एक पवित्र स्थान माना जाता है। परिणामस्वरूप, कैलाश पर्वत दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कई तीर्थयात्रियों और आध्यात्मिक साधकों को आकर्षित करता है, जिनमें से प्रत्येक भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति और आशीर्वाद चाहते हैं।

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