Krishna

भगवान श्रीकृष्ण-Lord Krishna

Krishna-Krishna is the incarnation of Lord Vishnu. According to the mythological belief or whatever the astrologers and texts, Lord Vishnu has many incarnations on earth. Of which Krishna is also an incarnation of his. Krishna is a major god in Hinduism. They are worshiped as the eighth incarnation of Lord Vishnu. And by some even as supreme God in themselves. Krishna God is the God of mercy, tenderness and love in Hindu religion. And the most popular and widely revered in the Indian diaspora Krishna's birthday is celebrated every year by Hindus on Janmashtami according to the Hindu Calendar. According to the calendar that comes in late August or early September.

कृष्णा-कृष्णा भगवान विष्णु का अवतार है। पौराणिक विश्वास या जो कुछ भी हो ज्योतिषियों और ग्रंथो के अनुसार भगवान विष्णु ने धरती पर बहुत से अवतार लिए। जिसमे से कृष्णा भी उनका एक अवतार है। कृष्णा हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। उन्हें भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है। और कुछ लोगों द्वारा अपने आप में सर्वोच्च भगवान के रूप में भी। कृष्णा भगवान हिंदू धर्म में दया, कोमलता और प्रेम के देवता हैं। और भारतीय दिव्यांगों में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से पूजनीय हैं। कृष्ण का जन्मदिन हर साल हिंदुओं द्वारा जन्माष्टमी पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। जो कैलेंडर के अनुसार अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में आता है।

According to legendary belief and legend, Lord Shrikrishna was born in the dark half of the Ashtami date, in a prison in Mathura of Rohini Nakshatra, in the dark night, Lord Krishna was born from the womb of Vasudev's wife Devaki. This date reminds of that auspicious time and is celebrated with great fanfare across the country.

पौराणिक विश्वास और कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के एक कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। यह तिथि उसी शुभ घड़ी की याद दिलाती है और सारे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।

According to legendary beliefs and legends, it is believed that before Lord Krishna was born.

In the Dwapar era, Bhojwanshi king Ugrasen ruled in Mathura. His fierce son Kans lifted him from the throne and himself became the king of Mathura. A sister of Kansa was Devaki, who was married to the Yaduvanshi Sardar Vasudeva.

पौराणिक विश्वास और कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है की भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से पहले.

द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करता था। उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था।

Its just matter of one day. Kans was going to deliver her in-laws to her sister Devaki. Suddenly there was an airway on the way- 'Hey Kanas, the eighth son of your sister who is taking you to get her in-laws, will kill you. As soon as Kans heard this, Kans got ready to kill Vasudev, the sister of his sister Devaki. Upon listening to this, the sister of Kansa, Devaki, said with humility: "Brother, that child will come from my womb. I will bring him to you. What is the benefit of killing brother-in-law?

एक दिन की बात है। कन्स अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था। तभी अचानक से रास्ते में एक आकाशवाणी हुई- 'हे कन्स , तू अपनी जिस बहन को उसके ससुराल पहुंचाने ले जा रहा है, उसी बहन का आठवां पुत्र तेरा वध करेगा। जैसे ही कंस ने ये सुना, तो कंस अपनी बहन देवकी के पति वसुदेव को मारने के लिए तैयार हो गया। यह सुनकर कंस की बहन देवकी ने विनयपूर्वक कंस से कहा,भईया मेरे गर्भ से जो संतान होगी।उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ है?'


Kanas accepted his sister Devaki. And came back to Mathura. But he put Vasudev and Devaki in jail. Vasudev and Devaki each had seven children. And seven of them were killed by Kams as soon as they were born. Now the eighth child was going to be. In the prison they were seized with stern guards. At the same time, Nand's wife Yashoda was also going to be a child. Vasudev and Devaki were now going to be the eighth child. Vasudeva and Devaki started calling for God as always, to save their child. God created a remedy to protect his eighth child, seeing the sad life of Vasudev and Devaki. When Vasudeva and Devaki were born, at the same time, a daughter was born from Yashoda's womb. Nothing else It was just charlantanry. In the dark prison, Devaki and Vasudev were imprisoned. There was a sudden light in it. And the quadrangle, the circle, the mace, and the Padma in front of them appeared in the quadrangular Lord. Vasudev and Devaki both fall at the feet of God. Then God told him- "Now the time has come. When I will be born again as a newborn As soon as I was born You leave me at the same time in your friend Nandji's house Vrindavan. And the daughter who is born here is born. Put it here and give it to Kans. At this time the environment is not friendly. Even then you do not worry. The watchmen will go to sleep, the gates of the prison will open themselves, and the fiercely unbless Yamuna will give you a way to cross.

कंस ने अपनी बहन देवकी की बात मान ली। और वापस मथुरा चला आया। लेकिन उसने वसुदेव और देवकी को कारागार में डाल दिया। वसुदेव और देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए। और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। अब आठवां बच्चा होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था। वसुदेव और देवकी का अब आठवां बच्चा होने वाला था।अपने बच्चे को बचाने के लिए वसुदेव और देवकी हमेशा के तरह भगवान को पुकारने लगे। भगवान ने वसुदेव और देवकी के दुखी जीवन को देख उनके आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव और देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ। जो और कुछ नहीं। सिर्फ माया थी। जिस अंधरे कारागार में देवकी और वसुदेव कैद थे। उसमें अचानक प्रकाश हुआ। और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। वसुदेव और देवकी दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े। तब भगवान ने उनसे कहा- 'अब अब समय आ गया है। जब मैं पुनः नवजात शिशु के रूप में लूंगा। मेरे जन्म लेते ही। तुम मुझे उसी समय अपने मित्र नंदजी के घर वृंदावन में छोड़ आओ। और उनके यहाँ जो कन्या जन्मी है। उसे यहाँ लाकर कन्स के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी।



At the same time, Vasudev came out of the jail by placing Shrikrishna in a basket in the form of a newborn baby, and he crossed the Yamuna and reached Nandji's house. There he slept newborn baby Krishna with Yashoda.And with her daughter came to Mathura. The doors of the prison stopped undoing.Now Kans received information that Vasudev-Devaki was born to a child.He went to the jail and took away the newborn girl from Devaki's hands and wanted to slay her on the earth, but the girl flew into the sky and said from there- 'O fool, what will happen if I kill you? Your killer has reached Vrindavan. He will soon punish you for your sins. ' This is the story of Krishna birth

उसी समय वसुदेव नवजात शिशु के रूप में श्रीकृष्ण को एक टोकरी में रखकर कारागृह से निकल पड़े, और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु श्रीकृष्ण को यशोदा के साथ सुला दिया। और अपने साथ कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए। अब कंस को सूचना मिली कि वसुदेव-देवकी को बच्चा पैदा हुआ है। उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- 'अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला तो वृंदावन में जा पहुंचा है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा।' यह है कृष्ण जन्म की कथा

ध्यान दे-भगवान श्रीकृष्ण की इस कहानी के बारे में आपकी क्या राय है हमे नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है.दाईं ओर के, घंटी के बटन को दबाकर रोज नई कहानियों की जानकारी प्राप्त करे।

Attention: What is your opinion about This story of Lord Shri Krishna? Please tell us in the comment box below. Your opinion is very important to us.On the right side, press the button of the bell to get information of new stories everyday.

Post a Comment