humayun tomb in delhi

Humayun Tomb in delhi

Humayun Tomb

Humayun's Tomb is considered a masterpiece of the history and architecture of the Mughal regime. This mausoleum of Mughal ruler Humayun is located in the city of Delhi, India. Humayun was the son of the first Mughal emperor Babur. This tomb is decorated very beautifully with Mughal art. A stunning specimen of Mughal art can be seen on this tomb. This Tomb of Humayun is the first tomb that the red stone has been used to construct. Mughal art is so stunning on this tomb that the tomb was declared in the UNESCO World Heritage Site in 1993.

हुमायूँ का मकबरा मुग़ल शासन के इतिहास और वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना माना जाता है। मुग़ल शासक हुमायूँ का यह मकबरा भारत के दिल्ली शहर में स्थित है। प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर के पुत्र थे हुमायूँ। इस मकबरे को मुग़ल कला से बहुत ही सुन्दर तरीके से सजाया गया है। इस मकबरे पर मुग़ल कला के एक भेतरीन नमूने को देखा जा सकता है। हुमायूँ का यह मकबरा ऐसा पहला मकबरा है जिसके निर्माण के लिए लाल पत्थर का उपयोग किया गया है। इस मकबरे पर मुग़ल कला इतनी भेतरीन है की इस मकबरे को 1993 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में घोषित कर दिया गया था।


Humayun was born on March 6, 1508 AD in Kabul. Humayun's full name was Nasiruddin Muhammad Humayun. Humayun was a very famous Mughal ruler of the Mughal period. Humayun's father, Babur, expanded the Mughal rule in India on a large scale. When Babar came to India, he also brought his civilization along with him. And as Babur continued to promote his empire in India, his civilization started spreading in India. Babur was the founder of the Mughal dynasty in India.

हुमायूँ का जन्म: 6 मार्च, 1508 ई. को काबुल में हुआ था। हुमायूँ का पूरा नाम नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ था। हुमायूँ मुग़ल काल का बहुत ही प्रसिद्ध मुग़ल शासक था। हुमायूँ के पिता बाबर ने भारत में मुग़ल शासन का विस्तार एक बड़े पैमाने पर किया। बाबर जब भारत आया तो वो अपने साथ अपनी सभ्यता भी साथ लाया। और जैसे-जैसे बाबर अपने साम्राज्य को भारत में बढ़ाता रहा, वैसे-वैसे उसकी सभ्यता भी भारत में फैलने लगी। बाबर भारत में मुगल वंश का संस्थापक था।

In view of Humayun's tomb, the rest is like all the tombs, but the things used for making this tomb, and the finest Mughal art which is seen on this tomb, makes it the best.

Humayun died on 20 January 1556 and after 9 years of Humayun's death, the work of the tomb began in 1565 and ended in 1572. Then the total money spent in the construction of this tomb was 1.5 million, which was raised by Bega begum. In 1556, after the death of Humayun, Begaga begum was very sad and she was determined to build this tomb.

हुमायूँ का यह मकबरा देखने में तो बाकि सभी मकबरों की तरह ही है लेकिन इस मकबरे को बनाने के लिए जो वस्तुए इस्तेमाल की गई, और जो बेहतरीन मुग़ल कला इस मकबरे के ऊपर देखने को मिलती है वो ही इसे बेहतरीन बनाती है।

हुमायूँ की मृत्यु 20 जनवरी 1556 को हुई थी और फिर हुमायूँ की मृत्यु के 9 साल बाद 1565 में मकबरे का कार्य शुरू हुआ था और 1572 को समाप्त हुआ। तब इस मकबरे के निर्माण कार्य में कुल पैसा 1.5 मिलियन खर्च हुआ था जिसका भार बेगा बेगम ने उठाया था।1556 में हुमायूँ की मृत्यु के पश्चात् बेगा बेगम को अत्यंत दुःख हुआ था और उन्होंने ही इस मकबरे को बनाने की ठानी थी।

If historians believed, Mirak Mirza Ghias was called from Uzbekistan to build this tomb. But Mirak Mirza Ghias could not complete this tomb and died in the middle. The tomb remained incomplete after the death of Mirako Mirza Ghias. After some time passed, the work to complete this tomb was given to his son Sayyid Muhammad ibn Miraq Thiyahuddin. Then this Tomb was completed in 1571. It is believed that some changes were made while making the tomb after the death of Mirza Ghiaas.

अगर इतिहासकारों की माने तो इस मकबरे को बनाने के लिए मीराक मिर्ज़ा घियास उज्बेकिस्तान से बुलाया गया था। लेकिन मीराक मिर्ज़ा घियास इस मकबरे को पूरा ना बना सके और बीच में ही मृत्यु हो गयी। मीराक मिर्ज़ा घियास की मृत्यु के बाद मकबरा अधूरा पड़ा रहा। फिर कुछ समय बीत जाने के बाद इस मकबरे को पूरा बनाने का कार्य को उनके बेटे सैयद मुहम्मद इब्न मीराक थियाउद्दीन को दिया गया। फिर यह मकबरा 1571 में बन कर तैयार हुआ। ऐसा मना जाता है की मीराक मिर्ज़ा घियास की मृत्यु के बाद इस मकबरे को बनाते समय कुछ बदलाव किये गए थे।


It is said that Humayun's body is buried in two separate places in this tomb. This tomb is about 150 graves, surrounded by beautiful gardens, in this tomb there are many other graves besides Humayun's grave, just like their Biwi Hamida Bano, the eldest son of Shah Jahan, is the grave of Dara Shikoh and other Mughal rulers. Today this tomb is a very wonderful specimen of Mughal architecture,

ऐसा बताया जाता है की इस मकबरे में हुमायूँ के शरीर को दो अलग – अलग जगह दफनाया गया है यह मकबरा लगभग 150 कब्रों का है जिसके चारों तरफ सुन्दर बाग़ हैं इस मकबरे में हुमायूँ की कब्र के अलावा और भी बहुत सी कब्र है जैसे, उनकी बीवी हमीदा बानो, शाहजहां के बड़े बेटे दारा शिकोह और अन्य मुग़ल शासकों की कब्र हैं। आज यह मकबरा मुग़ल वास्तुकला का एक बहुत ही अद्भुत नमूना है

In this tomb there was a white awning on the graves and the books were kept in front of it. Also, Humayun's sword, shoe and turban were also there. In this tomb, the gardens were spread over 13 hectares, which were quite large. For some time, they were well maintained, But when the capital of the Mughals became Agra, it could not be maintained. Because the Mughals did not have enough money to care for it.

इस मकबरे में कब्रों के ऊपर सफ़ेद शामयाना लगा होता था और उसके सामने ग्रन्थ आदि रखे होते थे। और साथ ही हुमायूँ की तलवार, जूते और पगड़ी भी थी। इस मकबरे में बाग़ 13 हेक्टेअर में फैले हुए थे जो की काफी ज्यादा बड़े थे। कुछ समय तक तो इनकी देख–रेख अच्छे से हुई, लेकिन जब मुग़लों की राजधानी आगरा बनी तो इसकी देख–रेख न हो सकी। क्योंकि मुग़लों के पास इतना धन भी नहीं बचा था कि वे इसकी देख–रेख कर सकें।

The beautiful gardens surrounding this tomb make the beauty of the tomb more beautiful. These gardens have remained on the basis of geometry. This garden has been built in the same way as the Quran has been told about 'heavan's garden'.

इस मकबरे के चारो ओर बने सुंदर बगीचे मकबरे की सुंदरता को और सूंदर बना देते है। ये बाग़ ज्यामिती के आधार पर बने हुए हैं। ये बाग़ ठीक उसी तरह बना हुआ है जैसे कुरान में ‘जन्नत के बाग’ के बारे में बताया गया है।

Humayun's Tomb was Asia's first largest and most beautiful tomb. Which was made from Mughal and Persian architecture. After making this tomb, beautiful and huge buildings in India started to be built.

हुमायूं का मकबरा एशिया का पहला सबसे विशाल और सबसे ज्यादा सूंदर मकबरा था। जिसे मुग़ल और फ़ारसी वास्तुकला से बनाया था। इस मकबरे के बनाने के बाद भारत में सुन्दर और विशाल इमारतों का बनना शुरु हुआ

many beautiful tomb will be found in Mughal architecture in India. But the beauty of the Mughal architecture was realized to this world when Shahjahan built the Taj Mahal. One of the Seven Wonders of the World. The Taj Mahal is built almost on the basis of Humayun's Tomb.

वैसे तो भारत में मुग़ल वास्तुकला के बहुत से सुन्दर मकबरे देखने को मिल जायेंगे। लेकिन इस दुनिया को मुग़ल वास्तुकला की सुंदरता की पहचान तब हुई जब शाहजंहा ने ताजमहल बनवाया। जो दुनियाँ के सात अजूबों में से एक है। ताजमहल को लगभग हुमायूं के मकबरे के आधार पर ही बनाया गया है।

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