prem mandir

प्रेम मंदिर (prem mandir)

वैसे तो भारत की प्राचीन संस्कृत और भारत के प्राचीन मंदिरो की कहानी सदियों पुरानी है। भारत के सभी प्राचीन मंदिरो की भारत वासियो के जीवन में एक अहम स्थान रखते है। भारत के सभी मंदिरो में से आज हम जिस मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे है। वो मंदिर है प्रेम मंदिर (prem mandir)

By the way, the story of ancient Sanskrit of India and ancient temples of India is centuries old. All the ancient temples of India have an important place in the lives of the people of India. Of all the temples in India, the temple we are going to tell you today. That temple is Prem Mandir

प्रेम मंदिर (prem mandir) वृंदावन(भारत) में स्थित है। इसका निर्माण जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा भगवान कृष्ण और राधा के मन्दिर के रूप में करवाया गया है। मंदिर को बाहर और अन्दर से भारतीय शिल्पकला से बहुत ही अद्भुत तरीके से सजाया गया है। जिसके कारण बाहर से देखने में यह जितना भव्य लगता है, उतना ही अंदर से भी देखने में लगता है। इस मंदिर को सफेद इटालियन संगमरमर से बनाया गया है। इस मंदिर को सुंदरता से सजाने के लिए मंदिर के अंदर और बाहर प्राचीन भारतीय शिल्पकला की कलाओं का प्रयोग किया गया है।

Prem Mandir (prem mandir) is located in Vrindavan (India). It has been built by Jagadguru Kripalu Maharaj as the temple of Lord Krishna and Radha. The temple is decorated in a very amazing way with Indian artistry from outside and inside. Due to which it looks as grand as it looks from outside, it is also seen from inside. This temple is made of white Italian marble. The art of ancient Indian sculpture has been used inside and outside the temple to decorate this temple with beauty.

यहाँ पूरा मन्दिर 56 एकड़ में बना है इसमें मंदिर की ऊँचाई 125 फुट, लम्बाई 122 फुट तथा चौड़ाई 115 फुट है। इसमें फव्वारे, राधा-कृष्ण की मनोहर झाँकियाँ, श्री गोवर्धन लीला, कालिया नाग दमन लीला, झूलन लीला की झाँकियाँ उद्यानों के बीच सजायी गयी है। यह मन्दिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को साकार करता है। सभी वर्ण, जाति, देश के लोगों के लिये खुले मन्दिर के लिए द्वार सभी दिशाओं में खुलते है। मुख्य प्रवेश द्वारों पर आठ मयूरों के नक्काशीदार तोरण हैं तथा पूरे मन्दिर की बाहरी दीवारों पर राधा-कृष्ण की लीलाओं को शिल्पांकित किया गया है। इसी प्रकार मन्दिर की भीतरी दीवारों पर राधाकृष्ण और कृपालुजी महाराज की विविध झाँकियों का भी अंकन हुआ है। मन्दिर में कुल 94 स्तम्भ हैं जो राधा-कृष्ण की विभिन्न लीलाओं से सजाये गये हैं। अधिकांश स्तम्भों पर गोपियों की मूर्तियाँ अंकित हैं, जो सजीव जान पड़ती है। मन्दिर के गर्भगृह के बाहर और अन्दर प्राचीन भारतीय वास्तुशिल्प की उत्कृष्ट पच्चीकारी और नक्काशी की गयी है तथा संगमरमर की शिलाओं पर राधा गोविन्द गीत सरल भाषा में लिखे गये हैं। मंदिर परिसर में गोवर्धन पर्वत की सजीव झाँकी बनायी गयी है।

The entire temple here is built on 56 acres, the height of the temple is 125 feet, 122 feet in length and 115 feet in width. It has fountains, beautiful tableaux of Radha-Krishna, Shri Govardhan Leela, Kalia Nag Daman Leela, Jhulan Leela are decorated among the gardens. This temple realizes divine love through architecture. The gates open in all directions for the temple to be open to people of all varna, caste and country. The main entrance has eight peacocks with carved archways and Radha-Krishna pastimes are carved on the outer walls of the entire temple. Similarly, various tableaux of Radhakrishna and Kripaluji Maharaj have also been marked on the inner walls of the temple. There are a total of 94 pillars in the temple which are decorated with various pastimes of Radha-Krishna. Most of the pillars have inscriptions of gopis, which appear to be alive. Outside and inside the sanctum sanctorum of the temple are exquisite mosaics and carvings of ancient Indian architecture and Radha Govind songs are written in simple language on the marble rocks. A live tableau of Govardhan Parvat has been made in the temple premises.


मंदिर के अंदर और मंदिर के बाहर की बाहरी दीवारों पर श्रीराधा-कृष्ण की लीलाओं को शिल्पकारों ने मूर्त रूप दिया है। ये मंदिर वृंदावन के सभी मंदिरो में से सबसे ज्यादा सूंदर और अद्भुत है।मंदिर की दीवारे 3.25 ft. मोटी है. मंदिर की गर्भ गृह की दीवार की मोटाई 8 ft है जिस पर एक विशाल शिखर, एक स्वर्ण कलश और एक ध्वज रखा गया है. मंदिर की बाहरी परिसर में 84 स्तंभ है जो श्री कृष्ण की लीलाओं को प्रदर्शित करते है जिनका उल्लेख श्रीमद भगवद में किया गया है.ये मंदिर वृंदावन की एक अद्वितीय आध्यात्मिक संरचना है.मंदिर में लगाये गये पैनल को श्रीमद् भगवत गीता से लिया गया है।जैसे ही आप मंदिर के अंदर अपने कदमों को रखते हैं तो आप को एक अलग सा प्रतीत होता है चारों तरफ राधा कृष्णा और उनकी दिव्य छवियाँ आकर्षित करती है जहां उनके बचपन के बारे में दर्शया गया है, माँ यशोदा नंदबाबा ग्वाल बाल सखियों के साथ अद्भुत प्रतिमाये है।इस मन्दिर के अन्दर श्री कृष्ण भगवान की गोपियों के साथ रासलीला करते हुए और जब बाल कृष्ण ने गोवर्धन को अपने कनिष्ठ उंगली पर उठाया था और सभी ब्रज वासियो की इंद्र भगवन के कोप से रक्षा की थी उसकी भी अद्भुत दृश्य को दर्शया गया है।

Craftsmen have embodied the pastimes of Shriradha-Krishna on the inside and outside walls of the temple. This temple is the most beautiful and amazing of all the temples of Vrindavan. The temple walls are 3.25 ft. Is thick The thickness of the wall of the sanctum sanctorum of the temple is 8 ft, on which a huge shikhara, a golden urn and a flag are placed. The outer complex of the temple has 84 pillars which depict the pastimes of Shri Krishna which are mentioned in the Srimad Bhagavad. This temple is a unique spiritual structure of Vrindavan. The panel installed in the temple is taken from the Srimad Bhagavad Gita. As soon as you place your steps inside the temple, you seem to be a bit different, Radha attracts Krishna and her divine images all around. Childhood is depicted, Maa Yashoda Nandababa Gwal is a wonderful idol with child-bearers. Inside this temple Sri Krishna is playing with Gods gopis and when Bal Krishna raised Govardhan on his inferior finger and all Braj Vasio was protected from the wrath of Indra Bhagwan by his wonderful scene.


इस मन्दिर के निर्माण में 11 वर्ष का समय और लगभग 100 करोड़ रुपए की धन राशि लगी है। इसमें इटैलियन करारा संगमरमर का प्रयोग किया गया है और इसे राजस्थान और उत्तरप्रदेश के एक हजार शिल्पकारों ने तैयार किया है। इस मन्दिर का शिलान्यास 14 जनवरी 2001 को कृपालुजी महाराज द्वारा किया गया था। ग्यारह वर्ष के बाद तैयार हुआ यह भव्य प्रेम मन्दिर सफेद इटालियन करारा संगमरमर से तराशा गया है। मन्दिर दिल्ली – आगरा – कोलकाता के राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर छटीकरा से लगभग 3 किलोमीटर दूर वृंदावन की ओर भक्तिवेदान्त स्वामी मार्ग पर स्थित है। यह मन्दिर प्राचीन भारतीय शिल्पकला के पुनर्जागरण का एक नमूना है।

The construction of this temple has taken 11 years and money amounting to about 100 crores. Italian Carrara marble has been used in it and it has been prepared by 1000 artisans from Rajasthan and Uttar Pradesh. The foundation stone of this temple was done by Kripaluji Maharaj on 14 January 2001. This grand love temple, completed after eleven years, is carved with white Italian beige marble. The temple is located on Bhaktivedanta Swami Marg, about 3 kilometers from Chhatikara on Delhi-Agra-Kolkata National Highway 2 towards Vrindavan. This temple is a specimen of the renaissance of ancient Indian sculpture.

प्रेम मंदिर के खुलने का समय 5.30 बजे है और बंद होने का समय 8.30 बजे है। मंदिर के अंदर विभिन्न आरती का प्रदर्शन किया जाता है। आरती के समय मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त इकट्ठे होते हैं। मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है और प्रवेश सभी के लिए पूरी तरह से नि: शुल्क है। पूरे मंदिर को कवर करने के लिए कम से कम दो घंटे की आवश्यकता है।

The opening time of Prem Mandir is 5.30 PM and closing time is 8.30 PM. Various aartis are performed inside the temple. A large number of devotees gather in the temple during the Aarti. There is no entrance fee to enter inside the temple and entry is completely free for all. A minimum of two hours is required to cover the entire temple.

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