Kumbhal-Garh Fort -Second Largest Wall

Kumbhalgarh Fort history - कुम्भलगढ़ किले का इतिहास

इस किले का निर्माण महाराणा कुम्भा ने सन 13 मई 1459 वार शनिवार को कराया था। इसकी चोटी समुद्रतल से 3568 फीट और नीचे से ७०० फीट ऊँची हैं. इस किले को 'अजयगढ' कहा जाता था क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना दुष्कर कार्य था। इसके चारों ओर एक बडी दीवार बनी हुई है जो चीन की दीवार के बाद विश्व कि दूसरी सबसे बडी दीवार है। इस किले की दीवारे लगभग ३६ किमी लम्बी है और यह किला किला यूनेस्को की सूची में सम्मिलित है। कुम्भलगढ़ किले की इतिहास के बारे में कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन इतिहासकारों के अनुसार वास्तविक किले का निर्माण मौर्य वंश के महाराज सम्प्रति के द्वारा छठी शताब्दी में कराया गया था। वर्तमान समय में बने इस किले का निर्माण सिसोदिया राजपूतों के द्वारा कराया गया है।

This fort was built by Maharana Kumbha on Saturday, May 13, 1459. Its peak is 3568 feet above sea level and 400 feet above the bottom. This fort was called 'Ajaygarh' because conquering this fort was a difficult task. A large wall is built around it, which is the second largest wall in the world after the Chinese wall. The walls of this fort are about 37 km long and this fort is included in the UNESCO list. There is no concrete information about the history of Kumbhalgarh Fort. But according to historians the actual fort was built by Maharaja Samprati of the Maurya dynasty in the sixth century. This fort built at the present time has been built by Sisodia Rajputs.

इस किले का डिजाइन आर्किटेक्चर मदन के द्वारा दिया गया। इस किले के निर्माण को पूरा करने में 15 साल का समय लगा। राणा कुंभा ने अपने साम्राज्य को मेवाड़ से ग्वालियर तक फैलाया। साथ ही उन्होंने राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्य के कुछ स्थानों को अपने अधीन कर लिया था। राणा कुंभा ने लगभग 84 किले को अपने अधीन कर लिया। और माना जाता है। कि ३२ किले का निर्माण राणा कुंभा के द्वारा कराया गया। कुम्भलगढ़ किले के द्वारा मेवाड़ और मारवाड़ साम्राज्य अलग हुए उस समय मेवाड़ के राजाओं ने इस किले पर अपना साम्राज्य चलाया।

The architecture of this fort was designed by Madan. The construction of this fort took 15 years to complete. Rana Kumbha extended his empire from Mewar to Gwalior. At the same time, he had taken some places in the state of Rajasthan and Madhya Pradesh under him. Rana Kumbha took over the forts around 84. And is considered. That 32 forts were built by Rana Kumbha. The Mewar and Marwar kingdoms were separated by the Kumbhalgarh Fort, at that time the kings of Mewar ruled their empire.


कुंभलगढ़ किले पर आक्रमण

कुम्भलगढ़ किले का निर्माण पंद्रहवी सदी में राजा राणा कुम्भा ने करवाया था। यह मेवाड़ किला बनास नदी के तट पर स्थित है। पर्यटक बड़ी संख्या में इस किले को देखने आते हैं क्योंकि यह किला राजस्थान राज्य का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण किला है। यह विशाल किला 13 गढ़, बुर्ज और पर्यवेक्षण मीनार से घिरा हुआ है। कुंभलगढ़ का किला अनेकों युद्ध का साक्षी रहा। इस किले अनेकों युद्ध देखें और राजपूत राजाओं को शरण दी। इस किले पर 1457 में अहमद शाह प्रथम ने आक्रमण किया और उसकी यह कोशिश नाकामयाब साबित हुई। अहमद शाह किले को तोड़ना चाहता था।परंतु अपनी इस कोशिश में नाकामयाब साबित रहा।अहमद शाह ने यहां पर स्थित मंदिरों को क्षति पहुंचाई थी। इनके बाद महमूद खिलजी ने भी इस किले पर 1458– 59 और 1467 में आक्रमण किया। परंतु वह अपनी हर एक कोशिश में असफल हुआ। इसके बाद भी इस किले पर अनेकों शासकों ने आक्रमण किए और वह विफल रहे। इस किले ने कभी हार नहीं मानी। लेकिन पानी की कमी के कारण राजपूत राजाओं को समर्पण करना पड़ा था। इसलिए कुम्भलगढ़ किले को एक बार हार का सामना करना पड़ा। जिसका मुख्य कारण पानी की कमी थी। कहा जाता है। कि अकबर के सेनापति शाहबाज ने कुम्भलगढ़ किले को अपने नियंत्रण में कर लिया था। इसके बाद मराठा ने 1818 को इस किले अपने अधिकार में कर लिया था।

Attack on Kumbhalgarh Fort

Kumbhalgarh Fort was built by King Rana Kumbha in the fifteenth century. This Mewar Fort is situated on the banks of the Banas River. Tourists come in large numbers to see this fort as it is the second most important fort in the Usla-rated state. This huge fort is surrounded by 13 bastions, bastions and visible towers. The fort of Kumbhalgarh witnessed many wars. This fort saw many wars and gave shelter to Rajput kings. This fort was attacked by Ahmad Shah I in 1457 and his attempt proved unsuccessful. Ahmad Shah wanted to break the fort but failed in his attempt. Ahmad Shah damaged the temples here. After them Mahmud Khilji also attacked this fort in 1458– 59 and 1467. But he failed in every attempt. Even after this, many rulers attacked this fort and failed. This fort never gave up. But due to lack of water, Rajput kings had to surrender. Hence Kumbhalgarh Fort once suffered defeat. The main reason was lack of water. It is said. That Shahbaz, the commander of Akbar, had taken the Kumbhalgarh fort under his control. After this, the Maratha took this fort in 1818.


शैंपेन बोतल आकार की दीवार

किले की दीवार शैंपेन की बोतल की आकार की बनी हुई है। दरअसल, ऐसा दुश्मनों को कैद करने के लिए बनाया गया था। किले के ऊपर से आसपास का पूरा नज़ारा दिखता है।

Shampain Bottle Shape Wall

The fort wall is shaped like a shampain bottle. Actually, it was designed to imprison enemies. The whole view of the surroundings is seen from the top of the fort.

कुम्भलगढ़ गढ़ किले के रोचक तथ्य

कुम्भलगढ़ का किला राजस्थान के चित्तौड़गढ़ की किलो के बाद दूसरा सबसे बड़ा किला है। यह किला राजस्थान के उदयपुर जिले के राजसमंद में अरावली पहाड़ी पर स्थित है। यह किला 13 पहाड़ियों पर बना हुआ है। इस किले की दीवार की लंबाई 38 किलोमीटर है। यह दीवार 15 फीट चौड़ी है। इस किले मैं बहुत से महल मंदिर और उद्यानों का निर्माण कराया गया है। जो कि इस किले को और खूबसूरत बनाते हैं। इस किले में 7 गेट हैं। इस किले में लगभग 360 मंदिर हैं। जिनमें 300 जैन मंदिर और हिंदू शिव मंदिर हैं। कुम्भलगढ़ किले के रास्ते घुमावदार सड़क के बने हैं।जिससे हमें आसपास के घने जंगल दिखाई देते हैं। कुंभलगढ़ का किला राजस्थान के महत्वपूर्ण किलो में से एक है। यह किला ऐतिहासिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को आकर्षित करती है। इस कारण इस किले पर वर्ष बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।

INTERESTING FACTS OF KUMBHALGARH FORT

The fort of Kumbhalgarh is the second largest fort after the kilo of Chittorgarh in Rajasthan. This fort is located on the Aravalli hill in Rajsamand in Udaipur district of Rajasthan. This fort is built on 13 hills. The length of this fort wall is 38 km. This wall is 15 feet wide. Many palace temples and gardens have been built in this fort. Which make this fort more beautiful. There are 7 gates in this fort. There are about 360 temples in this fort. There are 300 Jain temples and Hindu Shiva temples. The roads leading to Kumbhalgarh Fort are made of curved roads, giving us the dense forest surrounding. Kumbhalgarh Fort is one of the important kilos of Rajasthan. This fort attracts tourists to the historical heritage and natural beauty. Due to this, a large number of tourists visit this fort every year.


कुम्भलगढ़ का किला भारत के प्राचीन किलो में से एक है। कुम्भलगढ़ का किला मेवाड़ की ऐतिहासिक धरोहर है। कुम्भलगढ़ की प्रत्येक महल एवं किले ऐतिहासिक स्थल है। यह किला भारत के राजस्थान राज्य के उदयपुर जिले के राजसमंद नामक स्थान पर स्थित है। सन 2013 में यूनेस्को द्वारा इसे विश्व विरासत स्थल भी घोषित किया गया। कुम्भलगढ़ का किला अरावली पर्वत पर स्थित है। कुम्भलगढ़ की भूमि एक बहादुर शासक महाराणा प्रताप की जन्म भूमि हैं। कुम्भलगढ़ किले की दीवार 38 किलोमीटर लंबी हैं। जिसके कारण यह चाइना की दीवार के बाद विश्व की सबसे लंबी दीवार वाले किले में दूसरे नंबर पर आता है

The fort of Kumbhalgarh is one of the ancient Fort of India. The fort of Kumbhalgarh is a historical heritage of Mewar. Every palace and fort of Kumbhalgarh is a historical site. This fort is located at a place called Rajsamand in Udaipur district of Rajasthan state, India. It was also declared a World Heritage Site by UNESCO in 2013. The fort of Kumbhalgarh is situated on the Aravalli mountain. The land of Kumbhalgarh is the birthplace of Maharana Pratap, a brave ruler. The walls of Kumbhalgarh Fort are 38 km long. Because of which it comes second in the world's longest walled fort after China wall.

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