Mughal rule in India-भारत में मुग़ल शासन
ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर-Zahir-ud-din Muhammad Babur
ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर-Zahir-ud-din Muhammad Babur
ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर (14 फ़रवरी 1483 - 26 दिसम्बर 1530) जो बाबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, एक मुगल शासक था. जिनका मूल मध्य एशिया था। भारत में मुग़ल राजवंशीय की शुरुआत ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर ने की, बाबर भारत में उत्तर की ओर से आया था। ऐसा कहा जाता है की वो तैमूर लंग का परपोता था, और ऐसा विश्वास रखता था कि चंगेज़ ख़ान उनके वंश का पूर्वज था। मुबईयान नामक पद्य शैली का जन्मदाता बाबर को ही माना जाता है। 1504 ई.काबुल तथा 1507 ई में कंधार को जीता था तथा बादशाह (शाहों का शाह) की उपाधि धारण की 1519 से 1526 ई. तक भारत पर उसने 5 बार आक्रमण किया तथा सफल हुआ 1526 में उसने पानीपत के मैदान में दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल वंश की नींव रखी उसने 1527 में खानवा 1528 मैं चंदेरी तथा 1529 में आगरा जीतकर अपने राज्य को सफल बना दिया और फिर 1530 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।
Zahir-ud-din Muhammad Babur (14 February 1483 - 26 December 1530), popularly known as Babur, was a Mughal ruler. Whose origin was Central Asia. The Mughal dynasty started in India by Muhammad Babur on Zahir-ud-din, Babur came from the north side in India. It is said that he was the great-grandson of Timur Lung, and believed that Genghis Khan was the ancestor of his dynasty. Babur is believed to be the creator of the verse style called Mubaiyan. Kakhar was conquered in 1504 AD and 1507 AD and held the title of Badshah (Shah of Shahas), he invaded India 5 times from 1519 to 1526 AD and succeeded in 1526. He made the last of the Delhi Sultanate in the plains of Panipat. After defeating Sultan Ibrahim Lodi, he laid the foundation of the Mughal dynasty. He succeeded his kingdom by winning Khanwa 1528 i Chanderi in 1527 and Agra in 1529 and then died in 1530 AD.
Humayun-हुमायूँ
हमायूँ का मकबरा-Humayun's Tomb
हुमायूँ एक मुगल शासक था। प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर के पुत्र नसीरुद्दीन हुमायूँ (६ मार्च १५०८ – २२ फरवरी, १५५६) थे। उन के पास साम्राज्य बहुत साल तक नही रहा, पर मुग़ल साम्राज्य की नींव में हुमायूँ का भी योगदान है। बाबर की मृत्यु के पश्चात हुमायूँ ने १५३० में भारत की राजगद्दी संभाली और उनके सौतेले भाई कामरान मिर्ज़ा ने काबुल और लाहौर का शासन ले लिया। बाबर ने मरने से पहले ही इस तरह से राज्य को बाँटा ताकि आगे चल कर दोनों भाइयों में लड़ाई न हो। कामरान आगे जाकर हुमायूँ के कड़े प्रतिद्वंदी बने। हुमायूँ का शासन अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत के हिस्सों पर १५३०-१५४० और फिर १५५५-१५५६ तक रहा।
Humayun was a Mughal ruler. The first Mughal emperor was Babur's son Naseeruddin Humayun (7 March 1507 - 22 February, 1557). They did not have an empire for many years, but Humayun also contributed to the foundation of the Mughal Empire.
After Babur's death, Humayun took over the throne of India in 1530 and his half-brother Kamran Mirza took the rule of Kabul and Lahore. Babur divided the kingdom before he died so that the two brothers would not fight later. Kamran later became Humayun's tough opponent. Humayun ruled over Afghanistan, Pakistan and parts of North India from 1530–1560 and then 1555–1558.
भारत में उन्होने शेरशाह सूरी शेरशाह ने इसे बेलग्राम के युद्ध में पराजित कर दिया था तथा उससे बात से निर्वासित होना पड़ा उसने निर्वासन का कुछ समय काबुल सिंध अमरकोट में बिताया अंत में ईरान के शासक तहमास्य के पास शरण ली । ईरान के शासक की मदद से उसने काबुल कंधार में मध्य एशिया के क्षेत्रों को जीता। उसने 1555 ई० में शेरशाह के अधिकारियों को हराकर एक बार फिर दिल्ली आगरा पर अधिकार कर लिया। इसके बाद अचानक1556 में उसकी मृत्यु हो गई इस के साथ ही, मुग़ल दरबार की संस्कृति भी मध्य एशियन से इरानी होती चली गयी।
In India, he was defeated by Sher Shah Suri Sher Shah in the Battle of Belgram and had to be exiled. He spent some time of exile in Kabul Sindh Amarkot. Finally he took refuge with Iran's ruler Thamasya. With the help of the ruler of Iran, he conquered the regions of Central Asia in Kabul Kandahar. In 1555, he defeated Sher Shah's officers and once again took control of Delhi Agra. After this, he died suddenly in 1556, with this, the culture of the Mughal court also went from Central Asian to Iranian.
Jalaluddin Muhammad Akbar.-जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर
अकबर का मकबरा-Akbar's tomb
हुमायूँ की अचानक मृत्यु हो जाने से इकलौता पुत्र बहुत ही छोटी सी उम्र में राजगद्दी पर बैठा। हुमायूँ के बेटे का नाम जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर था। हुमायूं की मृत्यु के समय उसका इकलौता पुत्र अकबर पंजाब के कलानौर में था। उसे वहीं पर शासक घोषित कर दिया गया।
After the sudden death of Humayun, the only son sat on the throne at a very young age. Humayun's son's name was Jalaluddin Muhammad Akbar. At the time of Humayun's death, his only son Akbar was in Kalanaur, Punjab. He was declared the ruler there.
जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर (उर्दू: جلال الدین محمد اکبر) (१५ अक्तूबर, १५४२-२७ अक्तूबर, १६०५) तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था।
Jalal Uddin Mohammed Akbar (Urdu: جلال الدین محمد اکبر) (October 15, 1572 - October 26, 1805) was the third ruler of the Mughal dynasty of the Timurid lineage. Akbar is also known as Akbar-i-Azam (ie Akbar the Great), Emperor Akbar, Mahabali emperor. Emperor Akbar was the grandson of Zaheeruddin Muhammad Babur, the founder of the Mughal Empire, and the son of Nasiruddin Humayun and Hamida Bano.
अकबर ने अपने शासनकाल में ताँबें, चाँदी एवं सोनें की मुद्राएँ प्रचलित की। इन मुद्राओं के पृष्ठ भाग में सुंदर इस्लामिक छपाई हुआ करती थी। अकबर ने अपने काल की मुद्राओ में कई बदलाव किए। उसने एक खुली टकसाल व्यवस्था की शुरुआत की जिसके अन्दर कोई भी व्यक्ति अगर टकसाल शुल्क देने मे सक्षम था तो वह किसी दूसरी मुद्रा अथवा सोने से अकबर की मुद्रा को परिवर्तित कर सकता था। अकबर चाहता था कि उसके पूरे साम्राज्य में समान मुद्रा चले।
Akbar introduced copper, silver and gold currencies during his reign. There was beautiful Islamic printing on the back of these postures. Akbar made many changes in the postures of his era. He introduced an open mint system under which if any person was able to pay the mint fee, he could change the currency of Akbar from another currency or gold. Akbar wanted the same currency to prevail throughout his empire.
अकबर एक मुसलमान था, पर दूसरे धर्म एवं संप्रदायों के लिए भी उसके मन में आदर था। जैसे-जैसे अकबर की आयु बदती गई वैसे-वैसे उसकी धर्म के प्रति रुचि बढ़ने लगी। उसे विशेषकर हिंदू धर्म के प्रति अपने लगाव के लिए जाना जाता हैं। उसने अपने पूर्वजो से विपरीत कई हिंदू राजकुमारियों से शादी की। इसके अलावा अकबर ने अपने राज्य में हिन्दुओ को विभिन्न राजसी पदों पर भी आसीन किया जो कि किसी भी भूतपूर्व मुस्लिम शासक ने नही किया था। वह यह जान गया था कि भारत में लम्बे समय तक राज करने के लिए उसे यहाँ के मूल निवासियों को उचित एवं बराबरी का स्थान देना चाहिये।
Akbar was a Muslim, but he also had respect for other religions and sects. As the age of Akbar changed, so did his interest in religion. He is particularly known for his fondness for Hinduism. He married many Hindu princesses, unlike his ancestors. Apart from this, Akbar also held Hindus in various princely positions in his state which was not done by any former Muslim ruler. He had come to know that in order to rule India for a long time, he should give proper and equal place to the original inhabitants here.
अकबर की मृत्यु 27 अक्टूबर 1605 को हुई। इतने बड़े सम्राट की मृत्यु होने पर उसकी अंत्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया।
Akbar died on 27 October 1605. On the death of such a great emperor, his funeral was done without any rites soon. According to tradition, a passage was made by breaking the wall in the fort and his body was quietly buried in the tomb of Sikandra.
जहाँगीर-Jahangir
जहाँगीर महल- janhagir Palace
मुगल सम्राट जहांगीर का जन्म 31 अगस्त, 1569 को मुगल सम्राट अकबर के बेटे के रुप में फतेहपुर सीकरी शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से हुआ था। जहांगीर की माता का नाम मरियम उज्जमानी था। सलीम से पहले अकबर की कोई भी संतान नहीं थी। अकबर को अपनी किसी भी रानी के कोई भी संतान प्राप्त नहीं हो रही थी। फिर एक दिन अकबर को शेख सलीम चिश्ती के बारे में पता चला। जो एक बहुत बड़े से संत थे। उन्होंने अकबर को आशीर्वाद दिया की जल्द ही उसको अपनी रानी मरियम से एक संतान प्राप्त होगी। जब अकबर को संतान प्राप्र्त हुई तो उसने अपने बेटे का नाम सलीम रखा। क्योंकि शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से ही सलीम का जन्म हुआ था शेख सलीम चिश्ती ने अकबर के बेटे सलीम को आशीर्वाद देते हुआ कहा था, की भविष्य में सलीम जहाँगीर के नाम से जाना जाएगा ।
The Mughal Emperor Jahangir was born on 31 August 1569 as the son of Mughal Emperor Akbar with the blessings of Fatehpur Sikri Sheikh Salim Chishti. Jahangir's mother's name was Maryam Ujjmani. Akbar did not have any children before Salim. Akbar was not receiving any children of any of his queens. Then one day Akbar came to know about Sheikh Salim Chishti. Who was a very saint. He blessed Akbar that he would soon get a child from his queen Maryam. When Akbar had children, he named his son Salim. Because Salim was born with the blessings of Sheikh Salim Chishti, Sheikh Salim Chishti while blessing Akbar's son Salim said that in future, Salim will be known as Jahangir.
साल 1627 में जब मुगल सम्राट जहांगीर कश्मीर से वापस लौट रहा था, तभी रास्ते में लाहौर (पाकिस्तान) में तबीयत बिगड़ने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, जहांगीर के मृत शरीर को अस्थायी रूप से लाहौर में रावी नदी के किनारे बने बागसर के किले में दफनाया गया था। फिर बाद में वहां जहांगीर की बेगम नूरजहां द्धारा जहांगीर का भव्य मकबरा बनवाया गया, जो आज भी लाहौर में पर्यटकों के आर्कषण का मुख्य केन्द्र है। वहीं जहांगीर की मौत के बाद उसका बेटा खुर्रम (शाहजहां) मुगल सिंहासन का उत्तराधिकारी बना।
In 1627, when the Mughal emperor Jahangir was returning from Kashmir, he died due to deteriorating health in Lahore (Pakistan) on the way. Subsequently, Jahangir's dead body was temporarily buried in the fort of Bagsar built on the banks of the Ravi river in Lahore.Then later there was built a grand mausoleum of Jahangir by Jahangir's Begum Noor Jahan, which is still the main attraction of tourists in Lahore. At the same time, after the death of Jahangir, his son Khurram (Shah Jahan) succeeded the Mughal throne.
Shah Jahan-शाहजहाँ
Taj-Mahal-ताज-महल -True love story(Agra)
first winner of the World's New 7 Wonders (2000-2007).
शाहजहाँ का जन्म 5 जनवरी 1592 लाहौर पाकिस्तान में हुआ था। शाहजहाँ का पूरा नाम एला आज़ाद अबुल मुजफ्फर शहाब उद-दिन मोहम्मद शाहजहाँ था। उनके पिता का नाम मिर्ज़ा नूर-उद-दीन बेग मुहम्मद खान सलीम जिन्हें उनके शाही नाम से जाना जाता है, जहाँगीर। जहाँगीर चौथे मुग़ल सम्राट थे, जिन्होंने 1605 से 1627 तक अपनी मृत्यु तक शासन किया। 1627 में अपने पिता जहाँगीर की मौत के बाद शाहजहाँ को छोटी सी उम्र में ही उन्हें मुगल सिंहासन के उत्तराधिकारी चुन लिया गया।
Shah Jahan was born on January 5, 1592 in Lahore. Shahjahan's full name was Ella Azad Abul Muzaffar Shahab Ud-Din Mohammed Shah Jahan. His father's name was Mirza noor-ud-Din Beg Muhammad Khan Salim, who is known by his royal name, Jahangir, Jahangir was the fourth Mughal emperor who ruled from 1605 to 1627 until his death in 1627, after the death of his father Jahangir, Shahjahan at the young age, The successor of the throne was chosen.
शाहजहाँ के मुग़ल सम्राट बनते ही, शाहजहाँ ने तेजी के साथ अपने सम्राज्य का विकास करना शुरू कर दिया। इस दौरान शाहजहाँ की कई शादियाँ हुई। और शाहजहाँ अपनी सभी पत्नियों के साथ भी रहे। लेकिन आज उनका नाम सिर्फ एक के साथ ही लिया जाता है। और वो नाम है, मुमताज़। मुमताज़ का पूरा नाम था अरजुमंद बानो बेगम। मुमताज़ ने १९ साल में १४ बच्चों को जन्म दिया और फिर ४० साल की उम्र में मुमताज़ की मौत हो गई। 17 जून 1631 को मुमताज़ की मौत हो गई। शाहजहाँ अपनी पत्नी मुमताज़ से बहुत ही प्रेम करते थे। मुमताज़ की मौत ने शाहजहां के दिल को अंदर से तोड़ दिया।
As Shahjahan's Mughal Emperor was formed, Shah Jahan started developing his empire with speed. During this time there were many marriages of Shahjahan. And Shah Jahan also stayed with all his wives. But today his name is taken only with one. And that's the name, Mumtaz. Mumtaz's full name was Arjumand Bano Begum. Mumtaz gave birth to 14 children in 19 years and then Mumtaz died at the age of 40. Mumtaz died on June 17, 1631. Shah Jahan loved his wife Mumtaz very much. Mumtaz's death broke Shahjahan's heart inside.
जिसके कारण शाहजहाँ उदास रहने लगे। जैसे-जैसे दिन बीतते गए। शाहजहाँ अंधेरे की ओर जाने लगे। और धीरे-धीरे वो बूढ़े होने लगे, फिर एक दिन शाहजहाँ ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज़ की याद में एक बहुत ही खूबसूरत मकबरा बनाने की सोची।
Because of which Shahjahan started to be depressed. As the days passed. Shahjahan started going towards darkness And gradually he started getting old, then one day Shah Jahan thought of making a very beautiful tomb in memory of his dear wife Mumtaz.
ताजमहल को बनाने के लिए देश-विदेश से कारीगरों को बुलवाया गया। ताजमहल को बनाने के लिए। कुल 20,000 कारीगर लगे थे। और 1000 हाथी जो बोझा ढोने का काम करते थे, ताजमहल को सबसे अनोखा बनाने के लिए। इसमें २८ अलग-अलग तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, ये पत्थर राजस्थान, बगदाद, तिबत , ईरान, मिस्र, आफगानिस्तान, इत्यादि, अलग-अलग जगहों से लाये गए थे। ताजमहल को बनाने में २२ साल लगे। शायद यंही वजह है की ताजमहल दुनिया के ७ आजूबो में से एक है। फिर कुछ सालों बाद शाहजहाँ की 22 जनवरी 1666 को मौत हो गई। शाहजहाँ की मौत के बाद उसका बेटा औरंगज़ेब मुगल सिंहासन के उत्तराधिकारी बना।
Artisans were called from abroad to build the Taj Mahal. To build the Taj Mahal. A total of 20,000 artisans were engaged. And 1000 elephants who used to carry the burden to make the Taj Mahal the most unique. In this, 24 different types of stones have been used, these stones were brought from different places in Rajasthan, Baghdad, Tibet, Iran, Egypt, Afghanistan, etc. The Taj Mahal took 22 years to build. Perhaps this is the reason that Taj Mahal is one of the 7 wonders of the world. Then a few years later Shah Jahan died on 22 January 1666. After Shah Jahan's death, his son Aurangzeb succeeded the Mughal throne.
आज, लगभग एक वर्ष में 3 मिलियन लोग( एक दिन में लगभग 45,000) ताजमहल का दौरा करते हैं। 2007 में इसे विश्व के न्यू 7 वंडर्स (2000-2007) पहला विजेता घोषित किया गया।
Today, in almost a year, 3 million people (about 45,000 in a day) visit the Taj Mahal. In 2007, it was declared the first winner of the World's New 7 Wonders (2000-2007).
Aurangzeb-औरंगज़ेब
औरंगज़ेब का जन्म 3 नवम्बर १६१८ को दाहोद, गुजरात में हुआ था। वो शाहजहाँ और मुमताज़ महल की छठी संतान और तीसरा बेटा था। अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर जिसे आमतौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर (प्रजा द्वारा दिया हुआ शाही नाम जिसका अर्थ होता है विश्व विजेता) के नाम से जाना जाता था औरंगज़ेब भारत पर राज्य करने वाला छठा मुग़ल शासक था। उसका शासन १६५८ से लेकर १७०७ में उसकी मृत्यु होने तक चला। औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक राज्य किया। वो अकबर के बाद सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाला मुग़ल शासक था। अपने जीवनकाल में उसने दक्षिणी भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार करने का भरसक प्रयास किया पर उसकी मृत्यु के पश्चात मुग़ल साम्राज्य सिकुड़ने लगा।
Aurangzeb was born on 3 November 1816 in Dahod, Gujarat. He was the sixth child of Shah Jahan and Mumtaz Mahal and the third son. Abul Muzaffar Muhiuddin Muhammad Aurangzeb Alamgir, commonly known as Aurangzeb or Alamgir (the royal name given by the people, meaning world conqueror), Aurangzeb, the sixth Mughal ruler to rule India. Was. His reign lasted from 1858 until his death in 1808. Aurangzeb ruled the Indian subcontinent for more than half a century. He was the longest reigning Mughal ruler after Akbar. During his lifetime he tried his best to expand the Mughal Empire in Southern India, but after his death, the Mughal Empire started shrinking.
अपने समय का शायद सबसे धनी और शातिशाली व्यक्ति था जिसने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत में प्राप्त विजयों के जरिये मुग़ल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैलाया और १५ करोड़ लोगों पर शासन किया जो की दुनिया की आबादी का १/४ था।
He was perhaps the wealthiest and the most powerful person of his time, who through his conquests in South India, spread the Mughal Empire in two and a half million square miles and ruled over 15 crore people, which was 1/4 of the world's population.
औरंगज़ेब के अन्तिम समय में दक्षिण में मराठों का ज़ोर बहुत बढ़ गया था। उन्हें दबाने में शाही सेना को सफलता नहीं मिल रही थी। इसलिए सन 1683 में औरंगज़ेब स्वयं सेना लेकर दक्षिण गया। वह राजधानी से दूर रहता हुआ, अपने शासन−काल के लगभग अंतिम 25 वर्ष तक उसी अभियान में रहा। 50 वर्ष तक शासन करने के बाद उसकी मृत्यु दक्षिण के अहमदनगर में 3 मार्च सन 1707 ई. में हो गई। दौलताबाद में स्थित फ़कीर बुरुहानुद्दीन की क़ब्र के अहाते में उसे दफना दिया गया। उसकी नीति ने इतने विरोधी पैदा कर दिये, जिस कारण मुग़ल साम्राज्य का अंत ही हो गया।
During the last time of Aurangzeb, the emphasis of Marathas in the south was greatly increased. The imperial army was not getting success in suppressing them. So in 1683 Aurangzeb himself went south with the army. He stayed away from the capital, in the same campaign for the last 25 years of his reign. After ruling for 50 years, he died in Ahmednagar in the south on 3 March 1707 AD. He was buried in the compound of the tomb of Fakir Buruhanuddin in Daulatabad. His policy created so many opponents, due to which the Mughal Empire itself came to an end.
बहादुर शाह जफर- Bahadur Shah Zafar- بہادر شاہ ظفر
बहादुर शाह ज़फर (1775-1862)-बहादुर शाह जफर का जन्म 24 अक्टूबर 1775 को हुआ था. उनका पूरा नाम मिर्ज़ा अबू ज़फर सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह जाफर था. जफर का जन्म भले एक मुगल घराने में हुआ था लेकिन उनकी माँ हिन्दू महिला थी. भारत में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह थे और उर्दू के माने हुए शायर थे। उन्होंने १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया। युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया जहाँ उनकी मृत्यु हुई।
Bahadur Shah Zafar (1775-1862) Bahadur Shah Zafar was born on 24 October 1775. His full name was Mirza Abu Zafar Siraj-ud-din Muhammad Bahadur Shah Jafar. Although Zafar was born in a Mughal household, his mother was a Hindu woman. He was the last emperor of the Mughal Empire in India and a noted poet of Urdu. He led the Indian soldiers in the first Indian independence struggle of 1857. After the defeat in the war, the British sent him to Burma (now Myanmar) where he died.
1857 में ब्रिटिशों ने तकरीबन पूरे भारत पर कब्जा जमा लिया था. ब्रिटिशों के आक्रमण से तिलमिलाए विद्रोही सैनिक और राजा-महाराजाओं को एक केंद्रीय नेतृत्व की जरूरत थी, जो उन्हें बहादुर शाह जफर में दिखा. बहादुर शाह जफर ने भी ब्रिटिशों के खिलाफ लड़ाई में नेतृत्व स्वीकार कर लिया. लेकिन 82 वर्ष के बूढ़े शाह जफर अंततः जंग हार गए और अपने जीवन के आखिरी वर्ष उन्हें अंग्रेजों की कैद में गुजारने पड़े।
ऐसा कहा जाता है कि तबीयत से वो कवि थे और दिल से बहादुर शाह जफर शेरो - शायरी के मुरीद थे और उनके दरबार के दो शीर्ष शायर मोहम्मद गालिब और जौक आज भी शायरों के लिए आदर्श हैं. जफर खुद बेहतरीन शायर थे. दर्द में डूबे उनकी शायरी में मानव जीवन की गहरी सच्चाइयां और भावनाओं की दुनिया बसती थी. रंगून में अंग्रेजों की कैद में रहते हुए भी उन्होंने ढेरों गजलें लिखीं. बतौर कैदी उन्हें कलम तक नहीं दी गई थी, लेकिन सूफी संत की उपाधि वाले बादशाह जफर ने जली हुई तीलियों से दीवार पर गजलें लिखीं।
In 1857, the British had captured almost all of India. The rebellious soldiers and kings and emperors, stung by the British invasion, needed a central leadership, which showed them in Bahadur Shah Zafar. Bahadur Shah Zafar also accepted leadership in the fight against the British. But 82-year-old Shah Zafar eventually lost the battle and had to spend the last year of his life in British captivity.
It is said that he was a poet from health and heartily Bahadur Shah Zafar was a poet of Shero-Shayari and two of the top poets of his court, Mohammad Ghalib and Jauk are still ideal for poets. Zafar himself was an excellent poet. His poetry, steeped in pain, contained a world of deep truths and emotions in human life. Even while being imprisoned by the British in Rangoon, he wrote a lot of ghazals. As a prisoner, he was not even given a pen, but Zafar, the emperor of the Sufi saint, wrote ghazals on the wall with burnt matchsticks.
अंग्रेजों की कैद में ही 7 नवंबर, 1862 को सुबह बहादुर शाह जफर की मौत हो गई. उन्हें उसी दिन जेल के पास ही श्वेडागोन पैगोडा के नजदीक दफना दिया गया. इतना ही नहीं उनकी कब्र के चारों ओर बांस की बाड़ लगा दी गई और कब्र को पत्तों से ढंक दिया गया। उस समय जफर के अंतिम संस्कार की देखरेख कर रहे ब्रिटिश अधिकारी डेविस ने भी लिखा है कि जफर को दफनाते वक्त कोई 100 लोग वहां मौजूद थे और यह वैसी ही भीड़ थी, जैसे घुड़दौड़ देखने वाली. जफर की मौत के 132 साल बाद साल 1991 में एक स्मारक कक्ष की आधारशिला रखने के लिए की गई खुदाई के दौरान एक भूमिगत कब्र का पता चला. 3.5 फुट की गहराई में बादशाह जफर की निशानी और अवशेष मिले, जिसकी जांच के बाद यह पुष्टि हुई की वह जफर की ही हैं। आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मौत 1862 में 87 साल की उम्र में बर्मा (अब म्यांमार) की तत्कालीन राजधानी रंगून (अब यांगून) की एक जेल में हुई थी, लेकिन उनकी दरगाह 132 साल बाद 1994 में बनी. इस दरगाह की एक-एक ईंट में आखिरी बादशाह की जिंदगी के इतिहास की महक आती है. इस दरगाह में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग प्रार्थना करने की जगह बनी है।
Bahadur Shah Zafar died in the British prison on 7 November 1862 in the morning. He was buried the same day near the prison near the Shvedagon Pagoda. Not only this, a bamboo fence was put around his grave and the grave was covered with leaves. At that time, the British officer, who was overseeing Zafar's funeral, also wrote that some 100 people were present there during the burial of Zafar and it was the same crowd as that of horse racing. 132 years after Zafar's death, an underground tomb was unearthed during an excavation in 1991 to lay the foundation stone of a memorial hall. At a depth of 3.5 feet, the emblem and remains of Emperor Zafar were found, after investigation, it was confirmed that it was from Zafar. The last Mughal emperor Bahadur Shah Zafar died in 1862 at the age of 87 in a prison in the then capital of Burma (now Myanmar), Rangoon (now Yangon), but his dargah was built in 1994 after 132 years. Every brick of this dargah smells of history of the life of the last emperor. This dargah has a separate place of prayer for women and men.
बहादुर शाह जफर की लिखी एक शायरी।-A poetry written by Bahadur Shah Zafar.
लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में
किसकी बनी है आलम-ए-नापायेदार में
बुलबुल को पासबाँ से न सैयाद से गिला
क़िस्मत में क़ैद लिखी थी फ़स्ल-ए-बहार में
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़दार में
इक शाख़-ए-गुल पे बैठ के बुलबुल है शादमाँ
काँटे बिछा दिये हैं दिल-ए-लालाज़ार में
उम्र-ए-दराज़ माँगके लाए थे चार दिन
दो आरज़ू में कट गए, दो इन्तज़ार में
दिन ज़िन्दगी के ख़त्म हुए शाम हो गई
फैला के पाँव सोएँगे कुंज-ए-मज़ार में
कितना है बदनसीब “ज़फ़र″ दफ़्न के लिए
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
My heart has no repose in this despoiled land
Who has ever felt fulfilled in this futile world?
The nightingale complains about neither the sentinel nor the hunter
Fate had decreed imprisonment during the harvest of spring
Tell these longings to go dwell elsewhere
What space is there for them in this besmirched heart?
Sitting on a branch of flowers, the nightingale rejoices
It has strewn thorns in the garden of my heart
I asked for a long life, I received four days
Two passed in desire, two in waiting.
The days of life are over, evening has fallen
I shall sleep, legs outstretched, in my tomb
How unfortunate is Zafar! For his burial
Not even two yards of land were to be had, in t
'
لگتا نہیں ہے جی مِرا اُجڑے دیار میں
کس کی بنی ہے عالمِ ناپائیدار میں
بُلبُل کو پاسباں سے نہ صیاد سے گلہ
قسمت میں قید لکھی تھی فصلِ بہار میں
کہہ دو اِن حسرتوں سے کہیں اور جا بسی
اتنی جگہ کہاں ہے دلِ داغدار میں
اِک شاخِ گل پہ بیٹھ کے بُلبُل ہے شادماں
کانٹے بِچھا دیتے ہیں دلِ لالہ زار میں
عمرِ دراز مانگ کے لائے تھے چار دِن
دو آرزو میں کٹ گئے، دو اِنتظار میں
دِن زندگی کے ختم ہوئے شام ہوگئی
پھیلا کے پائوں سوئیں گے کنج مزار میں
کتنا ہے بدنصیب ظفر دفن کے لئے
دو گز زمین بھی نہ
ملی کوئے یار میں
Bahadur Shah Zafar -بہادر شاہ ظفر
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