यह कहानी पूरब एक ऐसे योद्धा के बारे में है, जो अपने समय का युद्ध में सबसे अच्छी तलवार चलाने वाला योद्धा माना जाता था। और उसका नाम था। कासिम कासिम पूरब में बसे अबहुस्तान के बादशाह का सबसे वफादार गुलाम था कासिम एक बहुत ही जामिल गुलाम योद्धा था। जिसके कारण कासिम के नाम से ही बहुत से राज्य कापने लगते थे जिसके कारण वो सभी राज्य बिना लड़े ही हार मान लेते थे। ऐसा पूरब में कोई राज्य नहीं बचा था जिसे कासिम ने बरबाद ना किया हो। अब तक तो कासिम को यहीं लग रहा था।
This story is about a warrior who was considered to be the best warrior in the war of his time. And his name was. Qasim
Qasim was the most loyal slave of the Emperor of the East, settled in the east. Qasim was a very slaves warrior. Due to which many states started to tremble in the name of Qasim, due to which all those states would give up without fighting. There was no state left in the east that Qasim had not destroyed. Till now Qasim was feeling here only.
इन सब से दूर उत्तर में एक मुल्तान नाम का एक शहर था। जहाँ पर खुदा ने अपनी कुदरती सुंदरता से शहर को जन्नत बना रखा था। इसी वजह से इस शहर को एक पाक शहर भी कहा जाता था। एक रात अबहुस्तान के बादशाह ने मुल्तान शहर को अपने आधीन करने के लिए अपने सबसे वफादार गुलाम कासिम को भेजा। कासिम अबहुस्तान का सबसे बहादुर, चालक , निडर गुलाम योद्धा था उसने अपनी सेना के साथ मिलकर बहुत से शहरो को जीता था। कोई भी ऐसा योद्धा नहीं था जो उसकी तलवार की रफ़्तार का सामना कर सके।
Farther north was a city called Multan. Where God had made the city a paradise with its natural beauty. For this reason, this city was also called a Pak city. One night the emperor of Abhustan sent his most loyal slave Qasim to subdue the city of Multan. Qasim was the most brave, staunch, fearless slave warrior of Abhustan, he won many cities in association with his army. There was no warrior who could withstand the speed of his sword.
कासिम ने रात के अँधेरे में मुल्तान पर हमला किया और पल भर में मुल्तान को जीत लिया और उसके सैनिको ने पुरे शहर को लूट लिया। हमेशा की तरह उसके सैनिको ने यहाँ की राजकुमारी को भी अपने बादशाह के लिए बंधी बना लिया। अबहुस्तान के बादशाह जो हर जीते हुए शहर की राजकुमारी को अपनी वासना का शिकार बनाता है और फिर वैश्य बनाकर राज्य में बेच देता है। मुल्तान शहर को लूटने के बाद बहादुर गुलाम कासिम अपने घामड़ में चूर होकर वापस अबहुस्तान चल दिया। वापस जाते समय रास्ते में कासिम के सैनिको ने देखा की दिन ढल रहा है और जल्द ही रात होने वाली है। जंग में घायल हुए सैनिक रात में सफर नहीं कर पाएंगे इसलिए आज की रात हमें आराम करना चाहिए और सुबह होते ही आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन कासिम को हमेशा की तरह अपने बादशाह से अपनी तरीफ में सुनने वाले अल्फाज उसे उड़ा लिए जा रहे थे। कासिम अपने मन में उन सभी तैयारियों का ख्याल कर रहा था जो उसके लौटने पर होने वाली थी। जैसे उसके लौटने पूरा अबहुस्तान सजाया जायेगा। शहर की सभी सूंदर लड़किया सिर्फ मुझे देखेंगी और मेरे ऊपर सूंदर फूलो की बारिश करेंगी। शहर में जगह जगह सुन्दर बाजे बजेंगे। जोर सोर से तोपों से सलामी देंगे।
Qasim attacked Multan in the dark of night and in a moment conquered Multan and his soldiers plundered the entire city. As usual, his soldiers also tied the princess here for their emperor. King of Abhustan, who makes the princess of every winning city a victim of his lust and then makes a Vaishya and sells it to the kingdom. After plundering the city of Multan, Brave slave Qasim was crushed in his skirmish and returned to Abhustan. On the way back, the soldiers of Qasim saw that the day was getting down and it was soon going to be night. Soldiers injured in the war will not be able to travel at night, so tonight we should rest and move as soon as morning. But Alphas, who listened to Qasim in his own way from his emperor, were being blown away.
Qasim was in his mind taking care of all the preparations that were going to happen on his return. As if his return will be decorated completely. All the beautiful girls in the city will only see me and the beautiful flowers will rain on me. Beautiful instruments will be played from place to place in the city. Cannon will loudly salute from Tire.
जब मैं दरबार में अपने बादशाह के पास पहुँचूँगा तो वो मेरी बहादुरी की तारीफ करते हुए मुझे गले से लगा लेंगे, फिर मै बड़ी आदर से झुक कर उनके हांथो को चुम लूंगा। ये सब सोचता हुआ कासिम आगे बढ़ता जा रहा था तभी एक सैनिक कासिम के करीब आया और कहा -दिन ढलने वाला जल्द ही रात भी हो जाएगी। रात के अँधेरे में सफर करना मुश्किल हो जायेगा। हमारे बहुत से सैनिक घायल है हमें सुरक्षित जगह ढूंढ़कर सुबह तक आराम कर लेना चाहिए। कासिम ने अपना घोडा रोका और अपनी सेना में अपने सभी घायल सैनिको की तरफ देखने लगा। फिर उसने अपने उन थके हुए सैनिको को देखा जो अपने हाँथ में तलवार लिए बन्दी बनाई गई राजकुमारी और अन्य सूंदर लड़कियों की पालकियों के चारो से सुरक्षा कर रहे थे। कासिम पालकियों की तरफ देख ही रहा था की तभी कासिम को एक पालकी में से बाहर झाकती हुई दो सुन्दर आखें दिखाई दी। कासिम को अचानक से अपने हांथो में एक गुदगुदी सी हुई, दिल की धड़कन तेज होती हुई सुनाई दी, उसका शरीर अपने आप ढीला पड़ने लगा।
When I reach my Emperor in the court, he will hug me while praising my bravery, then I will bow down with great respect and kiss his hands. Thinking of all this, Qasim was moving forward, when a soldier came close to Qasim and said - the day will soon turn into night. Traveling in the dark of night will be difficult. Many of our soldiers are injured. We should find a safe place and rest by morning. Qasim stopped his horse and looked towards all his wounded soldiers in his army. Then he saw his weary soldiers who were guarding the palanquins of the princess and other beautiful girls in their arms with swords. Qasim was looking towards the palanquins when Qasim saw two beautiful eyes peeping out of a palanquin. Qasim suddenly felt a tickle in his hand, his heartbeat was getting louder, his body started to loose itself.
उन दोनों आँखों में जादू का-सा आकर्षण था, उसके आदिल के गोशे में बैठीं। वह जिधर ताकता था वहीं दोनों उमंग की रोशनी से चमकते हुए तारे नजर आते थे। उसे बर्छी नहीं लगी, कटार नहीं लगी, किसी ने उस पर जादू नहीं किया, मंतर नहीं किया, नहीं उसे अपने दिल में इस वक्त एक मजेदार बेसुधी, दर्द की एक लज्जत, मीठी-मीठी-सी एक कैफ्रियत और एक सुहानी चुभन से भरी हुई रोने की-सी हालत महसूस हो रही थी। उसका रोने को जी चाहता था, किसी दर्द की पुकार सुनकर शायद वह रो पड़ता, बेताब हो जाता। उसका दर्द का एहसास जाग उठा था जो इश्क की पहली मंजिल है। क्षण-भर बाद उसने हुक्म दिया—आज हमारा यहीं कयाम होगा।
Both of them had a magic charm in her eyes, sitting in her goth. Where he stared, both stars were seen shining with the light of exaltation. He did not feel tired, did not dagger, did not cast a spell on him, did not turn, nor did he have a funny sense of heart in him at the moment, a blush of pain, a sweet-sweet Kafriyat and a sweet prick I was feeling like crying. He wanted to cry, he would cry, he would get desperate after hearing the call of some pain. His pain was awakened, which is the first floor of Ishq. After a moment, he ordered - today we will be here.
आधी रात गुजर चुकी थी, लश्कर के आदमी मीटी नींद सो रहे थे। चारों तरफ़ मशालें जलती थीं और तिलासे के जवान जगह-जगह बैठे जम्हाइयां लेते थे। लेकिन क़ासिम की आंखों में नींद न थी। वह अपने लम्बे-चौड़े पुरलुत्फ़ ख़ेमे में बैठा हुआ सोच रहा था—क्या इस जवान औरत को एक नजर देख लेना कोई बड़ा गुनाह है? माना कि वह मुलतान के राजा की शहजादी है और मेरे बादशाह अपने हरम को उससे रोशन करना चाहते हैं लेकिन मेरी आरजू तो सिर्फ इतनी है कि उसे एक निगाह देख लूँ और वह भी इस तरह कि किसी को खबर न हो। बस। और मान लो यह गुनाह भी हो तो मैं इस वक्त वह गुनाह करूँगा। अभी हजारों बेगुनाहों को इन्हीं हाथों से क़त्ल कर आया हूँ। क्या खुदा के दरबार में गुनाहों की माफ़ी सिर्फ़ इसलिए हो जाएगी कि बादशाह के हुक्म से किये गये? कुछ भी हो, किसी नाज़नीन को एक नजर देख लेना किसी की जान लेने से बड़ा गुनाह नहीं। कम से कम मैं ऐसा नहीं समझता। क़ासिम दीनदार नौजवान था। वह देर तक इस काम के नैतिक पहलू पर ग़ौर करता रहा। मुलतान को फ़तेह करने वाला हीरो दूसरी बाधाओं को क्यों खयाल में लाता ?
उसने अपने खेमे से बाहर निकलकर देखा, बेगमों के खेमे थोड़ी ही दूर पर गड़े हुए थे। क़ासिम ने तजान-बूझकर अपना खेमा उसके पास लगाया था। इन खेमों के चारों तरफ़ कई मशालें जल रही थीं और पांच हब्शी ख्वाजासरा रंगी तलवारें लिये टहल रहे थे। कासिम आकर मसनद पर लेट गया और सोचने लगा—इन कम्बख्त़ों को क्या नींद न आयेगी? और चारों तरफ़ इतनी मशाले क्यों जला रक्खी हैं? इनका गुल होना जरूरी है। इसलिए पुकारा—मसरूर।
-हुजुर, फ़रमाइए?
-मशालें बुझा दो, मुझे नींद नहीं आती।
-हुजूर, रात अंधेरी है।
-हां।
-जैसी हुजूर की मर्जी।
ख्व़ाजासरा चला गया और एक पल में सब की सब मशालें गुल हो गयीं, अंधेरा छा गया। थोड़ी देर में एक औरत शहजादी के खेमे से निकलकर पूछा-मसरूम, सरकमार पूछती हैं, यह मशालें क्यों बुझा दी गयीं?
मशरूम बोला-सिपहदार साहब की मर्जी। तुम लोग होशियार रहना, मुझे उनकी नियत साफ़ नहीं मालूम होती।
Midnight had passed, Lashkar's men were sleeping. Torches were burning all around and Tilase's young men used to take yachts from place to place. But Qasim had no sleep in his eyes. He was thinking of sitting in his long-widened Purulatha lodgings — is it a big crime to take a look at this young lady? Admittedly, she is the princess of the king of Multan and my king wants to illuminate her harem with her, but my wish is just to give her a look and that too in such a way that no one is aware. And suppose it is a crime, then I will commit that crime at this time. I have now killed thousands of innocents with these hands. Will the sins of the accused in the court of God be forgiven only because they were ordered by the emperor? Whatever it is, seeing a Nazneen at a glance is not a greater crime than taking someone's life. At least I don't think so. Qasim was a great young man. He continued to observe the moral aspect of this work for a long time. Why would the hero who defeated Multan bring other obstacles into consideration ?
He looked out of his camp, and The princess's camp was buried a short distance away. Qasim consciously set up his camp with him. Many torches were burning around these camps and five Habshi were walking with Khwajasara colored swords. Qasim came and lay on the bed and started thinking - what will these combats not sleep? And why are there so many torrents burning around? It is necessary to extinguish them. That is why he called - Masroor.
-Hujur, give a compliment?
Extinguish the machines, I do not sleep.
-Huzoor, the night is dark.
Yes.
- Like the wishes of Huzur.
Khwajasara went away and in a moment all the torches were gone, darkness fell. In a while, a woman came out of the camp of princess and asked- Masroom, princess asks, why were these torches extinguished?
Mushroom uttered - the wish of the soldier. You guys stay smart, I don't know their intentions clearly.
कासिम उत्सुकता से व्यग्र होकर कभी लेटता था, कभी उठ बैठता था, कभी टहलने लगता था। बार-बार दरवाजे पर आकर देखता, लेकिन पांचों ख्व़ाजासरा देंवों की तरह खडें नजर आते थे। क़ासिम को इस वक्त यही धुन थी कि शाहजादी का दर्शन क्योंकर हो। अंजाम की फ़िक्र, बदनामी का डर और शाही गुस्से का ख़तरा उस पुरज़ोर ख्वाहिश के नीचे दब गया था।
घड़ियाल ने एक बजाया। क़ासिम यों चौकं पड़ा गोया कोई अनहोनी बात हो गयी। जैसे कचहरी में बैठा हुआ कोई फ़रियाद अपने नाम की पुकार सुनकर चौंक पड़ता है। ओ हो, तीन घंटों से सुबह हो जाएगी। खेमे उखड़ जाएगें। लश्कर कूच कर देगा। वक्त तंग है, अब देर करने की, हिचकचाने की गुंजाइश नहीं। कल दिल्ली पहुँच जायेंगे। आरमान दिल में क्यों रह जाये, किसी तरह इन हरामखोर ख्वाजासराओं को चकमा देना चाहिए। उसने बाहर निकल आवाज़ दी-मसरूर।
–हुजूर, फ़रमाइए।
–होशियार हो न?
-हुजूर पलक तक नहीं झपकी।
-नींद तो आती ही होगी, कैसी ठंड़ी हवा चल रही है।
-जब हुजूर ही ने अभी तक आराम नहीं फ़रमाया तो गुलामों को क्योंकर नींद आती।
-मै तुम्हें कुछ तकलीफ़ देना चाहता हूँ।
-कहिए।
-तुम्हारे साथ पांच आदमी है, उन्हें लेकर जरा एक बार लश्कर का चक्कर लगा आओ। देखो, लोग क्या कर रहे हैं। अक्सर सिपाही रात को जुआ खेलते हैं। बाज आस-पास के इलाक़ों में जाकर ख़रमस्ती किया करते हैं। जरा होशियारी से काम करना।
मसरूर- मगर यहां मैदान खाली हो जाएगा।
क़ासिम- मे तुम्हारे आने तक खबरदार रहूँगा।
मसरूर- जो मर्जी हुजूर।
क़ासिम- मैने तुम्हें मोतबर समझकर यह ख़िदमत सुपुर्द की है, इसका मुआवजा इंशाअल्ला तुम्हें साकर से अता होगा।
मसरूम ने दबी ज़बान से कहा-बन्दा आपकी यह चालें सब समझता है। इंशाअल्ला सरकार से आपको भी इसका इनाम मिलेगा। और तब जोर बोला-आपकी बड़ी मेहरबानी है।
एक लम्हें में पॉँचों ख्वाजासरा लश्कर की तरफ़ चले। क़ासिम ने उन्हें जाते देखा। मैदान साफ़ हो गया। अब वह बेधड़क खेमें में जा सकता था। लेकिन अब क़ासिम को मालूम हुआ कि अन्दर जाना इतना आसान नहीं है जितना वह समझा था। गुनाह का पहलू उसकी नजर से ओझल हो गया था। अब सिर्फ ज़ाहिरी मुश्किलों पर निगाह थी।
Qasim was anxious, sometimes lay down, sometimes got up, sometimes used to walk. He would repeatedly come to the door, but the five Khwajasara looked like deities. Qasim had the same tune at this time as to why Shahzadi should be seen. Worries of the consequences, the fear of slander and the threat of royal anger were buried under that strong desire.
The crocodile played one. Quasim as such is awake or something untoward happened. For example, a complainant sitting in the office is shocked to hear his name. Oh, it will be three hours in the morning. The camps will crumble Lashkar will travel. Time is tight, now there is no scope to delay or hesitate. Will reach Delhi tomorrow. Why should Armaan remain in the heart, somehow he should dodge these hawkish Khwajasaras. He gave out a voice - Masroor.
–Hoozoor, please.
- Are you smart?
-Hoojur did not blink till the eyelid.
- It must be coming, how cold the wind is going.
-When Hujur has not yet given rest, why should the slaves fall asleep?
- I want to give you some trouble.
- Say.
- There are five men with you, take a round of Lashkar with them. Look what people are up to. Often the soldiers gamble at night. The eagles go to the neighboring areas and perform alimony. Work smarter.
Masroor - But the ground will be empty here.
Qasim - I will be alert till you come.
Masroor - The will of Hazur.
Qasim - I have given you this fate considering you as Motabar, its compensation will be insulted by you.
Masroom said to the tongue-tied, everyone understands your tricks. You will also get its reward from Inshallah government. And then loudly said - Thank you very much.
Five moments in a moment, Khwajasara walked towards Lashkar. Qasim saw him going. The field was cleared. Now he could go to the field without fear. But now Qasim came to know that going in is not as easy as he thought. The aspect of crime had disappeared from his eyes. Now only Zahiri was looking at the difficulties.
क़ासिम दबे पांव शहज़ादी के खेमे के पास आया, हालांकि दबे पांव आने की जरूरत न थी। उस सन्नाटे में वह दौड़ता हुआ चलता तो भी किसी को खबर न होती। उसने ख़ेमे से कान लगाकर सुना, किसी की आहट न मिली। इत्मीनान हो गया। तब उसने कमर से चाकू निकाला और कांपते हुए हाथों से खेमे की दो-तीन रस्सियां काट डालीं। अन्दर जाने का रास्ता निकल आया। उसने अन्दर की तरफ़ झांका। एक दीपक जल रहा था। दो बांदियां फ़र्श पर लेटी हुई थीं और शहज़ादी एक मख़मली गद्दे पर सो रही थी। क़ासिम की हिम्मत बढ़ी। वह सरककर अन्दर चला गया, और दबे पांव शहजादी के क़रीब जाकर उसके दिल-फ़रेब हुस्न का अमृत पीने लगा। उसे अब वह भय न था जो ख़ेमे में आते वक्त हुआ था। उसने जरूरत पड़ने पर अपनी भागने की राह सोच ली थी।
क़ासिम एक मिनट तक मूरत की तरह खड़ा शहजादी को देखता रहा। काली-काली लटें खुलकर उसके गालों को छिपाये हुए थी। गोया काले-काले अक्षरों में एक चमकता हुआ शायराना खयाल छिपा हुआ था। मिट्टी की अस दुनिया में यह मजा, यह घुलावट, वह दीप्ति कहां? कासिम की आंखें इस दृश्य के नशे में चूर हो गयीं। उसके दिल पर एक उमंग बढाने वाला उन्माद सा छा गया, जो नतीजों से नहीं डरता था। उत्कण्ठा ने इच्छा का रूप धारण किया। उत्कण्ठा में अधिरता थी और आवेश, इच्छा में एक उन्माद और पीड़ा का आनन्द। उसके दिल में इस सुन्दरी के पैरों पर सर मलने की, उसके सामने रोने की, उसके क़दमों पर जान दे देने की, प्रेम का निवेदन करने की , अपने गम का बयान करने की एक लहर-सी उठने लगी वह वासना के भवंर मे पड़ गया।
Qasim came to the camp of Princess, though there was no need to come. No one would have known even if he had run in that silence. He listened with gusto, heard no sound. It was leisurely. Then he took out the knife from the waist and with trembling hands cut two to three ropes of the group. The way to go inside came out. He peeked in. A lamp was burning. Two bandits were lying on the floor and the princess was sleeping on a velvet mattress. Qasim's courage increased. He moved indoors, and buried himself close to the prince and started drinking the nectar of his heart-rending beauty. He no longer had the fear that came when he came into the camp. He thought of his escape as needed.
Qasim kept looking at Princess standing like a statue for a minute. Black-black braids were openly hiding her cheeks. It was as if a shining poetry was hidden in black and black letters. This fun in this world of clay, this revolution, where is that brilliance? Qasim's eyes became drugged by this scene. A frenzied frenzy engulfed his heart, who was not afraid of the consequences. Enthronement took the form of desire. There was exuberance and excitement in passion, a frenzy in desire and joy of suffering. In his heart, a wave of rubbing his head at the feet of this beautiful, crying in front of him, giving life at his footsteps, pleading for love, narrating his sorrow began to arise in the spirit of lust .
क़ासिम आध घंटे तक उस रूप की रानी के पैरो के पास सर झुकाये सोचता रहा कि उसे कैसे जगाऊँ। ज्यों ही वह करवट बदलती वह ड़र के मारे थरथरा जाता। वह बहादुरी जिसने मुलतान को जीता था, उसका साथ छोड़े देती थी।
एकाएक कसिम की निगाह एक सुनहरे गुलाबपोश पर पड़ी जो करीब ही एक चौकी पर रखा हुआ था। उसने गुलाबपोश उठा लिया और खड़ा सोचता रहा कि शहज़ादी को जगाऊँ या न जगाऊँ या न जगाउँ? सेने की डली पड़ी हुई देखकर हमं उसके उठाने में आगा-पीछा होता है, वही इस वक्त उसे हो रहा था। आखिरकार उसने कलेजा मजबूत करके शहजादी के कान्तिमान मुखमंण्डल पर गुलाब के कई छींटे दिये। दीपक मोतियों की लड़ी से सज उठा।
शहज़ादी ने चौंकर आंखें खोलीं और क़ासिम को सामने खड़ा देखकर फौरन मुंह पर नक़ाब खींच लिया और धीरे से बोली-मसरूर।
Qasim bowed his head near the queen of that form for half an hour and wondered how to wake her up. As he turned, he would tremble in the air. The bravery that had won Multan left her.
Suddenly, Qasim stared at a golden rose, which was kept at a checkpoint. He took up the rose and kept on thinking whether to wake the princess or not to wake up? Seeing the nuggets stuck, we are agitated in his lifting, the same thing was happening to him at this time. Finally, he strengthened the heart and sprinkled many roses on the crowned face of the princess. The lamp was adorned with pearls.
Princess opened his eyes wide and, seeing Qasim standing in front, immediately pulled the mask on his mouth and spoke softly...Masroor?,
क़ासिम ने कहा-मसरूर तो यहां नही है, लेकिन मुझे अपना एक अदना जांबाज़ ख़ादिम समझिए। जो हुक्त होगा उसकी तामील में बाल बराबर उज्र न होगा। शहज़ादी ने नक़ाब और खींच लिया और ख़ेमे के एक कोने में जाकर खड़ी हो गयी।
क़ासिम को अपनी वाक्-शक्ति का आज पहली बार अनुभव हुआ। वह बहुत कम बोलने वाला और गम्भीर आदमी था। अपने हृउय के भावों को प्रकट करने में उसे हमेशा झिझक होती थी लेकिन इस वक्त़ शब्द बारिश की बूंदो की तरह उसकी जबान पर आने लगे। गहरे पानी के बहाव में एक दर्द का स्वर पैदा हो जाता है। बोला-मैं जानता हूँ कि मेरी यह गुस्ताखी आपकी नाजुक तबियत पर नागवार गुज़री है। हुजूर, इसकी जो सजा मुनाशिब समझें उसके लिए यह सर झुका हुआ है। आह, मै ही वह बदनसीब, काले दिल का इंसान हूँ जिसने आपके बुजुर्ग बाप और प्यारे भाईंयों के खून से अपना दामन नापाक किया है। मेरे ही हाथों मुलतान के हजारो जवान मारे गये, सल्तनत तबाह हो गयी, शाही खानदान पर मुसीबत आयी और आपको यह स्याह दिन देखना पडा। लेकिन इस वक्त़ आपका यह मुजरिम आपके सामने हाथ बांधे हाज़िर है। आपके एक इशारे पर वह आपके कदमों पर न्योठावर हो जायेगा और उसकी नापाक जिन्दगी से दुनिया पाक हो जायेगी। मुझे आज मालूम हुआ कि बहादुरी के परदे में वासना आदमी से कैसे-कैसे पाप करवाती है। यह महज लालच की आग है, राख में छिपी हुईं सिर्फ़ एक कातिल जहर है, खुशनुमा शीशे में बन्द! काश मेरी आंखें पहले खुली होतीं तो एक नामवर शाही ख़ानदान यों खाक में न मिल जाता। पर इस मुहब्बत की शमा ने, जो कल शाम को मेरे सीने में रोशन हुई, इस अंधेरे कोने को रोशनी से भर दिया। यह उन रूहानी जज्ब़ात का फैज है, जो कल मेरे दिल में जाग उठे, जिन्होंने मुझे लाजच की कैद से आज़ाद कर दिया।
इसके बाद क़ासिम ने अपनी बेक़रारी और दर्दे दिल और वियोग की पीड़ा का बहुत ही करूण शदों में वर्णन किया, यहां तक कि उसके शब्दों का भण्डार खत्म हो गया। अपना हाल कह सुनाने की लालसा पूरी हो गयी।
Qasim said - Masroor is not here, but consider me one of your own dear ones. Whatever your order will be fully served.
Princes pulled the mask and went and stood in one corner of the tomb.Qasim experienced his speech power for the first time today. He was a very talkative and serious man. He always hesitated to reveal his heart's feelings, but at this time words started coming on his tongue like drops of rain. Deep water flow produces a painful tone. Said - I know that my impudence is exasperating at your delicate health. Huzoor, this head is inclined to consider its punishment as Munashib. Ah, I am that unlucky, dark-hearted person who has polluted his blood with the blood of your elderly father and beloved brothers. Thousands of Multan soldiers were killed at my hands, the Sultanate was destroyed, the royal family was in trouble and you had to see this dark day. But right now, this criminal is present in front of you. At one of your behest, he will be sacrificed at your footsteps and the world will be pacified by his nefarious life. Today I came to know that in the veil of bravery, how lust causes a man to sin. It is just a fire of greed, just a murderer poisoned in ashes, closed in a pleasant glass! I wish if my eyes were open earlier, I would not have got a nameless royal food like this. But the love of this love, which illuminated my chest last evening, filled this dark corner with light. This is the fang of the spirit of spirit, which woke up in my heart yesterday, who freed me from the captivity of Lajach. After this, Qasim described his indifference and pain of heart and disconnection in very compassionate words, even his store of words was over. The desire to tell his condition was fulfilled.
लेकिन वह वासना बन्दी वहां से हिला नहीं। उसकी आरजुओं ने एक कदम और आगे बढाया। मेरी इस रामकहानी का हासिल क्या? अगर सिर्फ़ दर्दे दिल ही सुनाना था, तो किसी तसवीर को, सुना सकता था। वह तसवीर इससे ज्यादा ध्यान से और ख़ामाशी से मेरे ग़म की दास्तान सुनती। काश, मैं भी इस रूप की रानी की मिठी आवाज सुनता, वह भी मुझसे कुछ अपने दिल का हाल कहती, मुझे मालूम होता कि मेरे इस दर्द के किस्से का उसके दिल पर क्या असर हुआ। काश, मुझे मालूत होता कि जिस आग में मैं फुंका जा रहा हूँ, कुछ उसकी आंच उधर भी पहुँचती है या नहीं। कौन जाने यह सच हो कि मुहब्बत पहले माशूक के दिल में पैदा होती है। ऐसा न होता तो वह सब्र को तोड़ने वाली निगाह मुझ पर पड़ती ही क्यों? आह, इस हुस्न की देवी की बातों में कितना लुत्फ़ आयेगा। बुलबुल का गाना सुन सकता, उसकी आवाज कितनी दिलकश होगी, कितनी पाकीजा, कितनी नूरानी, अमृत में डूबीं हुई और जो कहीं वह भी मुझसे प्यार करती हो तो फिर मुझसे ज्यादा खुशनसीब दुनिया में और कौन होगा?
इस ख़याल से क़ासिम का दिल उछलने लगा। रगों में एक हरकत-सी महसूस हुई। इसके बावजूद कि बांदियों के जग जाने और मसरूर की वापसी का धड़का लगा हुआ था, आपसी बातचीत की इच्छा ने उसे अधीर कर दिया, बोला-हुस्न की मलका, यह जख्म़ी दिल आपकी इनायत की नज़र की मुस्तहक है। कुड़ उसके हाल पर रहम न कीजिएगा?
But that lust prisoner did not move from there. His brothers went one step further. What was the achievement of this story of mine? If only the heart was to be heard, then a picture could be heard. That picture would have listened to my sorrow more carefully and silently. I wish I had also heard the melodious voice of the queen of this form, she would also tell me something about her heart, I would have known how the anecdote of my pain affected her heart. I wish I had known if the fire in which I am being blown, its heat reaches there also. Who knows, it is true that love first arises in the heart of the lover. If this was not the case, why would that gaze on me break the patience? Ah, how much will be enjoyed in the words of this beautiful goddess. Who can hear Nightingale's song, how will his voice be so beautiful, how pakija, how noorani, immersed in nectar and wherever he loves me, then who else would be happier in the world than me?
Qasim's heart started to jump with this idea. There was a movement in the veins. Despite that the wake of the Bandis and the return of Masroor was on fire, the desire for a mutual conversation made him impatient, said - Huskan Malaka, this wounded heart is a beacon of your grace. Wouldn't the pity be kind to him?
शहज़ादी ने नकाब की ओट से उसकी तरफ़ ताका और बोली–जो खुद रहम का मुस्तहक हो, वह दूसरों के साथ क्या रहम कर सकता है? क़ैद में तड़पते हुए पंछी से, जिसके न बोल हैं न पर, गाने की उम्मीद रखना बेकार है। मैं जानती हूँ कि कल शाम को दिल्ली के ज़ालिम बादशाह के सामने बांदियों की तरह हाथ बांधे खड़ी हूंगी। मेरी इज्जत, मेरे रूतबे और मेरी शान का दारोमदार खानदानी इज्जत पर नहीं बल्कि मेरी सूरत पर होगा। नसीब का हक पूरा हा जायेगा। कौन ऐसा आदमी है जो इस जिन्दगी की आरजू रक्खेगा? आह, मुल्तान की शहजादी आज एक जालिम, चालबाज, पापी आदमी की वासना का शिकार बनने पर मजबूर है। जाइए, मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए। मैं बदनसीब हूँ, ऐसा न हो कि मेरे साथ आपको भी शाही गुस्से का शिकार बनना पड़े। दिल मे कितनी ही बातें है मगर क्यों कहूँ, क्या हासिल? इस भेद का भेद बना रहना ही अच्छा है। आपमें सच्ची बहादुरी और खुद्दारी है।
Princess glanced towards him with a mask and said - What kind of mercy can he have with others? It is useless to expect a song with a throbbing bird in captivity, neither speaking nor speaking. I know that tomorrow evening I will stand in front of Delhi's oppressor emperor with hands like a band. My dignity, my status and my pride will not be on the honor of the family but on my face. The right of luck will be fulfilled. Who is the man who will save this life? Ah, the prince of Multan today is forced to fall prey to the lust of a bloodthirsty, trickster, sinful man. Go leave me. I am unlucky, lest you have to become a victim of royal anger with me. There are many things in the heart, but why should I say, what is achieved? It is good to maintain this distinction. You have true bravery and self-worth.
आप दुनिया में अपना नाम पैदा करेंगे, बड़े-बड़े काम करेगें, खुदा आपके इरादों में बरकत दे–यही इस आफ़प की मारी हुई औरत की दुआ है। मैं सच्चे दिल से कहती हूँ कि मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है। आज मुझे मालूम हुआ कि मुहब्बत बैर से कितनी पाक होती है। वह उस दामन में मुंह छिपाने से भी परहेज नहीं करती जो उसके अजीजों के खून से लिथड़ा हुआ हो। आह, यह कम्बख्त दिल उबला पड़ता है। अपने कान बन्द कर लीजिए, वह अपने आपे में नहीं है, उसकी बातें न सुनिए। सिर्फ़ आपसे यही बिनती है कि इस ग़रीब को भूल न जाइएगा। मेरे दिल में उस मीठे सपने की याद हमेशा ताजा रहेगी, हरम की क़ैद में यही सपना दिल को तसकीन देता रहेगा, इस सपने को तोड़िए मत। अब खुदा के वास्ते यहां से जाइए, ऐसा न हो कि मसरूर आ जाए, वह एक ज़ालिम है। मुझे अंदेशा है कि उसने आपको धोखा दिया, अजब नहीं कि यहीं कहीं छुपा बैठा हो, उससे होथियार रहिएगा। खुदा हाफ़िज!
You will create your name in the world, you will do great things, God bless you in your intentions - this is the blessing of this slain woman. I sincerely say that I have no complaint with you. Today I came to know how much love is Clean by hate. She also does not refrain from hiding her face in a cloak that is covered in the blood of her azure. Ah, this wholehearted heart boils. Close your ears, it is not in itself, do not listen to it. Just ask you that this poor person will not be forgotten. The memory of that sweet dream will always remain in my heart, this dream will continue to haunt the heart in the confinement of the harem, do not break this dream. Now go from here to God, lest Masroor comes, he is a victim. I suspect that he cheated on you, not surprising that he might be hiding here somewhere, to be smart. God Hafiz!
क़ासिम पर एक बेसुधी की सी हालत छा गयी। जैसे आत्मा का गीत सुनने के बाद किसी योगी की होती है। उसे सपने में भी जो उम्मीद न हो सकती थी, वह पूरी हो गयी थी। गर्व से उसकी गर्दन की रगें तन गयीं, उसे मालूम हुआ कि दुनिया में मुझसे ज्यादा भाग्यशाली दूसरा नहीं है। मैं चाहूँ तो इस रूप की वाटिका की बहार लूट सकता हूँ, इस प्याले से मस्त हो सकता हूँ। आह वह कितनी नशीली, कितनी मुबारक जिन्दगी होती! अब तक क़ासिम की मुहब्बत ग्वाले का दूध थी, पानी से मिली हुई; शहज़ादी के दिल की तड़प ने पानी को जलाकर सच्चाई का रंग पैदा कर दिया। उसके दिल ने कहा-मैं इस रूप की रानी के लिए क्या कुछ नहीं कर सकता? कोई ऐसी मुसीबत नहीं है जो झेल न सकूँ, कोई आग नहीं, जिसमें कूद न सकूं, मुझे किसका डर है! बादशाह का? मैं बादशाह का गुलाम नहीं, उसके सामने हाथ फैलानेवाला नहीं, उसका मोहताज नहीं। मेरे जौहर की हर एक दरबार में कद्र हो सकती है। मैं आज इस गूलामी की जंजीर को तोड़ डालूँगा और उस देश में जा बसूँगा, जहां बादशाह के फ़रिश्ते भी पर नहीं मार सकते। हुस्न की नेमत पाकर अब मुझे और किसी चीज़ की इच्छा नहीं। अब अपनी आरजुओं का क्यों गला घोटूं? कामनाओं को क्यों निराशा का ग्रास बनने दूँ? उसने उन्माद की-सी स्थिति में कमर से तलवार निकाली और जोश के साथ बोला–जब तक मेरे बाजूओ में दम है, कोई आपकी तरफ़ आंख उठाकर देख भी नहीं सकता। चाहे वह दिल्ली का बादशाह ही क्यो ने हो! मैं दिल्ली के कूचे और बाजार में खून की नदी बहा दुंगा, सल्तनत की जड़े हिलाउ दुँगा, शाही तख्त को उल्ट-पलट रख दूँगा, और कुछ न कर सकूंगा तो मर मिटूंगा। पर अपनी आंखो से आपकी याह जिल्लत न देखूँगा।
A state of unconsciousness prevailed on Qasim. Just like a yogi does after listening to the soul's song. What he could not have expected in his dream was fulfilled. Proudly rubbed his neck, he came to know that there is no one more fortunate than me in the world. If I want, I can rob this garden outside, I can enjoy it with this cup. Ah, how intoxicating, how happy life would have been! Till now Qasim's love was cow's milk, mixed with water; The yearning of Princess's heart lit up the waters and created the color of truth. His heart said - What can I do for the queen of this form? There is no such trouble that I cannot withstand, no fire, in which I cannot jump, what I fear! Of the king? I am not a slave of the emperor, not an outstretcher in front of him, not an obedient person. My Jauhar can be valued in every court. Today I will break the chain of this fraud and settle in a country where even the angels of the emperor cannot be killed. I have no desire for anything more, given the importance of beauty Now why should I strangle my resumes? Why let the wishes become a pang of despair? He took out a sword from the waist in a frenzied state and spoke with enthusiasm - as long as I have strength in my arms, no one can look at you with an eye raised. Why is it the king of Delhi? I will run the river of blood in Delhi's couches and markets, shake the roots of the kingdom, turn the royal throne upside down, and if I cannot do anything, I will die. But I will not see your life with my eyes.
शहज़ादी आहिस्ता-आहिस्ता उसके क़रीब आयी बोली-मुझे आप पर पूरा भरोसा है, लेकिन आपको मेरी ख़ातिर से जब्त और सब्र करना होगा। आपके लिए मैं महलहरा की तकलीफ़ें और जुल्म सब सह लूंगी। आपकी मुहब्बत ही मेरी जिन्दगी का सहारा होगी। यह यक़ीन कि आप मुझे अपनी लौंडी समझते हैं, मुझे हमेशा सम्हालता रहेगा। कौन जाने तक़दीर हमें फिर मिलाये।क़ासिम ने अकड़कर कहा-आप दिल्ली जायें ही क्यों! हम सबुह होते-होते भरतपुर पहुँच सकते हैं। शहजादी–मगर हिन्दोस्तान के बाहर तो नहीं जा सकते। दिल्ली की आंख का कांटा बनकर मुमकिन है हम जंगलों और वीरानों में जिन्दगी के दिन काटें पर चैन नसीब न होगा। असलियत की तरफ से आंखे न बन्द की जिए, खुदा न आपकी बहादुरी दी है, पर तेगे इस्फ़हानी भी तो पहाड़ से टकराकर टुट ही जाएगी। कासिम का जोश कुछ धीमा हुआ। भ्रम का परदा नजरों से हट गया। कल्पना की दुनिया में बढ़-बढ़कर बातें करना बाते करना आदमी का गुण है। क़ासिम को अपनी बेबसी साफ़ दिखाई पड़ने लगी। बेशक मेरी यह लनतरानियां मज़ाक की चीज़ हैं। दिल्ली के शाह के मुक़ाबिलें में मेरी क्या हस्ती है? उनका एक इशारा मेरी हस्ती को मिटा सकता है। हसरत-भरे लहजे में बोला-मान लीजिए, हमको जंगलो और बीरानों में ही जिन्दगी के दिन काटने पड़ें तो क्या? मुहब्बत करनेवाले अंधेरे कोने में भी चमन की सैर का लुफ़्त उठाते हैं। मुहब्बत में वह फ़क़ीरों और दरवेशों जैसा अलगाव है, जो दुनिया की नेमतों की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखता। शहज़ादी–मगर मुझ से यह कब मुमकिन है कि अपनी भलाई के लिए आपको इन खतरों में डालूँ? मै शाहे दिल्ली के जुल्मों की कहानियां सुन चुकी हूँ, उन्हें याद करके रोंगेटे खड़े हो जाते हैं। खुदा वह दिन न लाये कि मेरी वजह से आपका बाल भी बांका हो। आपकी लड़ाइयों के चर्चे, आपकी खैरियत की खबरे, उस क़ैद में मुझको तसकीन और ताक़त देंगी। मैं मुसीबते झेलूंगी और हंस–हंसकर आग में जलूँगी और माथे पर बल न आने दूँगी। हॉँ, मै शाहे दिल्ली के दिल को अपना बनाऊँगी, सिर्फ आपकी खातिर से ताकि आपके लिए मौक़ा पड़ने पर दो-चार अच्छी बातें कह सकूँ।
Princess slowly-slowly came close to that quote - I have full faith in you, but you have to seize and be patient with my sake. For you, I will bear the hardships and oppression of Mahalhara. Your love will be the support of my life. To be sure that you consider me your maid, I will always be supported. Who knows the fate, please mix us again. Qasim stuttered and said - Why should you go to Delhi! We can reach Bharatpur by the time we arrive. Princess - but cannot go outside India. It is possible to become a thorn in the eyes of Delhi, if we cut the day of life in the jungles and deserts, there will be no rest. Do not live with eyes closed to reality, God has not given you your bravery, but even your Isfahani will crash into a mountain. Kasim's passion slowed down a bit. The veil of confusion got out of sight. In the world of imagination, it is a quality of a man to talk about things. Qasim began to see his powerlessness clearly. Of course, these lanterns are a joke. What is my personality in the claims of Shah of Delhi? One of his gestures can erase my personality. Said in a cheerful tone - Suppose, if we have to spend the days of life in the jungles and the deserts? The love mongers also enjoy Chaman's walk in the dark corner. In love, it is a separation like faqirs and dervishes, who do not even look at the values of the world. Shahzadi - But when is it possible for me to put you in these dangers for your own good? I have heard stories of the crimes of Shahe Delhi, remembering them, Rongate stands up. May God not bring that day because of me, your hair should be fine. The news of your battles, the news of your well-being, will give me pleasure and strength in that prison. I will suffer trouble and will burn in the fire with laughter and will not let the force fall on my forehead. Yes, I will make Shahe Delhi's heart my own, only for your sake so that I can say two or four good things when you have a chance.
लेकिन क़ासिम अब भी वहां से न हिला। उसकर आरजूएं उम्मीद से बढ़कर पूरी होती जाती थीं, फिर हवस भी उसी अन्दाज से बढ़ती जाती थी। उसने सोचा अगर हमारी मुहब्बत की बहार सिर्फ़ कुछ लमहों की मेहमान है, तो फिर उन मुबारकबाद लमहों को आगे की चिन्ता से क्यों बेमज़ा करें। अगर तक़दीर में इस हुस्न की नेमत को पाना नहीं लिखा है, तो इस मौक़े को हाथ से क्यों जाने दूँ। कौन जाने फिर मुलाकात हो या न हो? यह मुहब्बत रहे या न रहें? बोला-शहज़ादी, अगर आपका यही आखिरी फ़ैसाल है, तो मेरे लिए सिवाय हसरत और मायूसी के और क्या चारा है? दूख होगा, कुढूंगा, पर सब्र करूंगा। अब एक दम के लिए यहां आकर मेरे पहलू में बैठ जाइए ताकि इस बेकरार दिल को तस्कीन हो। आइए, एक लमहे के लिए भूल जाएं कि जुदाई की घड़ी हमारे सर पर खड़ी है। कौन जाने यह दिन कब आयें? शान-शौकत ग़रीबों की याद भूला देती है, आइए एक घड़ी मिलकर बैठें। अपनी जल्फ़ो की अम्बरी खुशबू से इस जलती हुई रूह को तरावट पहुँचाइए। यह बांहें, गलो की जंजीरे बने जाएं। अपने बिल्लौर जैसे हाथों से प्रेम के प्याले भर-भरकर पिलाइए। साग़र के ऐसे दौर चलें कि हम छक जाएं! दिलो पर सुरूर को ऐसा गाढ़ा रंग चढ़े जिस पर जुदाई की तुर्शियों का असर न हो। वह रंगीन शराब पिलाइए जो इस झुलसी हुई आरजूओं की खेती को सींच दे और यह रूह की प्यास हमेशा के लिए बुझ जाए।
But Qasim still did not move from there. After that, wish was fulfilled more than expected, then Lavas also used to grow in the same way. He thought that if we have guests only for a few moments outside of our love, then why should those happy moments be destroyed with further concern. If you have not written the fate of this beauty in your fortune, then why let me take this opportunity by hand. Who knows or may not meet again? Will this love be there or not? Said Princess, if this is your last decision, then what other choice is there for me except for Hasrat and desolation? Will look harsh, I will be angry, but I will be patient. Now come here for a moment and sit in my aspect so that this desperate heart is smug. Let us forget for a moment that the clock of separation stands on our head. Who knows when this day should come? Pride forgets the memory of the poor, let's sit together for a moment. Make your burning spirit rejuvenate with the ambulatory scent of your junky. These arms should be made of chains of gal. Drink the cups of love with your silver-like hands. Walk in such times of the season that we may be shattered! Suroor should get such a thick color on the hearts, which does not affect the Tushis of separation. Drink the colored liquor that irrigates the cultivation of this scorched seed and it quenches the thirst of the soul forever.
मए अग़वानी के दौर चलने लगे। शहज़ादी की बिल्लौरी हथेली में सुर्ख शराब का प्याला ऐसा मालूम होता था जैसे पानी की बिल्लौरी सतह पर कमल का फूल खिला हो क़ासिम दीनो दुनिया से बेख़बर प्याले पर प्याले चढ़ाता जाता था जैसे कोई डाकू लूट के माल पर टूटा हुआ हो। यहां तक कि उसकी आंखे लाल हो गयीं, गर्दन झ़ुक गयी, पी-पीकर मदहोश हो गया। शहजादी की तरफ़ वसाना-भरी आंखो से ताकता हुआ। बाहें खोले बढा कि घड़ियाल ने चार बजाये और कूच के डंके की दिल छेद देनेवाली आवाजें कान में आयीं। बाँहें खुली की खुली रह गयीं। लौडियां उठ बैठी, शहजादी उठ खड़ी हुई और बदनसीब क़ासिम दिल की आरजुएं लिये खेमे से बाहर निकला, जैसे तक़दीर के फ़ैलादी पंजे ने उसे ढकेलकर बाहर निकाल दिया हो। जब अपने खेमे में आया तो दिल आरजूओं से भरा हुआ था। कुछ देर के बाद आरजुओं ने हवस का रूप भरा और अब बाहर निकला तो दिल हरसतों से पामाल था, हवस का मकड़ी-जाल उसकी रूह के लिए लोहे की जंजीरें बना हुआ था।
Mae started walking in the fire. The cup of ruddy liquor in the black palm of Princess looked as if a lotus flower was feeding on the black surface of the earth. Qasim used to pour cups on an unattended cup from the world as if a robber was broken on the spoils. Even his eyes turned red, his neck tingled, he became drunk after drinking. Staring at Princess with eyes full of attention. The arms opened so that the crocodile played four and the heart-piercing sounds of the sting of the journey came in the ears. The arms were left open. The laddies sat up, the princess stood up, and the unfortunate Qasim came out of the camp with the heart's arms, as if the fortune-teller's claws had pushed him out. When he came in his camp, the heart was full of arms. After some time, the resplendents filled the form of lust and now came out, the heart was out of harmony, the spider-web of lust was made of iron chains for its soul.
शाम का सुहाना वक़्त था। सुबह की ठण्डी-ठण्डी हवा से सागर में धीरे धीरे लहरें उठ रही थीं। बहादुर, क़िस्मत का धनी क़ासिम मुलतान के मोर्चे को सर करके गर्व की मादिरा पिये उसके नशे में चूर चला आता था। दिल्ली की सड़के बन्दनवारों और झंडियों से सजी हुई थीं। गुलाब और केवड़े की खुशब चारों तरफ उड़ रही थी। जगह-जगह नौबतखाने अपना सुहाना राग गया। तोपों ने अगवानी की घनगरज सदांए बुलन्द कीं। ऊपर झरोखों में नगर की सुन्दरियां सितारों की तरह चमकने लगीं। कासिम पर फूलों की बरखा होने लगी। वह शाही महल के क़रीब पहुँचार तो बड़े-बड़े अमीर-उमरा उसकी अगवानी के लिए क़तार बांधे खड़े थे। इस शान से वह दीवाने खास तक पहुँचा। उसका दिमाग इस वक्त सातवें आसमान पर था। चाव-भरी आंखों से ताकता हुआ बादशाह के पास पहुँचा और शाही तख्त को चूम लिया। बादशाह मुस्काराकर तख़्त से उतरे और बांहें खोले हुए क़ासिम को सीने से लगाने के लिए बढ़े। क़ासिम आदर से उनके पैरों को चूमने के लिए झुका कि यकायक उसके सिर पर एक बिजली-सी गिरी। बादशाह को तेज खंजर उसकी गर्दन पर पड़ा और सर तन से जुदा होकर अलग जा गिरा। खून के फ़ौवारे बादशाह के क़दमो की तरफ़, तख्त की तरफ़ और तख़्त के पीछे खड़े होने वाले मसरूर की तरफ़ लपके, गोया कोई झल्लाया हुआ आग का सांप है।
घायल शरीर एक पल में ठंडा हो गया। मगर दोनों आंखे हसरत की मारी हुई दो मूरतों की तरह देर तक दीवारों की तरफ़ ताकती रहीं। आखिर वह भी बन्द हो गयीं। हवस ने अपना काम पूरा कर दिया। अब सिर्फ़ हसरत बाक़ी थी। जो बरसों तक दीवाने खास के दरोदीवार पर छायी रही और जिसकी झलक अभी तक क़ासिम के मज़ार पर घास-फूस की सूरत में नज़र आती है।
It was a pleasant evening. In the morning cold waves were slowly rising in the ocean. The rich Qasim of brave luck, after taking the head of Multan, drank the pride of pride and was drowned in his intoxication. The streets of Delhi were adorned with banners and flags. The scent of roses and kevda was flying all around. Now and then, Naubatkhana got its own melody. Cannons raised firecrackers forever. The beauty of the city started shining like stars in the vents above. Flowers began to be shed on Qasim. When he reached close to the royal palace, the great emir-umrahs stood in queue to receive him. With this pride, he reached the crazy world. His mind was on the seventh sky at this time. Staring at his eyes, he reached the emperor and kissed the royal throne. Emperor Smilingly descended from the throne and proceeded to apply the opened Qasim to the chest. Qasim bowed respectfully to kiss his feet that suddenly a lightning fell on his head. The king had a sharp dagger on his neck and fell apart from his head. Fountains of blood clung to the steps of the emperor, towards the throne and towards the mosque standing behind the throne, like is a snake of a jagged fire.
The wounded body became cold in an instant. But both eyes stared towards the walls for a long time like the two idols of desire. After all she too stopped. The lust has finished its work. Now only desire was left. Which remained on the walls of the Diwan Khas for years and the glimpse of which still appears in the appearance of grass on the Qasim tomb.
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